DNA: अच्छी डील मिले तो किसी के सगे नहीं ट्रंप, अब आतंकी संगठन से हटाया बैन, भौचक्की रह गई दुनिया

4 hours ago

Tahrir al-Sham: दुनिया ने कभी नहीं सोचा होगा कि जिस अलकायदा ने अमेरिका पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला ​किया, उसी का हिस्सा रहे सीरियाई आतंकवादी संगठन हयात तहरीर अल-शाम को अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप आतंकवादियों की लिस्ट से बाहर कर देंगे. जिस आतंकवादी संगठन को अलकायदा के आतंकी रहे अल शरा ने बनाया, उसे ट्रंप अपने एक फैसले से अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया के लिए पवित्र बना देंगे. लेकिन जिसके बारे में दुनिया सोच नहीं सकती, ट्रंप वही काम करते हैं. एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति ने साबित कर दिया उन्हें अच्छी डील ऑफर की जाए तो उनसे कुछ भी करवाया जा सकता है.

कई लोग ये सवाल भी पूछ रहे हैं कि अगर ट्रंप को अच्छी डील मिले तो क्या वो पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के चीफ हाफिज़ सईद और जैश ए मोहम्मद के चीफ मसूद अज़हर के साथ भी लंच या डिनर कर सकते हैं. उनको भी पाक साफ बता सकते हैं. कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि ऐसे में तो ट्रंप लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों को भी सामाजिक संगठन के रूप में मान्यता दे सकते हैं.

आतंकी संगठन कैसे हुआ ट्रंप का लाडला

ऐसा डॉनल्ड ट्रंप के अंदर उमड़े आतंकी प्रेम को देखकर कहा जा रहा है. पहले ये जानना जरूरी है कि कैसे एक आतंकी संगठन अचानक ट्रंप का लाडला हो गया.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सीरियाई संगठन हयात तहरीर अल-शाम यानि HTS से प्रतिबंध हटा दिया. यानि अमेरिका ने इसे विदेशी आतंकवादी संगठन की लिस्ट से बाहर कर दिया. अल-शाम को पहले अल-नुसरा फ्रंट के नाम से जाना जाता था, जो सीरिया में ओसामा बिन लादेन के संगठन अल-कायदा की शाखा थी. सीरिया के मौजूदा राष्ट्रपति और अलकायदा आतंकी रह चुके अल-शरा ने इसे अल-कायदा से अलग करते हुए इसका नाम हयात तहरीर अल-शाम रखा था.

अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बताया सीरिया को प्रतिबंधों से राहत देने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने अल शाम को आतंकियों की लिस्ट से बाहर किया और 8 जुलाई यानि आज से इस आदेश को लागू भी कर दिया गया. सीरिया की रूस समर्थित अल असद सरकार के तख्तापलट के बाद आतंकी संगठन अल शाम का सीरिया की सत्ता पर कब्जा हो गया है. कुछ दिनों पहले तक अमेरिका का मोस्ट वांटेड आतंकी अल शरा सीरिया का राष्ट्रपति बन गया. और उसके संगठन के बाकी आतंकी सीरिया की सेना में शामिल हो गए हैं.

आतंकी पर अमेरिका ने रखा था 83 करोड़ रुपये का इनाम

अब अमेरिका कह रहा है कि आतंकवादी संगठन से प्रतिबंध हटाने का फैसला सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा की ओर से उठाए गए सकारात्मक कदमों का नतीजा है. जिस आतंकी अल शरा पर अमेरिका ने कभी 83 करोड़ रुपये का इनाम रखा था, उसने सीरिया का राष्ट्रपति बनने के बाद ऐसे कौन कौन से काम किए या क्या क्या करने का वादा दिया, जिसे अमेरिका सकारात्मक कदम बता रहा है. जाहिर सी बात है कि ये सारे कदम अमेरिका को मोटा फायदा पहुंचाने वाले होंगे. सीरिया में आतंकी संगठन से प्रतिबंध हटाने पर अमेरिका को क्या फायदा होगा, चलिए वो भी जान लेते हैं.

सीरिया की सत्ता में अल शरा को मजबूत करके ट्रंप रूस और चीन को सीरिया से बाहर निकाल सकते हैं, जो इससे पहले की अल असद सरकार में बहुत मजबूत थे.

सीरिया में गृहयुद्ध खत्म होने के बाद अब सड़कों, पुलों, अस्पतालों, बिजली संयंत्रों, तेल रिफाइनरियों और स्कूलों का निर्माण होना है. इस निर्माण के ठेके अब अमेरिकी कंपनियों को ​मिलेंगे. यानि अमेरिकियों को हजारों-लाखों नौकरी मिलेंगी, जिसका श्रेय डॉनल्ड ट्रंप लेंगे.

सीरिया का तेल भंडार लगभग 2.5 बिलियन बैरल का है. पूर्वी सीरिया में बहुत अच्छी क्वालिटी का लाइट क्रूड ऑयल मौजूद है, जिस पर अमेरिकी कंपनियों का दबदबा हो जाएगा.

अमेरिका में चुनाव से पहले ट्रंप बताएंगे उन्होंने मिडिल ईस्ट में युद्ध रुकवाया और पुनर्निर्माण करवाया. यानि ट्रंप इसका फायदा इलेक्शन में भी लेंगे.

सीरिया में हालात सामान्य हुए तो शरणार्थी संकट भी कम होगा, जिसे ट्रंप अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी की सफलता के तौर पर पेश कर सकते हैं.

सीरिया के साथ संबंधों को सामान्य दिखाकर ट्रंप अमेरिका को क्षेत्र में शांति लाने वाली शक्ति के रूप में पेश कर रहे हैं. जो उनके नोबल शांति पुरस्कार के सपने को और मजबूत करेगा.

अब इतनी अच्छी डील मिल रही हो तो डॉनल्ड ट्रंप क्यों याद रखेंगे. जिस आतंकी संगठन को उन्होंने पाक साफ कर दिया. उसके आतंकियों ने 2012 से अब तक 15 से 20 हजार लोगों को फिदायीन हमले और आईईडी अटैक में मारा है और मारे गए ज्यादातर लोगों की गलती सिर्फ ये थी कि वो शिया मुसलमान हैं. डॉनल्ड ट्रंप सब कुछ भूल गए...क्योंकि उनको सिर्फ अच्छी डील से मतलब है.

#DNAWithRahulSinha | अब लश्कर-जैश पर बैन हटने वाला है? ट्रंप को 'अलकायदा' आतंकी नहीं लगता?

डील अच्छी मिले तो ट्रंप कुछ भी कर देंगे !#DNA #DonaldTrump #US @RahulSinhaTV pic.twitter.com/g1oKJIU8z6

— Zee News (@ZeeNews) July 8, 2025

ट्रंप खुद के लिए चाहते हैं नोबेल पुरस्कार

डॉनल्ड ट्रंप एक तरफ दुनिया के साथ अधिक से अधिक डॉलर कमाने की डील कर रहे हैं. दूसरी तरफ ट्रंप को अपने लिए भी कुछ चाहिए. डॉनल्ड ट्रंप बड़ी शिद्दत से नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बनना चाहते हैं. वो कई बार खुद को इस पुरस्कार का सबसे योग्य उम्मीदवार बता चुके हैं और पिछले कुछ महीनों में जिस तरह उन्होंने भारत-पाकिस्तान से लेकर इजरायल, ईरान और गाजा में सबसे पहले सीज़फायर का एलान किया. उसके बाद दुनिया में उनकी छवि स्वयंभू सीज़फायर विशेषज्ञ की बन गई है. हालांकि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर में उनका कोई योगदान नहीं था। ये भारत कई बार साफ कर चुका है.

लेकिन एक बात तय है कि दुनिया में जो भी डॉनल्ड ट्रंप को नोबल पुरस्कार दिए जाने की भूमिका बनाता है. ट्रंप उससे बहुत खुश हो जाते हैं और डॉनल्ड ट्रंप को खुश करने के लिए अब दो कट्टर दुश्मन इज़रायल और पाकिस्तान एक क्लब में खड़े दिखाई दे रहे हैं. पाकिस्तान का सेना प्रमुख आसिम मुनीर इससे पहले डॉनल्ड ट्रंप को नोबल पुरस्कार देने की सिफारिश कर चुका है. इसलिए उसे व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ लंच का मौका मिला. अब अमेरिका के दौरे पर आए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ​डिनर के दौरान ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग कर दी है. आज आपको नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप की चाहत और नेतन्याहू की कोशिश को बहुत ध्यान से देखना चाहिए.

आपने इस बयान में डॉनल्ड ट्रंप की खुशी को महसूस किया होगा, उन्हें एक बार फिर से नोबेल पुरस्कार का दावेदार बताया गया. उनको नोबेल पुरस्कार देने की सिफारिश की गई. इस वक्त पाकिस्तान और ईरान दोनों डॉनल्ड ट्रंप के एहसान तले दबे हुए हैं. इसलिए ऐसी सिफारिशें कर रहे हैं. लेकिन पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि ट्रंप काम निकलने के बाद पाकिस्तान को दूध की मक्खी की तरह निकालकर फेंक भी सकते हैं. क्योंकि ट्रंप ने अपने दो सहयोगियों के साथ कुछ ऐसा किया है, जिसकी उम्मीद तक नहीं की जा सकती थी.

ट्रंप ने दोस्तों को दिया झटका

अमेरिकी प्रशासन ने भारत के लिए 2 जुलाई से लगाए गए हाई टैरिफ के सस्पेंशन को 9 जुलाई से बढ़ाकर 1 अगस्त कर दिया है. लेकिन एशिया में अपने दो सबसे बड़े सहयोगियों जापान और दक्षिण कोरिया को ऐसी चिट्ठी भेजी है, जिसकी उम्मीद इन देशों को नहीं रही होगी.

अमेरिका ने 1 अगस्त ने जापान और दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाने का एलान किया है. नवंबर 2024 तक अमेरिका जापान पर 2 से 5 परसेंट और दक्षिण कोरिया पर 5 से 6 परसेंट टैरिफ लगाता था. जापान के प्रधानमंत्री ने ट्रंप के नए टैरिफ फैसले को दुखद कहा है.

भारत में एक कहावत है. ना बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया. आज अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर ये कहावत बिल्कुल सही बैठती है. क्यों? इसे समझने के लिए आपको अमेरिका के जापान और दक्षिण कोरिया के साथ संबंधों को जानना होगा.

अमेरिका के लिए जापान और दक्षिण कोरिया एशिया में सबसे बड़े सुरक्षा सहयोगी हैं.

जापान में अमेरिका के 54 हजार और दक्षिण कोरिया में लगभग 28,500 सैनिक तैनात हैं.

जापान के ओकिनावा और दक्षिण कोरिया के प्योंगटेक में अमेरिका के देश के बाहर सबसे बड़े सैन्य अड्डे मौजूद हैं, जो उसे एशिया में फौरन किसी भी एक्शन की ताकत देते हैं.

नॉर्थ कोरिया और चीन को काउंटर करने के लिए जापान और दक्षिण कोरिया सबसे अहम देश हैं.

दोनों देशों को अमेरिका की न्यूक्लियर अंब्रेला का संरक्षण भी प्राप्त है.

जापान अमेरिका का चौथा सबसे बड़ा trading partner है। जिससे अमेरिका का सालाना बिजनेस 19 लाख 20 हजार करोड़ रुपये है.

दक्षिण कोरिया अमेरिका का सातवां सबसे बड़ा trading partner है, जिसका अमेरिका से सालाना बिजनेस लगभग 16 लाख करोड़ रुपये है.

इसके बावजूद ट्रंप ने दोनों देशों पर 25 परसेंट का टैरिफ लगा दिया है. यानि ट्रंप अपने मित्र देशों से भी अधिक से अधिक डॉलर्स कमाना चाहते हैं, जिससे अमेरिका ये दोनों दोस्त बहुत सदमे में है. यानि आप ये भी कह सकते हैं ट्रंप की दुश्मनी के साथ साथ दोस्ती भी खराब है.

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