भारत के 283 मोस्ट वॉन्टेड, 20 पर रेड और यलो कॉर्नर नोटिस क्यों नहीं करता असर?

55 minutes ago

नई दिल्ली. भारतीय जांच एजेंसियों के निशाने पर 283 मोस्ट वांटेड हैं. इनमें कई आरोपी ऐसे हैं, जिनको सीबीआई, ईडी और एनआईए सहित कई जांच एजेंसियां पिछले कई सालों से आतंकी घटनाओं, बम ब्लास्ट, बैंक फ्रॉड, गबन, घोटाला और अन्य तरह के फाइनेंशियल फ्रॉड के आरोप में तलाश कर रही है. साल 2024 में इन मोस्ट वांटेड की संख्या 282 थी, जो साल 2025 में बढ़कर 283 हो गई. इन भगोड़ों पर न तो इंटरपोल (Interpol) का रेड कॉर्नर नोटिस और न ही यलो कॉर्नर नोटिस ही असर करता है. भारत के कम से कम 20 ऐसे भगोड़े हैं, जिनकी भारत लाने की कवायद बीते 30 सालों से हो रही है. ये अपराधी बीते कई सालों से विदेश में मौज काट रहे हैं. आखिर इंटरपोल की रेड कॉर्नर नोटिस और यलो कॉर्नर नोटिस के बाद भी इनको संबंधित देश भारत को क्यों नहीं सौंप रही है? क्या होता है इंटरपोल का रेड, ब्लू, यलो और ब्लैक कॉर्नर नोटिस?

सीबीआई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वांछित या भगोड़े अपराधियों को पकड़ने के लिए इंटरपोल यानी अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन के नोटिस का इस्तेमाल करती है. ये नोटिस अलग-अलग रंगों में जारी किए जाते हैं, जिनका मकसद और कानूनी असर अलग-अलग होता है. लेकिन रेड और यलो नोटिस सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं.

सीबीआई के रडार पर कितने भगोड़े?

रेड कॉर्नर नोटिस गिरफ्तारी के लिए किसी आपराधिक मामले में वांछित व्यक्ति को गिरफ्तार करने और उसके प्रत्यर्पण (Extradition) या कानूनी कार्रवाई के लिए अस्थायी रूप से हिरासत में लेने के लिए जारी किया जाता है. यह दुनिया के किसी भी देश की जांच एजेंसी के लिए अलर्ट का काम करता है. यलो कॉर्नर नोटिस (YCN) लापता व्यक्ति के लिए लापता व्यक्तियों, खासकर नाबालिगों को ढूंढ़ने या ऐसे व्यक्तियों की पहचान करने के लिए जारी किया जाता है जो खुद की पहचान बताने में असमर्थ हैं.

रेड, यलो, ब्लू और ब्लैक कॉर्नर नोटिस

वहीं ब्लू कॉर्नर नोटिस पहचान और ठिकाना के लिए होता है. किसी आपराधिक मामले में शामिल व्यक्ति के पहचान, ठिकाने और गतिविधियों से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी हासिल करने के लिए जारी होता है. दाऊद इब्राहिम कासकर, भारत का सबसे वांछित आतंकवादी और अंडरवर्ल्ड डॉन. वह 1993 के मुंबई बम धमाकों, मनी लॉन्ड्रिंग और संगठित अपराध के लिए भारत में वांछित है. वह आईएसआई (ISI) के संरक्षण में पाकिस्तान में रहता है. इसके अलावा टाइगर मेमन, छोटा शकील जैसे अंतकी भी दाऊद इब्राहिम के डी-कंपनी सिंडिकेट का सबसे भरोसेमंद लेफ्टिनेंट रहे हैं, इस लिस्ट में शामिल हैं. इसके अलावा लखबीर सिंह रोडे, जो खालिस्तानी आतंकवादी समूह का प्रमुख है उसके खिलाफ भी रेड नोटिस है.

इंटरपोल का काम और मुख्यालय

इंटरपोल का फुल फॉर्म अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन ( Criminal Police Organization) है. इसे आमतौर पर बस इंटरपोल ही कहा जाता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा अंतर-सरकारी पुलिस संगठन है, जो 192 सदस्य देशों की पुलिस को अंतरराष्ट्रीय अपराध से लड़ने में मदद करता है. फ्रांस के लियॉन शहर में इंटरपोल को मुख्यालय है. इसका मुख्य उद्देश्य उन व्यक्तियों को खोजना है जो आपराधिक जांच के संबंध में वांछित या भगोड़े हैं.

क्या रेड कॉर्नर से गिरफ्तारी हो सकती है?

किसी देश को इंटरपोल के रेड नोटिस के आधार पर वांछित व्यक्ति को तब तक अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने की अनुमति होती है, जब तक कि उसके प्रत्यर्पण की औपचारिक प्रक्रिया पूरी न हो जाए. यह विभिन्न देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग को सुगम बनाता है. यह एक रेड नोटिस किसी अनुरोध करने वाले देश के सक्षम न्यायिक प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट या अदालती आदेश पर आधारित होता है.
येलो नोटिस लापता व्यक्तियों या स्वयं की पहचान करने में असमर्थ व्यक्तियों का पता लगाने में मदद करता है. और ब्लू नोटिस किसी आपराधिक जांच के संबंध में किसी व्यक्ति की पहचान, स्थान या गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त जानकारी एकत्र करने के लिए होता है. ब्लैक नोटिस अज्ञात शवों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है.

दाऊद इब्राहिम, जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर, मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा का ऑपरेशंस कमांडर जकीउर रहमान लखवी, फारूक देवदीवाला, अनीस शेख, छोटा शकील उर्फ शकील शेख, 32 साल का सादिक चेरिया वीट्टिल और नीरव मोदी जैसे लोग किसी न किसी रुप में भारतीय जांच एजेंसियों के मोस्ट वांटेड की लिस्ट में हैं. इन तमाम पर भारतीय अदालतों ने बम विस्फोट, आपराधिक साजिश, भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और गबन के आरोप में गिरफ्तारी के वारंट जारी कर रखा है. लेकिन नेड कॉर्नर और यलो कॉर्नर नोटिस के बाद भी अभी तक ये अपराधी भारत नहीं आ सके हैं.

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