Last Updated:June 07, 2025, 08:32 IST
Chenab Bridge Story: पीएम मोदी ने जिस चिनाब ब्रिज का उद्घाटन किया है, वह इंजीनियरिंग की बड़ी उपलब्धि है. इसके निर्माण में प्रोफेसर जी माधवी लता का बहुत अहम योगदान रहा है.

कौन हैं माधवी लता जिन्होंने Chenab Railway Bridge निर्माण में अहम भूमिका निभाई हैं.
हाइलाइट्स
माधवी लता ने चिनाब ब्रिज निर्माण में अहम योगदान दिया.चिनाब ब्रिज नदी की सतह से 359 मीटर ऊंचा है.चिनाब ब्रिज की कुल लागत 1,486 करोड़ रुपये है.Chenab Bridge Story: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए चिनाब ब्रिज तकनीकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है. इस पुल को बनाने में भारतीय विज्ञान संस्थान के एक प्रोफेसर ने 17 साल समर्पित किए. इस प्रोजेक्ट में उत्तरी रेलवे ने रॉक इंजीनियरिंग विशेषज्ञ, जी माधवी लता को भी शामिल किया था. माधवी लता ने ठेकेदार कंपनी एफकॉन्स के साथ मिलकर पुल की नींव और ढलान को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
जी माधवी लता सिविल इंजीनियरिंग विभाग में जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग की विशेषज्ञ हैं. उन्होंने अपनी पीएचडी आईआईटी मद्रास से पूरी की. इसके बाद आईआईएससी में पोस्टडॉक्टरल रिसर्च की. उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में भी काम किया और फिर 2003 में आईआईएससी से जुड़ गईं.
बचपन का सपना और रिसर्च की दिशा
माधवी लता का बचपन का सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन उन्हें अपने परिवार से उस सपने के लिए समर्थन नहीं मिला. बी.टेक के दौरान उनके शिक्षकों ने उनके शोध की प्रतिभा को पहचाना और कहा कि वे एक उत्कृष्ट शोधकर्ता बनेंगी. उनका असली वैज्ञानिक जुनून एम.टेक के समय ही जागृत हुआ.
इस फील्ड में हैं माहिर
माधवी लता की रुचि मिट्टी के सुदृढ़ीकरण और सूक्ष्म स्तर पर शियर मेकेनिज्म (Shear Mechanism) को समझने में है.उन्होंने इमेज बेस्ड तकनीकों का इस्तेमाल कर भू-सिंथेटिक्स की सतह पर होने वाले सूक्ष्म बदलावों को समझा और इसे पुल की मजबूती से जोड़ा. उनकी विशेषज्ञता ने चिनाब ब्रिज को स्थिर और टिकाऊ बनाने में मदद की. इसके अलावा, माधवी रॉक इंजीनियरिंग में भी सक्रिय हैं, जहां वे कंपोजिट रॉक मास की संख्यात्मक मॉडलिंग और चट्टान ढलानों तथा सुरंगों की स्थिरता के विश्लेषण पर काम करती हैं.
चिनाब ब्रिज की खासियतें
यह पुल नदी की सतह से 359 मीटर ऊंचा है, जिसकी ऊंचाई एफिल टॉवर से भी अधिक है. इसकी कुल लागत 1,486 करोड़ रुपये है. रियासी जिले की घाटी पर बने इस पुल को दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज माना जाता है. इसकी लंबाई 1,315 मीटर और स्टील की मेन आर्च 467 मीटर लंबी है, जो पूरी दुनिया में प्रशंसा का विषय है.
पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...और पढ़ें
पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...
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