Last Updated:June 05, 2025, 08:38 IST
JNU में 2018 की हड़ताल के चलते 45 फैकल्टी मेंबरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई थी. सात शिक्षकों ने बिना शर्त माफी मांगकर मामले से खुद को अलग कर लिया है. 35 मामलों पर कार्रवाई जारी है.

JNU हड़ताल मामले में 7 फैकल्टी मेंबरों ने माफी मांगी हैं.
हाइलाइट्स
सात फैकल्टी मेंबरों ने बिना शर्त माफी मांगी.35 फैकल्टी मेंबरों पर कार्रवाई जारी है.माफी मांगने वालों को पदोन्नति और छूट मिली.JNU Faculty News: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में 2018 में हुए एक दिन की हड़ताल के चलते 45 फैकल्टी मेंबरों के खिलाफ शुरू हुई अनुशासनात्मक कार्रवाई से जुड़े सात शिक्षकों ने पिछले सात महीनों में बिना शर्त माफी मांगते हुए मामले से खुद को अलग कर लिया है. इस कदम के बाद उनके खिलाफ चल रही कार्रवाई बंद कर दी गई है.
सात फैकल्टी मेंबरों ने किया मामला वापस, प्रशासन ने दी छूट
दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे इन मामलों की अगली सुनवाई अक्टूबर 2025 में तय है. हालांकि, माफी मांगने वाले सातों मेंबरों को अनुशासनात्मक आरोपों से राहत मिली है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इनमें से कुछ मेंबरों को विश्वविद्यालय के विभिन्न स्कूलों में अध्यक्ष के पदों पर भी नियुक्त किया गया है.
माफी का पहला दौर अक्टूबर 2024 में शुरू हुआ
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पहला ग्रुप अक्टूबर 2024 में सामने आया, जब चार फैकल्टी मेंबरों ने मामले से खुद को हटाकर प्रशासन से बिना शर्त माफी मांगी. इनमें एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर और दो सहायक प्रोफेसर शामिल थे, जो भाषा और सामाजिक विज्ञान के स्कूल से संबंधित थे. माफी के बाद इन सभी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही समाप्त कर दी गई और कुछ को पदोन्नत भी किया गया.
पदोन्नति और सम्मान के साथ छूट मिली
माफी मांगने के बाद एक प्रोफेसर को केंद्र के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया, जबकि एक सहायक प्रोफेसर को पदोन्नति देकर एसोसिएट प्रोफेसर बनाया गया और मार्च 2025 में अध्यक्ष के पद पर भी नियुक्त किया गया. इसके अलावा, प्रोफेसर ने राष्ट्रीय आपदा राहत कोष में सद्भावना के रूप में 10,000 रुपये का योगदान भी दिया.
अप्रैल 2025 तक तीन और मेंबरों ने माफी दी
इस वर्ष अप्रैल तक तीन अन्य संकाय सदस्यों ने भी बिना शर्त माफी मांगी और मामले से हट गए. इनमें दो प्रोफेसर (भाषा एवं सामाजिक विज्ञान से) और एक एसोसिएट प्रोफेसर शामिल हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार जिन्होंने मामले से हटने और माफी मांगने की प्रक्रिया अपनाई, जिनमें से तीन ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और चार ने कोई जवाब नहीं दिया.
कुल 45 में से अब 35 का मामला सक्रिय
हालांकि, अभी भी 45 में से 35 फैकल्टी मेंबरों के खिलाफ मामले जारी हैं. इनमें से दो की मृत्यु हो चुकी है, एक सेवानिवृत्त हो चुका है और एक याचिका वापस ले चुका है. सूत्रों के मुताबिक, पदोन्नति के लिए कुछ सहायक प्रोफेसरों को यह शर्त दी गई है कि वे बिना शर्त माफी मांगें और मामले से हटें.
विवादित पदोन्नति प्रक्रियाएं
एक मामले में ऐसे फैकल्टी मेंबरों को जिसे चयन समिति ने प्रोफेसर पद के लिए चुना और विश्वविद्यालय के वैधानिक निकायों ने मंजूरी भी दी, नियुक्ति प्रस्ताव नहीं मिला. उसे अदालत से हटने और माफी मांगने के लिए सलाह दी गई. विश्वविद्यालय ने इस पर आरोपों को निराधार बताया है.
अनुशासनात्मक कार्रवाई की पृष्ठभूमि
2018 में लागू की गई यह कार्रवाई केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों के तहत की गई, जो आमतौर पर सरकारी कर्मचारियों पर लागू होते हैं और हड़ताल जैसे आंदोलन को प्रतिबंधित करते हैं. यह कार्रवाई उस समय के कुलपति एम. जगदीश कुमार के आदेशों के आधार पर शुरू की गई थी.
हड़ताल का कारण और विरोध
फैकल्टी मेंबरों ने 31 जुलाई 2018 को विश्वविद्यालय में नियुक्ति प्रक्रिया में कथित गड़बड़ी, आरक्षण नीतियों में कमी, और त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन के विरोध में जेएनयू शिक्षक संघ (JNUTA) के नेतृत्व में हड़ताल की थी. जेएनयूटीए ने बार-बार आरोप पत्र के तहत फैकल्टी मेंबरों की पदोन्नति में रुकावट पर सवाल उठाए हैं. मार्च 2025 में JNUTA ने कुलपति के समक्ष इस मुद्दे को रखा, लेकिन विश्वविद्यालय ने अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है.
JNUTA अध्यक्ष सुरजीत मजूमदार ने बताया कि अनुशासनात्मक कार्यवाही रोकने के लिए बिना शर्त माफी मांगना एक पूर्व शर्त बन गई है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है. उन्होंने इसे शिक्षकों के शांतिपूर्ण विरोध को दंडित करने के लिए गलत नियम लागू करने की एक कोशिश बताया.
पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...और पढ़ें
पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...
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