लखनऊ से तक़रीबन 150 किलोमीटर दूर बहराइच ज़िले में फिर भेड़िए का आतंक लौट आया है. कैसरगंज तहसील के कुछ गांवों में भेड़ियों के हमले फिर शुरू हो गए हैं. पिछले साल करीब इसी मौसम और महीने में भेड़ियों ने बहराइच समेत यूपी के कई जिलों में आतंक मचा दिया था लेकिन इसका आतंक बहराइच में कुछ जरूरत से ज्यादा ही रहता है.
ये 20 सितंबर का वाकया है. अनीता के तीन साल के बेटे को भेड़िया आंगन से खींचकर ले गया. वह बताती हैं, हम मसाला पीस रहे थे. बच्चा अपनी बहन की गोद में बैठा खा रहा था. तभी दो जानवर आए और बच्चे को खींच ले गए. हम एक तरफ से पकड़े थे लेकिन जब दूसरा जानवर हम पर झपटा तो बच्चा हाथ से छूट गया. बच्चे का पता नहीं है. अनीता का पूरा परिवार सदमे में है.
बीते दो हफ़्तों से बहराइच के गांवों में भेड़िए के हमले लगातार हो रहे हैं. वो बच्चों को खींचकर ले जा रहे हैं. हमला कर रहे हैं. शुरुआत 9 सितंबर को पराग पुरवा गांव से हुई थी. वहां दादा के सामने खाना खा रही तीन साल की बच्ची को भेड़िया रात करीब आठ बजे उठा ले गया. बच्ची का शव अगले दिन सुबह पास के गन्ने के खेत में मिला था, जिसके शरीर का आधा हिस्सा ग़ायब था.
आखिर क्या वजह है कि बरसात के मौसम के खत्म होते होते भेड़ियों का आतंक छाने लगता है. वो घरों पर हमला करते हैं. बच्चों को खींचकर ले जाते हैं. लोगों पर हमला करके उन्हें लहूलुहान कर देते हैं.
सवाल – यूपी के बहराइच में सितंबर में भेड़ियों का आतंक हर बार छाने लगता है, वजह क्या है?
– भेड़ियों के हर साल इस समय में होने वाले हमलों के कई कारण हैं. कुछ बातें कॉमन हैं, जो हर साल उनके इस महीने में आतंक शुरू होने के पीछे कही जाती हैं. उनके रहने की जगह कम हो रही है. खाना कम हो गया है. नेचर के साथ जो उनका संतुलन बना रहना चाहिए, उसमें कमी हुई है. वन्य पर्यावरण से जुड़े लोगों का कहना है कि चूंकि जंगल कम हो गए हैं. उनको खाने के लिए शिकार नहीं मिल पा रहे हैं लिहाजा बिहेवियर बदल रहा है. पहले वो इंसानी बस्तियों से दूर रहते थे लेकिन अब जबकि इंसानी बस्तियां फैल रही हैं. उनके रहने की जगह के करीब पहुंच गई हैं, लिहाजा वो अब इंसानों पर ही हमले करने लगे हैं. उन्हें अपना शिकार बना रहे हैं. लेकिन इस समय वजह ये होती है कि बरसात के कारण उनके रहने की जगह पर असर पड़ता है और उन्हें अपने दायरे से बाहर निकलना पड़ता है.
सवाल – भेड़ियों के ताजा हमलों के पीछे क्या इस बार भी घाघरा नदी का बढ़ा पानी है?
– ताजातरीन खबर ये है कि घाघरा नदी का पानी पिछले एक महीने से बढ़ा हुआ है. बहराइच में घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से कई गांव प्रभावित होते हैं. इस बार भी बाढ़ और जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति बन जाती है.
ये स्थिति नेपाल से छोड़े गए पानी और लगातार बारिश के कारण बहराइच में घाघरा नदी में आती है. वन विभाग से जुड़े अफसरों और विशेषज्ञों का कहना है कि घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने और बाढ़ आने से भेड़ियों को अपना नेचुरल आवास छोड़कर बस्तियों के करीब आना पड़ा है.
घाघरा नदी में आई बाढ़ की वजह से भेड़ियों को अपना प्राकृतिक रिहाइश छोड़नी पड़ी. उसके बाद से ही बहराइच में उनका आतंक शुरू हुआ. (image generated by Mata ai)
आमतौर पर भेड़िए नदी के पास ही रहते हैं ताकि उन्हें प्राकृतिक तौर पर खाना और पानी मिल सके. बाढ़ आने से उन्हें अपना घर छोड़कर जब भागना पड़ा तो उनके सामने खाने और पानी दोनों का संकट होगा. दूसरे वह इसी वजह से तनाव में भी होंगे. जब तब वह अपनी पुरानी जगह नहीं लौटते, तब तक उनका आतंक बना रहेगा.
सवाल – क्या इसमें बारिश भी कोई वजह है?
– हां, जिस तरह बाढ़ के कारण उन्हें घर छोड़ना पड़ा, उसी तरह ज्यादा बारिश के कारण कहीं और भी रहने के लिए कोई महफूज जगह नहीं मिल रही, इससे उनकी मुश्किलें और टेंशन भी ज्यादा हो गया होगा.
सवाल – वो आमतौर पर बच्चों पर ही हमला क्यों कर रहे हैं?
– आमतौर छह के आसपास भेड़ियों का समूह एकसाथ रहता है. वह हमले साथ मिलकर ही करते हैं. चूंकि शायद उनके लिए खाना अब खाना हो रहा है तो उन्होंने ये समझ लिया कि अगर वो इंसानी बच्चों पर हमला करेंगे तो ये उनके लिए आसान रहेगा. इसमें कोई प्रतिरोध नहीं होगा, लिहाजा पिछले कुछ सालों से जब भी भेड़ियों के आतंक की खबरें आती हैं, तब यही खबरें आती हैं कि वो बच्चों को उठाकर ले जा रहे हैं.
सवाल – मिक्स ब्रीड भेड़िए क्या हैं, इन्हें क्यों इंसानों के लिए खतरनाक बताया जा रहा है?
– वोल्फ डॉग ब्रीड एक खतरनाक मिक्स नस्ल है, जो भेड़िया और कुत्तों के तालमेल से पैदा होने वाली नस्ल है. इन्हें भेड़िया कुत्ता कहा जाता है. इनमें जंगली और घरेलू जीन का मिश्रण होता है, जो इनके अप्रत्याशित व्यवहार का कारण बन सकता है. जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, उनका व्यवहार भेड़ियों जैसा होता जाता है.
भेड़िया कुत्तों में एक जंगली जानवर की प्रवृत्ति होती है, जो उन्हें आक्रामक बना सकती है, तब उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है, खासकर शहरी वातावरण में.
केवल यूपी ही नहीं बल्कि कई देशों में इनके खतरों की खबरें आती रही हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका में भी भागे हुए भेड़िये कुत्तों द्वारा छोटे कुत्तों को मारने और मनुष्यों पर हमला करने की हालिया रिपोर्ट्स आ रही हैं. वहां इस पर बहस चल रही है कि क्या इन जानवरों का प्रजनन जारी रखा जाना चाहिए और लोगों को उन्हें घरों पर रखना भी चाहिए.
(image generate by leonardo ai)
सवाल – क्या बहराइच में भेड़ियों के आतंक में मिक्स ब्रीड वाले भेड़िए शामिल हैं?
– इससे इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि कुत्तों और भेड़ियों के बीच नजदीकी की बात हमेशा से कही जाती रही है. इससे कई तरह की वोल्फ डॉग की नई ब्रीडिंग नस्लें पैदा हो रही हैं. इनमें से कुछ को पालतू तौर पर घरों पर भी रखा जाता है लेकिन वो ज्यादा आक्रमक होते हैं और ज्यादा खतरनाक भी. पिछले दिनों यूपी ने भी ऐसी 25 नस्लों के डॉग्स पर बैन लगा दिया था. इस ब्रीड के साथ सबसे बड़े खासियत ये है कि वो इंसानों से ज्यादा डरते नहीं और उनके खिलाफ आक्रामक भी हो जाते हैं.
सवाल – देश में सबसे ज्यादा भेड़िए किस राज्य में हैं क्या वहां भी ऐसे हमलों की खबरें आती हैं?
– भारत में सबसे ज्यादा भेड़िए मध्य प्रदेश में हैं, वर्ष 2021 में जानवरों की जनगणना के अनुसार मप्र में 700 के आसपास भेड़िए हैं लेकिन वहां इस तरह के हमलों की खबरें कभी नहीं आईं. इसकी वजह ये है कि वहां जंगल पर्याप्त बड़े हैं. जिसमें जंगली जानवरों के लिए पर्याप्त जगह है. दूसरे मप्र में आमतौर पर जंगलों के पास के इलाकों में बहने वाली नदियों में भी कभी ऐसी बाढ़ की खबरें नहीं आईं, जिससे जानवरों को अपनी रिहाइश छोड़कर बस्तियों के करीब आना पड़ा हो.
सवाल – भारत के कौन से राज्य भेड़ियों के हमलों से प्रभावित रहे हैं?
– ऐतिहासिक रिकॉर्ड से संकेत मिलता है कि भारत में भेड़ियों के हमले 8वीं शताब्दी के अंत में हुए थे. देश में यूपी, बिहार और झारखंड ऐसे राज्य हैं, जो भेड़ियों के हमलों से ज्यादा प्रभावित रहे हैं. उत्तर प्रदेश में तो पिछले कुछ वर्षों में हमले बार-बार हो रहे हैं. 1904 में पूर्वी उत्तर प्रदेश में भेड़ियों ने 75 बच्चों पर हमला किया, 50 हमले हमले जानलेवा साबित हुए.
हज़ारीबाग़ क्षेत्र में, कथित तौर पर 1000 और 1900 के बीच भेड़ियों द्वारा 200 से अधिक बच्चों को मार डाला था. आंध्र के अनंतपुर क्षेत्र में भी 1980 के दशक की शुरुआत में हमलों की बाढ़ देखी गई, जिसमें बच्चों की जानें गईं. 2012 में, जम्मू-कश्मीर, बंगाल और यूपी में भेड़ियों के हमलों की सूचना मिली.