Ground Report: ‘ज़िंदगी का सबसे मुश्किल...’, 5 हजार करोड़ की आर्थिकी पर संकट

2 days ago

Last Updated:September 12, 2025, 12:01 IST

शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी में भारी बारिश और भूस्खलन से सेब बागवानों को बड़ा नुकसान हुआ, कोटखाई में 95 प्रतिशत सड़कें बहाल, 1.50 करोड़ पेटियां मंडियों तक पहुंचीं.

 ‘ज़िंदगी का सबसे मुश्किल...’, 5 हजार करोड़ की आर्थिकी पर संकटहिमाचल के ऊपरी इलाकों में सेब पर बड़ा संकट आया है.

शिमला. हिमाचल के लाल सेब पर इस साल भी आपदा की काली छाया पड़ गई है. शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी जिला समेत उन तमाम जगहों पर जहां सेब होता है, वहां पर हजारों बागवानों की मेहनत पर पानी फिर गया है. सेब के हजारों पेड़ भारी बारिश और भूस्खलन की भेंट चढ़ गए हैं और जो सेब बचे हैं वो सड़कें बंद होने के चलते समय पर फल मंडियों तक नहीं पहुंच पाए हैं. इससे न केवल बागवानों को नुकसान हुआ है बल्कि हिमाचल प्रदेश की 5 हजार करोड़ की सेब की आर्थिकी को भी तगड़ा झटका लगा है. साथ ही लाखों लोगों के रोजगार पर भी असर पड़ा है.

न्यूज18 ने शिमला के शिमला के कोटखाई में सेब बेल्ट की ग्राउंड पर जाकर रिपोर्ट तैयार की. कोटखाई को एप्पल बॉउल के नाम से भी जाना जाता है. कोटखाई में सेब बागवानों की ज़िंदगी इस वक्त सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है. भारी बारिश और भूस्खलन ने बागवानों को झटका तो दिया ही लेकिन साथ ही सेब के पेड़ की पत्तियों में लगी बीमारी ने चिंता और बढ़ा दी है. यहां तो स्थिति ऐसी है कि जिन इलाकों के लिए सड़क मार्ग बहाल नहीं हो पाया है, वहां से पुराने जमाने की तरह स्पैन लगाकर सेब निकालना पड़ रहा है. यानी कि पुराने समय में जिस तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था, आज वही, सहारा बन गया है.

बीमारी और कुदरत, दोनों का कहर

उबादेश के बलान गांव के रहने वाले सेब बागवान बालकृष्ण समझ नहीं पा रहे हैं कि ये बीमारी कौन सी है. बालकृष्ण के बागीचे में सेब की फसल अभी भी खड़ी है. बालकृष्ण ने News 18 से कहा कि पहले तो बारिश ने परेशान किया और अब इस बीमारी ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं, इसके इलाज के लिए कई महंगी दवाइयों का छिड़काव भी किया लेकिन कोई हल नहीं निकला, अब चिंता अगले साल की फसल को लेकर है, अगर ये बीमारी ठीक नहीं हुई तो आने वाले साल में फसल अच्छी नहीं होगी. उन्होंने बताया कि कोटखाई में कई इलाकों में कुछ जगहों पर तो स्थिति ये है कि पेड़ पर सेब ही बचे हैं, पत्तियां सारी झड़ गई हैं.

उन्होंने कहा कि बारिश के चलते फल मंडी तक सेब ले जाने में 10 दिन से ज्यादा की देरी हो चुकी है, जिसका असर सीधे दाम पर पड़ता है. कोटखाई की यह तस्वीरें हैं बता रही हैं कि ऊपरी शिमला में प्रकृति ने सेब बागवानों पर किस तरह कहर बरपाया है. वहीं, अब सेब के पत्तियों में बीमारी फैलने से उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ेगा.

जमीन धंसने से 400 पेड़ों को नुकसान हुआ- विशान
नगान पंचायत के कोलवी गांव के रहने वाले विशाल बेक्टा का कहना है कि उनके बागीचे की जमीन धंस गई है, जिसके चलते घर को क्षति पहुंची और 5 बीघे के बागीचे में लगे 400 से ज्यादा सेब के पेड़ों को नुकसान पहुंचा है. विशाल बेक्टा और उनकी पत्नी संतोष बेक्टा इसके लिए लोक निर्माण विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. पति-पत्नी का कहना है कि पीडब्लूडी ने सड़क तो बनाई लेकिन न तो डंगे दिए और न ही ड्रैनेज सिस्टम बनाया, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि स्थानीय विधायक और कैबिनेट मंत्री रोहित ठाकुर यहां से गुजरे लेकिन उनकी बात सुनने के लिए नहीं रुके.

15 दिन से सड़क बंद पड़ी है-राजेंद्र

खल्टूनाला के रहने वाले विकास काल्टा ने बताया कि कई इलाकों में अभी भी बड़ा गाड़ियां नहीं जा पा रही है, संपर्क मार्ग खुल तो गए हैं लेकिन परेशानी अभी बनी हुई है. उबादेश के ही रहने वाले सेब बागवान और व्यापारी राजेंद्र का कहना है कि मेलठ क्षेत्र के लिए पिछले 15 दिनों से सड़क बंद पड़ी हुई है, इस इलाके के लोग गुम्मा तक पैदल ही आ रहे हैं, शुरूआत एक बार सड़क खुल गई थी लेकिन फिर बंद हो गई. उन्होंने कहा कि यहां पर बागवानों को करोड़ों का नुकसान हुआ है.

पूरे इलाके में भीषण नुकसान हुआ

खल्टूनाला के ही रहने वाले बागवान मिगर चंद काल्टा ने कहा कि पूरे इलाके में भीषण नुकसान हुआ है लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों में सरकार ने जिस तरह से राहत देने की कोशिश की है, वो काबिलेतारीफ है. उन्होंने कहा कि यहां पर भयंकर बारिश से सड़कों को इतना नुकसान पहुंचा था कि लगता था कि सड़क खुलने में कई हफ्ते लग जाएंगे लेकिन जैसे ही मौसम ने साथ दिया तो सरकार ने तुरंत जरूरी सड़कें खोल दीं.

कई इलाकों में बी ग्रेड सेब बोरियों में पड़ा सड़ रहा है.

कोटखाई की तरह प्रदेश के अन्य इलाकों के सेब बागवानों की भी यही कहानी है, कई जगह तो यह नौबत आ रही है कि सेब पेड़ों पर ही खराब होना शुरू हो गया है. कई इलाकों में बी ग्रेड सेब बोरियों में पड़ा सड़ रहा है. कुछ जगहों से सूचना ये भी आ रही है कि कई बागवान अपने उत्पाद को औने-पौने दामों में बेचने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि सेब की गुणवत्ता पर आपदा की परछाई साफ नजर आ रही है.

कई बागवान अपने उत्पाद को औने-पौने दामों में बेचने के लिए मजबूर हैं.

कोटखाई उपमंडल की 95 प्रतिशत सड़कें बहाल

स्थानीय विधायक और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने सूचना दी है कि अब कोटखाई उपमंडल की 95 प्रतिशत सड़कें बहाल कर दी हैं. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आपदा प्रभावितों को अधिक से अधिक मदद पहुंचाई जाए. उन्होंने जानकारी दी है कि इस लोक निर्माण विभाग के अधीन लगभग 300 सड़कें हैं, जिन्हें अब तक लगभग 170 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इनमें से 40 करोड़ रुपये का नुकसान अकेले ठियोग-हाटकोटी सड़क को हुआ है. सेब सीजन के उपरांत सड़कों की पक्की मरम्मत, डंगे निर्माण तथा आपदा से हुई अन्य क्षतियों की भरपाई की जाएगी. वर्तमान में प्राथमिकता यह है कि बागवानों की उपज बिना किसी बाधा के मंडियों तक पहुंच सके.

कोटखाई के बागवान विशाल काल्टा ने शेयर की परेशानी.

इस सीजन में 1.50 करोड़ सेब की पेटियां मंडियों तक पहुंची

इस सीजन में अब तक लगभग 1.50 करोड़ सेब की पेटियां मंडियों तक पहुंचाई जा चुकी हैं, जो कुल उत्पादन का लगभग 60 प्रतिशत है. शेष 40 प्रतिशत सेब भी सफलतापूर्वक बाजार तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है. कोटखाई क्षेत्र में 37 एप्पल कलेक्शन सेंटर को क्रियाशील कर दिया गया हैं. इनके माध्यम से लगभग 11 हजार मीट्रिक टन सेब की खरीद की गई है, जिसमें से 7 हजार मीट्रिक टन सेब आगे भेजा जा चुका है.
कोटखाई में अब तक 8 मकान पूरी तरह और 40 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं.

Vinod Kumar Katwal

Results-driven journalist with 14 years of experience in print and digital media. Proven track record of working with esteemed organizations such as Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesari and Amar Ujala. Currently...और पढ़ें

Results-driven journalist with 14 years of experience in print and digital media. Proven track record of working with esteemed organizations such as Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesari and Amar Ujala. Currently...

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Location :

Himachal Pradesh

First Published :

September 12, 2025, 12:01 IST

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