Last Updated:June 06, 2025, 18:06 IST
Covid-19: देश में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, 5300 से अधिक सक्रिय केस हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन सतर्क रहना जरूरी है. केरल सबसे प्रभावित राज्य है.

कोविड के बढ़ते मामलों के पीछे एक्सपर्ट्स ने कई कारण बताए हैं.(Image:PTI)
हाइलाइट्स
देश में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं, 5300 से अधिक सक्रिय केस हैं.केरल सबसे अधिक प्रभावित राज्य है, 1600 से अधिक सक्रिय मामले हैं.विशेषज्ञों के अनुसार सतर्क रहना जरूरी, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं.नई दिल्ली. देश में कोविड-19 के मामले एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं, जिससे आम लोगों के मन में चिंता बढ़ गई है. हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहना जरूरी है. एक्सपर्ट के अनुसार यह उछाल वायरस के सब-वेरिएंट, मौसमी बदलाव, अत्यधिक गर्मी और वातानुकूलित जगहों में रहने की मजबूरी के कारण देखने को मिल रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 6 जून तक देश में कोविड के एक्टिव केस 5,300 से अधिक हो चुके हैं. पिछले 24 घंटों में ही लगभग 500 नए कोविड मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से 4,700 से अधिक लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि जनवरी से अब तक 55 लोगों की मौत हुई है. इन मौतों में अधिकतर पहले से गंभीर बीमारी से ग्रसित लोग शामिल हैं.
क्या कह रहे एक्सपर्ट?
वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहरिया के मुताबिक अब कोविड एक हल्की श्वसन बीमारी बन गई है और फ्लू से भी कम खतरनाक है. यह अब एक मौसमी बीमारी जैसा ही है और विशेष चिंता की जरूरत नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि बुजुर्ग लोगों और पहले से बीमार लोगों को सामान्य सावधानियां अपनाते रहनी चाहिए. हरियाणा के अशोका विश्वविद्यालय के डीन डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि अब जो वेरिएंट फैल रहे हैं वे कम घातक लेकिन ज्यादा संक्रामक हैं. जिन लोगों को पहले संक्रमण हो चुका है या टीका लग चुका है, उनमें गंभीर बीमारी की आशंका बेहद कम है.
किन राज्यों में ज्यादा असर?
केरल सबसे अधिक प्रभावित राज्य है, जहां 1,600 से अधिक सक्रिय मामले हैं. इसके बाद गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और महाराष्ट्र में भी मामलों में तेजी देखी गई है.
वायरस के वेरिएंट पर निगरानी
ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने जानकारी दी कि देश में फिलहाल LF.7, NB.1.8.1, JN.1 जैसे ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट्स पाए गए हैं, जो ज्यादा गंभीर नहीं हैं. इनमें से कुछ को WHO ने ‘वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग’ श्रेणी में रखा है, जो आम लोगों के लिए नहीं बल्कि केवल स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण है.
पानी की टेस्टिंग से मिला संकेत
CSIR की पुणे स्थित राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (NCL) ने अपने पानी के परीक्षणों में कोविड वायरस के जीन की मौजूदगी पाई है. यह वही पैटर्न है जो पिछली लहर से पहले देखा गया था, जिससे संक्रमण बढ़ने के संकेत मिलते हैं.
प्रतिरक्षाविज्ञानी सत्यजीत रथ ने कहा कि गंभीरता का नहीं, बल्कि निगरानी का समय है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को वायरस की निगरानी, टीके की उपलब्धता और गरीब वर्गों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मास्क मुफ्त में उपलब्ध कराए जा रहे हैं? क्या गरीबों को स्वयं की सुरक्षा के लिए छोड़ा जा रहा है? भले ही कोविड-19 अब एक गंभीर महामारी नहीं रहा, लेकिन इसके नए रूपों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. विशेषज्ञों का कहना है कि सावधानी, सही जानकारी और सरकारी निगरानी ही इसके प्रसार को रोक सकती है.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in ...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi