Last Updated:August 28, 2025, 09:06 IST
India Air Dfence System: रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान युद्ध के बाद ऑपरेशन सिंदूर से सबक सीखते हुए भारत ने देसी एयर डिफेंस सिस्टम डेवलप करने का काम शुरू कर दिया है. इसे तीन लेयर में विकसित किया गया है.

India Air Dfence System: भारत ने देसी एयर डिफेंस सिस्टम को डेवलप करने की दिशा में पहला बड़ा कदम उठा लिया है. देसी वायु रक्षा प्रणाली फाइटर जेट, मिसाइल और ड्रोन को तबाह करने में सक्षम है. आने वाले समय में इस ‘सुदर्शन चक्र’ के इस तरह कि डेवलप किया जाएगा कि F-35 जैसे जेट भी महज परिंदा बनकर रह जाएंगे. इस पूरे सिस्टम को तीन लेयर में तैयार किया गया है, ताकि यदि किसी एक चक्र से दुश्मनों का वार बच भी जाए तो दूसरे और तीसरे लेयर में वह फंस कर रह जाए.
दरअसल, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 23 अगस्त को ओडिशा तट से Integrated Air Defence Weapon System (IADWS) का सफलतापूर्वक पहला परीक्षण किया था. यह भारत का पहला पूरी तरह से स्वदेशी मल्टी-लेयर एयर डिफेंस शील्ड है. यह शील्ड मिसाइलों, फाइटर जेट्स और ड्रोन जैसे हवाई खतरों को एक साथ निष्क्रिय करने में सक्षम है. टेस्ट डेमो में IADWS ने एक ही समय में तीन टारगेट (दो हाई-स्पीड UAVs और एक मल्टीकॉप्टर ड्रोन) को अलग-अलग ऊंचाइयों और रेंज पर मार गिराया. यह भारत की मल्टीलेयर वायु-रक्षा क्षमता का प्रत्यक्ष प्रमाण है.
तीन लेयर का सुरक्षा चक्र
यह प्रणाली तीन प्रमुख स्वदेशी तकनीकों को इंटीग्रेट करती है.
QRSAM (Quick Reaction Surface-to-Air Missile): 25-30 किमी रेंज और 10 किमी ऊंचाई तक टारगेट हिट करने में सक्षम. 8×8 मोबाइल व्हीकल्स पर माउंटेड, यह फायर-ऑन-द-मूव क्षमता देता है.
VSHORADS (Very Short Range Air Defence System): लो-एल्टीट्यूड खतरों को टैकल करने वाला पोर्टेबल और फील्ड-डिप्लॉयबल सिस्टम.
Directed Energy Weapon (DEW): 30 किलोवॉट लेजर जो 3.5 किमी तक ड्रोन, हेलिकॉप्टर और मिसाइल को ध्वस्त कर सकता है.
ये सभी एक सेंट्रलाइज्ड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से नियंत्रित होते हैं, जिसे DRDL ने विकसित किया है.
ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख
यह सफलता मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में अहम मानी जा रही है, जब भारतीय रक्षा प्रणाली ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को निष्क्रिय किया था. उसी ऑपरेशन ने स्वदेशी एयर शील्ड की तात्कालिक जरूरत को उजागर किया.
स्टार वॉर टेक्नोलॉजी
रूस, चीन और ईरान जैसे देशों के पास पहले से ही इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जो अमेरिकी एयर पावर को एक निश्चित दूरी पर रोकते हैं. IADWS उसी रणनीति का भारतीय संस्करण है, जो विशेष रूप से क्षेत्रीय खतरों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. DRDO प्रमुख समीर वी. कामत ने कहा, ‘यह सिर्फ शुरुआत है. हम हाई-एनर्जी माइक्रोवेव्स और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स जैसी तकनीकों पर भी काम कर रहे हैं, जो हमें स्टार वॉर्स जैसी क्षमता देंगे.’
इंजन की कमी
यह उपलब्धि भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता (Indigenisation) की दिशा में बड़ी छलांग है. हालांकि, देश फाइटर जेट इंजन टेक्नोलॉजी में भारत अब भी विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर है. कावेरी इंजन पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च के बावजूद सफलता नहीं मिली. तेजस और AMCA जैसे प्रोजेक्ट्स आज भी अमेरिकी, फ्रांसीसी और रूसी इंजनों पर टिके हैं. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से आह्वान किया था कि देश को स्वदेशी जेट इंजन विकसित करना होगा. मिसाइल और रडार में प्रगति के बावजूद यह कमी भारत की सबसे बड़ी रणनीतिक कमजोरी बनी हुई है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 28, 2025, 09:06 IST