Last Updated:December 04, 2025, 10:20 IST
Operation Ghazi: आज यानी 4 दिसंबर को नेवी डे मनाया जाता है. यह दिन नौसेना की बहादुरी और जवानों के साहस को सलाम करने का दिवस है. इंडियन नेवी की चपलता और आक्रामकता ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. साथ ही पड़ोसी देश दो हिस्सों में बंट गया था. युद्ध के दौरान इंडियन नेवी के ऑपरेशन गाजी को देश के साथ ही दुनिया भी नहीं भूल सकती है, जिसमें न केवल पनडुब्बी को डुबोया गया था, बल्कि पाकिस्तान के मंसूबों को भी तबाह कर दिया गया था.
Operation Ghazi: 1971 के युद्ध में इंडियन नेवी ने पाकिस्तान की एडवांस सबमरीन PNS Ghazi को जल समाधि दिलवा दी थी. यह निर्णायक साबित हुआ और पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया था. (फोटो: विकिपीडिया) Operation Ghazi: 1971 का साल था. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था. पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में बंगाली लोगों का विद्रोह तेज हो चुका था. लाखों शरणार्थी भारत की सीमाओं पर पहुंच रहे थे. पाकिस्तान की सेना ने दमन शुरू कर दिया था. भारत ने बांग्लादेश का उसके मुक्ति संग्राम का साथ दिया. 3 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारत पर हवाई हमला कर दिया. इसके बाद भीषण युद्ध छिड़ गया. जमीन पर तो सेनाएं लड़ रही थीं, लेकिन समुद्र में भी एक खतरनाक खेल चल रहा था. यहां भारतीय नौसेना (Indian Navy) को अपनी ताकत दिखाने का मौका मिला. इस कहानी का हीरो था आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant)- भारत का गौरवशाली विमानवाहक पोत और खलनायक थी पाकिस्तान की घातक पनडुब्बी PNS गाजी.
PNS गाजी कोई साधारण सबमरीन नहीं थी. यह अमेरिका से लीज पर ली गई पुरानी लेकिन खतरनाक सबमरीन थी. पाकिस्तान ने USS डिएब्लो का नाम बदलकर गाजी रखा था. पाकिस्तान के पास यह एकमात्र लंबी दूरी की हमलावर पनडुब्बी थी. इसका मकसद था आईएनएस विक्रांत को डुबोना. विक्रांत अगर डूब जाता, तो भारत का पूर्वी नौसैनिक बेड़ा कमजोर पड़ जाता. पाकिस्तानी कमांडरों ने सोचा कि गाजी चुपचाप बंगाल की खाड़ी में घुस जाएगी, विशाखापत्तनम बंदरगाह पर एंकर एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को टॉरपीडो से उड़ा देगी. गाजी के कमांडर जफर मुहम्मद खान ने अपनी 93 सदस्यीय टीम के साथ यह खतरनाक मिशन की कमान संभाली. 2 दिसंबर को गाजी ने यात्रा शुरू की. यह पाकिस्तान की नौसेना की सबसे बड़ी उम्मीद थी.
ऑपरेशन गाजी के 10 बड़े प्रभाव
गाजी के डूबने से पाकिस्तानी नौसेना सदमे में आ गई. उनकी एकमात्र मजबूत पनडुब्बी चली गई. पूर्वी मोर्चे पर भारत का समुद्र बिल्कुल खुल गया. आईएनएस विक्रांत बिना किसी बाधा के अभियान पर निकली. ईस्टर्न पाकिस्तान के बंदरगाहों पर बमबारी की. चटगांव और अन्य जगहों पर पाकिस्तानी जहाज डूबे. भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट चलाया. इसे तहत पश्चिमी मोर्चे पर कराची बंदरगाह पर मिसाइल हमला किया गया. पाकिस्तान के कई जहाज जलकर राख हो गए. ऑयल टैंकर के तबाह होने से पाकिस्तानी पोत जहां तहां अटक गए. नौसेना अब और आक्रामक हो गई. इंडियन नेवी एशिया ही नहीं, बल्कि दुनिया की ताकतवर नौसेना के तौर पर उभरी. सबमरीन यानी पनडुब्बी निर्माण पर फोकस बढ़ गया. समुद्र में ताकत बढ़ाने पर भी जोर दिया जाने लगा. आईएनएस विक्रांत के बाद भारत ने आईएनएस विक्रमादित्य को भी डेवलप किया. मैरीटाइम बॉर्डर और समुद्री अभियान पर पहले के मुकाबले ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा. मिसाइल डेवलप करने से लेकर मरीन फाइटर जेट की खरीद तक में तेजी आने लगी. सबसे बड़ी बात यह रही कि जमीन की तरह ही समुद्री सुरक्षा को भी महत्व दिया जाने लगा. यही वजह है कि आज इंडियन नेवी दुनिया की शक्तिशाली नौसेना में से एक है.क्या था इंडियन नेवी का वॉर प्लान?
लेकिन भारतीय नौसेना पहले से सतर्क थी. आईएनएस विक्रांत को सुरक्षित रखने के लिए आईएनएस राजपूत (एक विध्वंसक पोत) को गश्ती का जिम्मा दिया गया. आईएनएस राजपूत के कमांडर इंद्रजीत सिंह ने अपनी टीम को अलर्ट रखा. 3 दिसंबर की रात को युद्ध की घोषणा हो चुकी थी. PNS गाजी विशाखापत्तनम के पास पहुंची. वह चुपचाप पानी के नीचे छिपी रही, विक्रांत के बाहर आने का इंतजार कर रही थी, लेकिन आईएनएस विक्रांत तो पहले ही अंडमान की ओर रवाना हो चुकी थी. गाजी की खुफिया जानकारी पुरानी साबित हुई. सुबह होते ही राजपूत ने असामान्य आवाजें सुनीं. सोनार (SONAR) ने पनडुब्बी का पता लगा लिया. INS राजपूत ने तुरंत डेप्थ चार्ज (पानी के नीचे विस्फोटक बम) फेंके. पहला विस्फोट हुआ. गाजी हिल गई. फिर दूसरे बम ने ऐसा धमाका किया जिसकी गूंज समंदर में फैल गई. गाजी का रिएक्टर फट गया और उसमें आग लग गई. पूरी पनडुब्बी समुद्र की गहराई में डूब गई. 4 दिसंबर 1971 का वह पल इतिहास बन गया. 93 पाकिस्तानी नौसैनिक (जिनमें 10 अधिकारी शामिल थे) हमेशा के लिए खो गए.
Operation Ghazi: पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध के दौरान तब भारत के एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत को ध्वस्त करने के लिए गाजी पनडुब्बी को भेजा था, जिसे नौसेना के जवानों ने समंदर के अंदर ही खत्म कर दिया था. (फाइल फोटो/PTI)
कैसे बदला युद्ध का रुख?
पाकिस्तान ने इसे दुर्घटना बताया. कहा कि गाजी अपनी ही माइन पर फटी. लेकिन सबूत कुछ और कहते हैं. अमेरिकी नौसेना ने बाद में मलबा देखा – विस्फोट के निशान साफ थे. भारतीय गोताखोरों ने 300 फीट गहराई में कंकाल जैसा ढांचा पाया. यह भारत की जीत थी. गाजी अटैक ने युद्ध का रुख बदल दिया. गाजी के तबाह होना साल 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की ताबूत में आखिरी कील साबित हुई. पाकिस्तान चारों खाने चित हो गया और देश दो हिस्सों में बंट गया. इसकी याद में हर साल 4 दिसंबर को नेवी डे मनाया जाता है.
16 दिसंबर को पाकिस्तान का सरेंडर
इंडियन नेवी, एयरफोर्स और आर्मी का प्रहार पाकिस्तान सह नहीं सका. 16 दिसंबर को पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया और बांग्लादेश का जन्म हुआ. इस जीत ने भारतीय नौसेना को नया आत्मविश्वास दिया. दुनिया ने भारत की समुद्री ताकत को पहचाना. आज भी 4 दिसंबर को नेवी डे मनाया जाता है . गाजी को विध्वंस करने की याद में. यह घटना साबित करती है कि सतर्कता और बहादुरी से बड़े खतरे को भी हराया जा सकता है. भारतीय नौसेना आज दुनिया की छठी सबसे मजबूत नौसेना है. गाजी अटैक ने ही उसकी नींव रखी थी.
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बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 04, 2025, 10:13 IST

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