Last Updated:July 25, 2025, 15:49 IST देशवीडियो
दिल्ली के हरियाणा भवन में जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से संवाद किया, तो यह एक प्रतीकात्मक ही नहीं बल्कि बहुत व्यावहारिक पहल भी साबित हुई. इस बैठक में जब भागवत ने यह कहा कि मुसलमान इस देश के उतने ही सम्मानित नागरिक हैं जितने कोई और तो मौलानाओं की आंखों में उम्मीद की एक नई चमक थी. मुस्लिम प्रतिनिधियों को यह भरोसा मिला कि मतभेदों के बावजूद मनभेद नहीं होने चाहिए. लिंचिंग से लेकर मदरसों की शिक्षा सुधार तक हर विषय पर खुलकर बात हुई. जब भागवत ने खुद कहा कि हमें मिलकर समाज में फैले भ्रम और कट्टरता को दूर करना है, तो मौलानाओं ने इस खुले संवाद को भविष्य में विश्वास की बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम माना. मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने इस पहल को सराहा और इसे सामाजिक समरसता की ओर एक निर्णायक शुरुआत करार दिया. भागवत की यह स्पष्टता कि हिंदुत्व की विचारधारा किसी धर्म के विरुद्ध नहीं है, कई पुरानी भ्रांतियों को दूर कर गई। यही कारण है कि बैठक से निकलते वक्त मौलाना सिर्फ खुश नहीं थे वे आश्वस्त भी थे.