इन बंद मुट्ठियों में छिपी है बिहार चुनाव में NDA की जीत और MGB की हार की कहानी

2 hours ago

पटना.  बिहार चुनाव परिणाम पर पीएम मोदी ने कहा- यह प्रचंड जनादेश हमें जनता-जनार्दन की सेवा करने और बिहार के लिए नए संकल्प के साथ काम करने की शक्ति प्रदान करेगा. इसके साथ ही पीएम मोदी ने एनडीए की एकजुटता की सराहना करते हुए कहा- मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी और एनडीए परिवार के हमारे सहयोगी चिराग पासवान जी, जीतन राम मांझी जी और उपेंद्र कुशवाहा जी को इस जबरदस्त जीत के लिए हार्दिक बधाई देता हूं. पीएम मोदी ने अपने शब्दों से वह बात बयां की है जो बिहार चुनाव की रीयल स्टोरी है- बंद मुट्ठी लाख की! दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राजनीति के हर अनुमान को पलटते हुए एक सच्चाई पूरे दम से सामने रख दी-जब बिखरी हुई ताकतें एक मुट्ठी बन जाती हैं, तब सियासत की सबसे कठिन चुनौतियों पर विजय प्राप्त की जा सकती है.

बिहार चुनाव के परिणाम जिस तरह सामने आए इसने विश्लेषकों से लेकर चुनावी जमीन पर मौजूद आम मतदाताओं तक को एक संदेश साफ दे दिया कि एनडीए की जीत सिर्फ सीटों का गणित नहीं, बल्कि पांच घटक दलों की संगठित राजनीतिक इच्छा और सामूहिक रणनीति का नतीजा है. ये पांच मुट्ठियां ही 2025 की सबसे बड़ी चुनावी कहानी बन गईं. बिहार चुनाव परिणाम ने स्पष्ट संकेत दिया कि प्रदेश की सियासी जमीन पर यह लड़ाई केवल उम्मीदवारों, जातीय समीकरणों या किसी नैरेटिव की नहीं थी, बल्कि अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं के एक सूत्र में बंधकर जनता की भलाई के लिए काम करने के लिए जनता के आदेश का था. इसके विपरीत,महागठबंधन की बिखरी हुई नीति एक ऐसे नेतृत्व संकट का प्रतीक बन गई जिसे जनता ने पूरी तरह नकार दिया.

पीएम मोदी और सीएम नीतीश-विश्वास की सबसे मजबूत मुट्ठी

एनडीए की जीत की नींव सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच अनकहे विश्वास और भरोसे के रिश्ते ने रखी. लंबे समय से साथ निभाने वाली दोनों शख्सियतों के बीच राजनीतिक विश्वास ने गठबंधन को स्थिरता दी. पीएम मोदी ने हर रैली में नीतीश कुमार के नेतृत्व प्रोजेक्ट किया. नीतीश कुमार ने भी डिलीवरी, सुशासन और सामाजिक साख के अपने अनुभव को पूरी तरह चुनावी नैरेटिव में शामिल किया. वह हर चुनावी सभा में बिहार के विकास में पीएम मोदी से मिले सहयोग की सराहना करते रहे. इस जोड़ी को पोस्टरों और अभियानों में सबसे प्रमुखता से दिखाया गया. मतदाताओं को साफ संदेश गया- स्थिर सरकार, आजमाया हुआ नेतृत्व और भरोसे का चेहरा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी पर बिहार की जनता ने फिर भरोसा जताया . (फाइल फोटो)

चिराग पासवान की घर वापसी- एलजेपी की नाराजगी खत्म

2020 के चुनाव में एलजेपी और जेडीयू के बीच दूरी बढ़ गई थी, लेकिन 2025 विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की एनडीए में वापसी उस मुट्ठी की दूसरी उंगली थी जिसने पूरा संतुलन बदल दिया. पिछले चुनाव की कड़वाहट को भुलाकर चिराग पासवान को एनडीए ने सम्मान दिया. पासवान वोट बैंक की कई सीटों पर ठोस पकड़ है जो चिराग पासवान के एनडीए के साथ आने से मजबूती से जुड़ गया. यह एक ऐसा सिग्नल था जिसने दलित समुदाय में एकता और भरोसे का मैसेज दिया और चुनाव परिणाम को प्रचंड बहुमत में बदल दिया.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की 202 सीटों पर जीत

एनडीए दल का नाम
जीती सीटें
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)89
जनता दल (यूनाइटेड) – जेडीयू85
लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) – एलजेपी (आर)19
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) – हम5
राष्ट्रीय लोक मोर्चा – आरएलएम4

उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी शांत- कुशवाहा समीकरण मजबूत

तीसरी मुट्ठी बनी रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की वापसी और उन्हें दिया गया सम्मान. कुशवाहा कभी पीएम मोदी के मंच पर नहीं बुलाए जाने और लगातार सीटों और हिस्सेदारी को लेकर नाराज थे, लेकिन यहां पीएम मोदी और अमित शाह की टीम ने माहिर रणनीति अपनाई. संवाद बढ़ाया गया और सीटों पर व्यावहारिक फॉर्मूला तैयार किया. उन्हें ससम्मान गठबंधन के प्रमुख चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट किया गया. कुशवाहा समाज पर इनका मजबूत असर एनडीए को निर्णायक बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में MGB और अन्य दलों की जीत

महागठबंधन दल और अन्य पार्टियों के नाम
जीती सीटें
राष्ट्रीय जनता दल (राजद)25
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस6
एआईएमआईएम5
भाकपा (माले) लिबरेशन – CPI(ML)(Liberation)2
भाकपा (मार्क्सवादी) – CPI(M1
इंडियन इंक्लूसिव पार्टी – आईआईपी1
बहुजन समाज पार्टी – बसपा1

जीतन राम मांझी को सम्मान देकर एकजुटता का बड़ा संदेश

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी पिछले कुछ महीनों से नाराज़ चल रहे थे. उन्हें लगा था कि गठबंधन में उनकी अहमियत कम की जा रही है. लेकिन, एनडीए की शीर्ष नेतृत्व टीम ने मांझी को सम्मानजनक स्पेस दिया और सीट शेयरिंग में सीटों पर ठोस समाधान पेश किया. चुनाव में उनकी भूमिका को बढ़ाया गया और इसका सीधा असर दलित, महादलित वोटरों की एकजुटता पर पड़ा जो कई सीटों पर निर्णायक रहा.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए, अमित शाह की रणनीति में, नीतीश कुमार, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की एकजुटता ने  महागठबंधन को पीछे छोड़ा.

खुली मुट्ठी’ हार गई, बंद मुट्ठी बिहार चुनाव जीत गई

मोदी, नीतीश, चिराग, कुशवाहा और मांझी की एकजुटता ने वो मुट्ठी बना दी जिसने पूरे गठबंधन को न केवल सामाजिक संतुलन दिया, बल्कि सियासी जमीन पर सामाजिक समीकरण का ऐसा आधार तैयार कर दिया जिसकी काट विपक्षी महागठबंधन नहीं खोज पाया. बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी(आर), हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा की एकता ने चुनावी रणभूमि में बिलकुल पांडवों जैसी रणनीतिक एकजुटता दिखाई. मतदाताओं के बीच यह मैसेज बहुत प्रभावी ढंग से गया कि एनडीए आंतरिक सतह पर मजबूत, स्थिर और संगठित है.

सीट बंटवारे का सामंजस्य-मुट्ठी को और मजबूत किया

इसके साथ ही पिछले छह महीनों में एनडीए ने लगातार कार्यकर्ता सम्मेलन, बूथ स्तर तक पहुंच और सामूहिक रणनीति पर जोर दिया.सबसे महत्वपूर्ण बात-सीट बंटवारे का मुद्दा बिना विवाद के और बहुत शांत ढंग से हल हुआ. जहां महागठबंधन सीटों को लेकर तकरार में उलझा रहा, वहीं एनडीए ने साझा रणनीति, संयुक्त उम्मीदवार और सामूहिक प्रचार को प्राथमिकता दी. इसके उलट, महागठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी एकजुट तस्वीर पेश ही नहीं कर पाया. उनकी मुट्ठी खुली रही और बिखरी हुई, अलग-अलग दिशा में खिंची हुई रही जो चुनाव परिणामों पर असर कर गया.

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव एक मंच पर दिखे तो सही पर चुनावी मैदन में राजद-कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल भी उठे.  (फाइल फोटो)

महागठबंधन की खुली मुट्ठी, बिखरा संदेश

एनडीए की एकजुटता के बीच महागठबंधन की उलझनें सियासी जमीन पर साफ दिखी. राहुल गांधी ने स्थानीय मुद्दों से हटकर वोट चोरी का नैरेटिव बनाया. तेजस्वी यादव अनमने ढंग से साथ तो दिखे, लेकिन बाद में अपनी अलग बदलाव यात्रा पर निकल लिए.सीएम फेस पर लगातार कन्फ्यूजन बना रहा. मुकेश सहनी का सीट बंटवारे को लेकर नाराज होना और फिर उनको डिप्टी सीएम घोषित किया जाना भी एक कमजोर रणनीति साबित हुई. मुस्लिम समाज में संदेश गया कि 18% आबादी के नाम पर कोई हिस्सेदारी नहीं और 3 प्रतिशत वालों डिप्टी सीएम का पद दिया गया. इन सभी वजहों ने महागठबंधन को चुनावी धरातल पर कमजोर कर दिया.

पांच मुट्ठियां अलग-अलग पर कहानी एक, संदेश भी एक

बिहार चुनाव 2025 की कहानी सिर्फ सीटों का खेल नहीं है. यह कुशल नेतृत्व, राजनीतिक सम्मान, रणनीतिक संतुलन और एकजुटता की कहानी है. जब एनडीए की पांच ताकतें एक मुट्ठी बनीं तो जनता ने उसमें स्थिरता, संवाद, डिलीवरी और भरोसे का भविष्य देखा. दूसरी ओर, महागठबंधन की खुली और बिखरी मुट्ठी मतदाताओं को आश्वस्त नहीं कर सकी. इस तरह बिहार की जनता ने मुट्ठी में बंद एकता को चुना और बिखराव को सिरे से खारिज कर दिया.

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