78 साल बाद भी मजाक बने ये गांव! नाम लेने से कतराते हैं यहां के लोग

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Last Updated:December 01, 2025, 19:15 IST

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में आज भी कई गांव ऐसे हैं जिनके जातिसूचक और अपमानजनक नाम लोगों के लिए शर्म का कारण बने हुए हैं, जैसे नकटी, चमार टोला, टोनहीनारा और चुड़ैलझरिया. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मुद्दे पर राज्यों से रिपोर्ट मांगी है. ग्रामीणों की मांग और ग्राम सभा के प्रस्ताव के बाद अब सरकार गांवों के नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू कर रही है.

78 साल बाद भी मजाक बने ये गांव! नाम लेने से कतराते हैं यहां के लोगछत्तीसगढ़ के ‘नकटी’, ‘चमार टोला’ जैसे शर्मनाक गांवों के नाम अब बदलेंगे

रिपोर्ट: आकाश शुक्ला

Chhattisgarh News: देश आजाद हुए 78 साल हो गए, लेकिन छत्तीसगढ़ में आज भी सैकड़ों गांव ऐसे हैं, जिनके नाम सुनकर ही लोगों का सिर शर्म से झुक जाता है. चमार टोला, भंगी बस्ती, नकटी (बेशर्म औरत), टोनहीनारा (टोनही का गांव), सुवरतला, चुड़ैलझरिया, प्रेतनडीह जैसे जातिसूचक और अपमानजनक नाम आज भी नक्शे पर चस्पां हैं. इन गांवों में रहने वाले लोग पीढ़ी-दर-पीढ़ी सिर्फ इसलिए अपमान सहते हैं क्योंकि उनका गांव का नाम ही उनका मजाक उड़ाता है.

अब जाकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस गंभीर मुद्दे की सुध ली है. आयोग ने छत्तीसगढ़ सहित सभी राज्यों को पत्र लिखकर ऐसे सभी गांव-कस्बों की पूरी सूची मांगी है और नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है. News18 की टीम नया रायपुर के पास “नकटी” गांव पहुंची. यहां “नकटी” शब्द का मतलब होता है – नाक कटी औरत या बेशर्म स्त्री. गांव के बुजुर्ग से लेकर बच्चे तक बताते हैं कि बाहर जाते ही लोग मजाक उड़ाते हैं. शादी-ब्याह के रिश्ते में सबसे पहले यही सवाल आता है – “अरे तुम नकटी गांव वाले हो?” लोग कहते हैं, “सरकारी कागज में भी यही नाम लिखवाना पड़ता है, हर बार शर्मिंदा होना पड़ता है. गांव के सरपंच बिहारी यादव ने बताया, “हम लोग बहुत पहले से नाम बदलने की मांग कर रहे हैं. ग्राम सभा में प्रस्ताव भी पास हो चुका है. नकटी का नाम बदलकर ‘सम्मानपुर’ रखने का फैसला लिया गया है. बस सरकारी मंजूरी का इंतजार है.”

इसी तरह प्रदेश में कई गांव हैं, जिनके नाम आज भी दलित-आदिवासी समुदाय को अपमानित करते हैं:
चमार बस्ती, चमार टोला, चुचरुंगपुर
भंगी टोला, भंगी बस्ती, माकरमुत्ता
टोनहीनारा, दौकीडीह, बोक्करखार
महार टोला, डोमपाड़ा, चुड़ैलझरिया, प्रेतनडीह

मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद अब छत्तीसगढ़ में प्रशासन हरकत में आ गया है. सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दे दिया गया है कि अपने-अपने जिले के ऐसे गांवों की लिस्ट बनाएं और ग्राम सभा से प्रस्ताव लेकर नाम बदलने की कार्रवाई तुरंत शुरू करें. ग्रामीणों का कहना है, “हमें अपने गांव से बहुत प्यार है, बस उसका नाम ऐसा हो कि हम गर्व से बोल सकें.” अब उम्मीद है कि जल्द ही छत्तीसगढ़ के ये सारे गांव नए और सम्मानजनक नामों से जाने जाएंगे.

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Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two and Half Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has...और पढ़ें

Location :

Raipur,Chhattisgarh

First Published :

December 01, 2025, 15:56 IST

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