Last Updated:July 25, 2025, 16:06 IST
Supreme Court News: ‘उदयपुर फाइल्स’ एक अपकमिंग हिंदी क्राइम थ्रिलर फिल्म है, जो 28 जून 2022 को उदयपुर में कन्हैया लाल साहू की निर्मम हत्या की वास्तविक घटना से प्रेरित है. भारत एस. श्रीनाथ और जयंत सिन्हा की ओर स...और पढ़ें

हाइलाइट्स
फिल्म निर्माता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया पेश हुएजमीयत-उलेमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए.क्या कोई ऐसी फिल्म हो सकती है जो किसी की भावनाएं न आहत करे? कोर्टनई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में फिल्म ‘द उदयपुर फाइल्स’ को लेकर चल रही सुनवाई उस वक्त रोचक हो गई, जब बहस के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में पूछा कि कश्मीर फाइल्स कब रिलीज़ हुई थी? इस सवाल ने माहौल को कुछ पल के लिए हल्का किया, लेकिन साथ ही यह इशारा भी था कि कोर्ट इस विषय को केवल एकतरफा आरोपों के रूप में नहीं देख रहा.
इस याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया फिल्म निर्माता की ओर से पेश हुए, जबकि कपिल सिब्बल जमीयत-उलेमा-ए-हिंद का पक्ष रखते हुए बाद में बहस में शामिल हुए. बहस का मुख्य मुद्दा था क्या ‘The Udaipur Files’ जैसी फिल्में सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा देती हैं या यह केवल इतिहास या घटनाओं का सच्चा चित्रण है? गौरव भाटिया ने दलील दी कि “कश्मीर फाइल्स” या “The Kerala Story” जैसी फिल्मों के बाद भी कोई साम्प्रदायिक हिंसा नहीं हुई. वहीं सिब्बल ने कहा कि यह मामला अलग है क्योंकि उन्होंने पूरी फिल्म देखी है, ना कि सिर्फ क्लिप्स. जस्टिस बागची ने इस पर प्रोपोर्शनैलिटी टेस्ट जैसे कानूनी सिद्धांतों की बात की. अंततः सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को अप्रासंगिक करार देते हुए कहा कि अब मामला दिल्ली हाईकोर्ट के सामने है और वहीं इस पर प्राथमिकता से सुनवाई की जाए.
जब कोर्टरूम में आमने सामने थे भाटिया और सिब्बल
फिल्म निर्माता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया पेश हुए और जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए. केस की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि आपको हाईकोर्ट जाना चाहिए, कपिल सिब्बल. कोर्ट ने कहा कि आरोपी मोहम्मद जावेद को भी हाईकोर्ट जाना चाहिए. गौरव भाटिया (फिल्म निर्माता की ओर से) दलील दी कि हर बार सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है, जैसे The Kerala Story में दी थी. हमने 12 दिन पहले SLP दायर की थी, लेकिन ऑर्डर आ चुका है, अब मामला हाईकोर्ट जाए. क्या कोई ऐसी फिल्म हो सकती है जो किसी की भावनाएं न आहत करे?
अति-संवेदनशीलता सेंसरशिप का आधार नहीं: गौरव भाटिया
गौरव ने कोर्ट में कहा कि मैंने 55+6 संपादन किए हैं. हमें ‘विलिफिकेशन’ (कलंक/बदनाम करने) की परिभाषा तय करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अति-संवेदनशीलता सेंसरशिप का आधार नहीं हो सकती. हर बार सच्चाई दिखाई जाती है, तो ये लोग सेंसर की तरह बर्ताव करने लगते हैं. वहीं एक अन्य वकील ने कहा कि Kashmir Files के बाद कोई हिंसा नहीं हुई. फिल्म के रिलीज के बाद मुसलमानों पर कोई हमला नहीं हुआ. The Kerala Story या 26/11 के बाद भी समाज में कोई विघटन नहीं हुआ. यह ‘विलिफिकेशन थ्योरी’ कल्पना मात्र है. इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पूछा कि The Kashmir Files कब रिलीज हुई? वकील ने बताया कि 2022 में.
रिलीज के बाद फिल्म पर कभी रोक नहीं लगी: कपिल सिब्बल
न्यायमूर्ति सूर्यकांत (हल्के-फुल्के अंदाज में) में कहा कि 12 दिनों में पब्लिसिटी बढ़ गई होगी, लोग अब और देखना चाहेंगे, यही इंसानी फितरत है. वहीं कपिल सिब्बल (जमीयत की ओर से) पेश हुए तो उन्होंने दलील दी कि यह मामला अलग है, हमने पूरी फिल्म देखी है, सिर्फ क्लिप्स नहीं. कभी भी कोई फिल्म रिलीज के बाद कोर्ट द्वारा बैन नहीं की गई. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि 28 जुलाई (सोमवार) को मामला प्राथमिक सुनवाई के लिए लिया जाए. फिल्म निर्माता की ओर से दायर SLP भी निर्णयहीन घोषित कर निपटा दी गई क्योंकि निर्माता केंद्र के संशोधित आदेश का पालन करने को तैयार है.सिब्बल ने कहा कि — वे आर्टिकल 32 की याचिका वापस लेंगे.
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Delhi,Delhi,Delhi