Thailand Cambodia War: पिछले 100 घंटों से पूरी दुनिया में एक चर्चा चल रही है, जो थाईलैंड और कंबोडिया के बीच युद्ध से जुड़ी है. लेकिन थाईलैंड और कंबोडिया के बीच युद्ध में अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप कैसे हार गए. खुद को सीजफायर की दुनिया का सरपंच कहने वाले ट्रंप को एक छोटे से देश थाईलैंड ने कैसे आईना दिखा दिया.ये समझने के लिए आपको थाईलैंड से आ रही खबरों को जानना चाहिए.
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच युद्ध जारी है. इसी युद्ध को लेकर 25 जुलाई को डॉनल्ड ट्रंप ने एक बयान दिया था. ट्रंप ने कहा था कि वो थाईलैंड और कंबोडिया के बीच युद्धविराम कराने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन थाईलैंड ने कंबोडिया के साथ बातचीत में तीसरे देश की मौजूदगी या मध्यस्थता से इंकार कर दिया है. थाईलैंड की सरकार ने साफ कहा है अगर कंबोडिया युद्धविराम चाहता है तो वो सीधे थाईलैंड से बात करे.अमेरिका की तरह मलेशिया ने भी मध्यस्थता का ऑफर दिया था. हालांकि थाईलैंड ने मलेशिया के सीजफायर प्रस्ताव की रूपरेखा को स्वीकार कर लिया था.लेकिन मलेशिया की भी मध्यस्थता थाईलैंड को कबूल नहीं है.
ट्रंप को सुननी पड़ी खरी-खरी
ये पहली बार नहीं है जब दुनिया के सरपंच बनने की कोशिश करने वाले डॉनल्ड ट्रंप को खरी-खरी सुननी पड़ी हो. भारत के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने पाकिस्तान और भारत के बीच सीजफायर कराया. ट्रंप के इस दावे को भारत ने खारिज कर दिया था. ट्रंप ने ये भी दावा किया था कि यूक्रेन और रूस के बीच वो युद्धविराम करा देंगे. लेकिन तीन साल से यूक्रेन का युद्ध भी लगातार जारी है और अब थाईलैंड ने बता दिया है कि कंबोडिया के साथ युद्ध या युद्धविराम. दोनों थाईलैंड की शर्तों पर ही होगा. पूर्वी एशिया में चल रहा ये सैन्य संग्राम आज किस दिशा में मुड़ा है.
खुद को सीजफायर का सरपंच मानने वाले डॉनल्ड ट्रंप को आज एक और नाकामी का सामना करना पड़ा. राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ट्रंप लगातार कह रहे थे कि वो गाजा में हमास और इजरायल के बीच युद्धविराम कराएंगे. लेकिन आज ट्रंप ने खुद कबूल लिया. गाजा में सीजफायर नहीं हो सकता. ट्रंप ने ऐसा क्यों कहा, ये भी आपको बता देते हैं.
DNA : ट्रंप की 'सरपंची'...चारों खाने चित गिरी, थाईलैंड-कंबोडिया वॉर में ट्रंप कैसे 'हार गए'?#DNA #ThailandCambodiaWar #DonaldTrump @pratyushkkhare pic.twitter.com/DJiq1OQoNh
— Zee News (@ZeeNews) July 26, 2025
ट्रंप का संदेश, इजरायल के लिए बूस्टर
हमास को मरने का शौक है. ट्रंप की जुबान से निकले ये शब्द गाजा में युद्ध के भीषण होने का पहला संकेत थे. गाजा को लेकर ट्रंप ने एक और बड़ा ऐलान किया है. क्योंकि इस घोषणा से...ट्रंप ने इजरायल को बड़ा संदेश दिया है.
ट्रंप सरकार ने गाजा में इजरायल को सैन्य कार्रवाई की खुली छूट दे दी है. अमेरिकी मीडिया के मुताबिक ट्रंप अब गाजा में हमास का नियंत्रण पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं. गाजा युद्ध को लेकर ट्रंप ने जिन सलाहकारों को नियुक्त किया था, उन्हें भी जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है.बताया जा रहा है कि ट्रंप और नेतन्याहू के बीच फोन पर बातचीत हुई थी, जिसके बाद व्हाइट हाउस से ये घोषणा की गई है.
ट्रंप से मिली ये अनुमति इजरायल के लिए एक कूटनीतिक संजीवनी बूटी है. क्योंकि अमेरिका के फैसले को पश्चिमी देशों को स्वीकार करना ही पड़ेगा. और इस मौके का फायदा उठाकर गाजा में इजरायली फौज अपनी कार्रवाई का दायरा बढ़ा सकती है तो दूसरी तरफ दुनिया की नजर हमास पर भी टिक गई है. क्योंकि अमेरिका की घोषणा से हमास बैकफुट पर चला गया है. ट्रंप के ऐलान के बाद हमास के पास क्या विकल्प रह गए हैं, अब वो जानते हैं.
क्या बुरी तरह फंस गया हमास?
हमास के पास पहला विकल्प है कि वो बड़े इजरायली हमले का सामना करे. लेकिन ऐसा करने का सीधा मतलब ये होगा कि हमास का पूरा वजूद खतरे में पड़ जाएगा. हमास के पास दूसरा विकल्प ये हो सकता है कि वो बिना शर्त इजरायली बंधकों को रिहा कर दे. लेकिन ऐसा करने से हमास के पास गाजा में बातचीत के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं रह जाएगा और तीसरा विकल्प ये है कि हमास के आतंकी सरेंडर करें और उनके कमांडर गाजा छोड़ दें. ऐसा होने पर गाजा से हमास का प्रभाव लंबे वक्त के लिए खत्म हो जाएगा.
हमास कौन सा रास्ता चुनेगा, इसको लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता. क्योंकि हमास के इतिहास में ऐसी कई घटनाएं दर्ज हैं, जब ये आतंकी संगठन वादों से मुकर गया था. इसी वजह से ट्रंप ने एक ऐसा प्लान तैयार किया है, जिसमें हमास के पास कोई विकल्प ना रहे और खुद को बचाने के लिए हमास को ऐसे कदम उठाने पड़ें, जिनकी उसने कल्पना भी नहीं की होगी.
नेतन्याहू के लिए संजीवनी?
वहीं दूसरी तरफ ट्रंप का ऐलान नेतन्याहू के लिए लाइफलाइन साबित हो सकता है. गाजा युद्ध लंबा खिंचने की वजह से अब इजरायली जनता के बीच नेतन्याहू के लिए समर्थन कम हो रहा है. पिछले दो महीनों के अंदर इजरायल में नेतन्याहू सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों की तादाद बढ़ी है. सेना में भर्ती का जो बिल नेतन्याहू सरकार लाई थी. उसके विरोध में इजरायल की एक दक्षिणपंथी पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, जिसकी वजह से नेतन्याहू सरकार अल्पमत में आ गई है.
नेतन्याहू सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती हथियारों की कमी भी है. गाजा से लेकर लेबनान में हिज्बुल्ला के खिलाफ और फिर ईरान के साथ बड़े टकराव के चलते इजरायल के सैन्य संसाधन तेजी से खर्च हुए हैं. ऐसे में नेतन्याहू उम्मीद कर रहे होंगे कि ट्रंप की अनुमति के साथ ही साथ उन्हें अमेरिका से हथियारों की खेप भी मिलेगी. ताकि गाजा को लेकर ट्रंप का दावा...सच साबित किया जा सके.
गाजा में सीजफायर ना होने पाने से ट्रंप कितने निराश हैं, इसका एक और सबूत सामने आया है. कुछ दिनों पहले फ्रांस ने ऐलान किया था कि वो गाजा को मान्यता देगा ताकि गाजा में पैदा हुए मानवीय संकट से निपटा जा सके. आज ट्रंप ने सीधे नाम लेकर...फ्रांस के लिए भी चेतावनी जारी कर दी.
ट्रंप की जुबान से निकले सख्त अल्फाज बार-बार यही संकेत दे रहे हैं कि सीजफायर ना हो पाने की खीज अब ट्रंप गाजा की बर्बादी से निकालेंगे. इजरायल को बड़े हमले करने के मौके दिए जाएंगे और हमास के आतंक पर पूर्णविराम लगाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा.