India-Bhutan Relations: भारत और भूटान ने एक बार फिर अपनी गहरी दोस्ती को साबित कर दिखाया है. भूटान में 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछु-II जलविद्युत परियोजना पूरी हो गई है, जिसके साथ भूटान की बिजली उत्पादन क्षमता 40% बढ़कर 3500 मेगावाट से अधिक हो गई है. इस परियोजना का अंतिम यूनिट (170 मेगावाट) 27 अगस्त 2025 को ग्रिड से जोड़ा गया. थिम्पू में भारत के दूतावास ने इसे ऐतिहासिक पल बताते हुए कहा कि आज, अंतिम यूनिट के ग्रिड से जुड़ने के साथ, पुनात्सांगछु-II परियोजना ने अपनी सफलता हासिल कर ली. इस मौके पर पावरहाउस में एक भव्य समारोह हुआ."
इस समारोह में भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे, ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधन मंत्री लियोनपो गेम शेरिंग, भारत के राजदूत सुदर्शन दलेला, और दोनों देशों के कई बड़े अधिकारी शामिल हुए. भारत ने इस परियोजना को पूरी तरह से फंड किया है, जिसमें 30% अनुदान और 70% कम ब्याज वाला ऋण शामिल है. यह परियोजना भारत-भूटान की उस मजबूत साझेदारी का हिस्सा है, जो जलविद्युत क्षेत्र में दशकों से चली आ रही है. दोनों देशों ने मिलकर पहले भी चुखा (336 मेगावाट), कुरिछु (60 मेगावाट), ताला (1020 मेगावाट), और मंगदेछु (720 मेगावाट) जैसी परियोजनाएं पूरी की हैं.
पुनात्सांगछु-II इस कड़ी में एक और मील का पत्थर है. यह परियोजना भूटान को सस्ती और स्वच्छ बिजली देगी, साथ ही अतिरिक्त बिजली भारत को निर्यात होगी, जिससे भूटान की अर्थव्यवस्था को और ताकत मिलेगी. वांगदु फोडरांग जिले में पुनात्सांगछु नदी पर बनी इस परियोजना की शुरुआत 2010 में हुई थी. बाढ़, भौगोलिक चुनौतियों और कोविड-19 जैसी बाधाओं के बावजूद भारत की तकनीकी विशेषज्ञता और सहयोग से इसे पूरा किया गया.
शुरुआती लागत 37.78 अरब रुपये थी, जो बढ़कर 94.45 अरब रुपये हो गई. फिर भी, यह परियोजना भूटान की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और भारत के साथ उसके रिश्तों को और मजबूत करने में अहम साबित होगी. मार्च 2024 के संयुक्त विजन दस्तावेज में भारत और भूटान ने स्वच्छ ऊर्जा में साझेदारी को और गहरा करने का वादा किया था. यह परियोजना उस दिशा में एक बड़ा कदम है. क्षेत्रीय स्तर पर इसका असर पड़ोसियों, खासकर चीन और पाकिस्तान, पर पड़ सकता है.
पाकिस्तान-चीन के लिए संदेश
इस परियोजना से भारत का दक्षिण एशिया में प्रभाव बढ़ेगा, जो पाकिस्तान और चीन के लिए चिंता का विषय हो सकता है. खासकर चीन, जो भूटान के साथ सीमा विवाद में उलझा है, इस साझेदारी को देखकर अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर सकता है. विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत की कूटनीतिक जीत है. पुनात्सांगछु-II परियोजना भारत के लिए बिजली, अर्थव्यवस्था, और रणनीति के लिहाज से एक बड़ा तोहफा है, जिसके लिए भूटान की जनता भी भारत को धन्यवाद देगी. डोकलाम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भारत-भूटान की यह साझेदारी न केवल आर्थिक, बल्कि रणनीतिक रूप से भी ताकतवर संदेश देती है.
पाकिस्तान और चीन की संभावित प्रतिक्रिया
हालांकि, इस खबर पर पाकिस्तान और चीन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव को दर्शाता है. भूटान की हर जनता इस उपलब्धि के लिए भारत को धन्यवाद देगी, और यह साझेदारी भविष्य में और भी स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देगी.