2,4 नहीं... एक दिन में 70 रोटी खा जाती है यह महिला, परिवार परेशान

2 days ago

Last Updated:September 12, 2025, 13:46 IST

MP News: राजगढ़ की मंजू सौंधिया रोज़ाना 60-70 रोटियाँ खा जाती हैं, लेकिन भूख मिटती नहीं। तीन साल से वह एक दुर्लभ मानसिक बीमारी साइकियाट्रिक डिसऑर्डर से जूझ रही हैं

2,4 नहीं... एक दिन में 70 रोटी खा जाती है यह महिला, परिवार परेशानR_MP_IND_PANNC1983_RAJGARH_12SET_JAB BHUKH_HI_BIMARI_BAN_JAYE_RAHUL_VIJAYजब भूख ही बीमारी बन जाए… रोज़ 70 रोटियाँ खाकर भी थक जाती है महिला”

राजगढ़. मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की सुठालिया तहसील के नेवज गांव से एक ऐसी खबर आई है, जो सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है. यहां की 28 साल की शादीशुदा महिला मंजू सौंधिया पिछले तीन साल से एक अजीब बीमारी से जूझ रही हैं. मंजू के दो छोटे बच्चे हैं और वह घर का सारा काम संभालती हैं, लेकिन अब यह बीमारी ने उनकी जिंदगी को मुश्किल बना दिया है. रोजाना सुबह से रात तक वह 60 से 70 रोटियां खा जाती हैं, फिर भी उन्हें लगता है कि पेट भरा ही नहीं. हर वक्त कमजोरी महसूस होती है और भूख लगती रहती है. खाना न मिले तो घबराहट और बेचैनी हो जाती है.

मंजू के परिवार को इस समस्या ने बहुत परेशान कर दिया है. तीन साल पहले मंजू को टाइफाइड हो गया था. वह बीमारी ठीक हो गई, लेकिन उसके बाद ही यह नई दिक्कत शुरू हो गई. पहले तो सबको लगा कि शायद पेट की कोई समस्या है, लेकिन डॉक्टरों ने कई जांचें करने के बाद बताया कि यह कोई शारीरिक बीमारी नहीं, बल्कि दिमागी समस्या है. डॉक्टर इसे साइकियाट्रिक डिसऑर्डर कहते हैं. इस बीमारी में व्यक्ति को बार-बार भूख लगती रहती है, भले ही शरीर को खाना पर्याप्त मिल चुका हो. मरीज को लगता है कि उसने कुछ खाया ही नहीं. मन को शांत करने के लिए वह लगातार खाता रहता है. मंजू भी यही करती हैं. वह हर पल रोटी या पानी मांगती रहती हैं. हाथ में खाना न हो तो बेचैन हो जाती हैं.

परिवार ने मंजू का इलाज कराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. वे राजस्थान, इंदौर, भोपाल और राजगढ़ के बड़े-बड़े डॉक्टरों के पास ले गए. कई अस्पतालों में भर्ती कराया, तरह-तरह की दवाइयां दीं, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ. अब तक पांच से सात लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. ज्यादातर पैसे परिवार ने उधार लिए या अपनी जमा पूंजी से लगाए. लेकिन बीमारी पर काबू नहीं आया. डॉ. कोमल दांगी, जो मंजू का इलाज कर रही हैं, बताती हैं कि यह मानसिक रोग है. दवाइयों से कुछ राहत मिलती है, लेकिन साथ ही लूज मोशन की समस्या हो जाती है. इससे इलाज और जटिल हो जाता है. डॉक्टर ने सलाह दी है कि रोटी की जगह हल्का खाना दें. जैसे खिचड़ी, फल या दूध दें. धीरे-धीरे आदत बदलने की कोशिश करें. लेकिन परिवार के पास इतने पैसे नहीं कि लंबे समय तक ऐसा महंगा इलाज चला सकें.

मंजू के भाई चंदर सिंह बताते हैं कि परिवार अब आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. वे मजदूरी करते हैं, लेकिन इतना खर्चा उठाना मुश्किल हो गया है. सरकारी मदद की उम्मीद लगाए हैं, लेकिन अभी तक कोई सहायता नहीं मिली. चंदर कहते हैं, “बहन की हालत देखकर दिल दुखता है. वह दिन-रात खाती रहती है, लेकिन ताकत नहीं लगती. अगर कोई डॉक्टर या सरकार मदद करें, तो इलाज हो सकता है.” गांव वाले भी दुखी हैं. वे कहते हैं कि मंजू बहुत मेहनती थी, अब वह सिर्फ खाने की बात करती रहती है.

यह बीमारी न सिर्फ मंजू के परिवार को तोड़ रही है, बल्कि पूरे गांव को सोचने पर मजबूर कर रही है. मानसिक बीमारियों को लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ऐसे मामलों में समय पर मदद जरूरी है. अगर जागरूकता बढ़े और सरकारी योजनाओं का फायदा मिले, तो कई जिंदगियां बच सकती हैं. मंजू का परिवार अब सबकी मदद की प्रतीक्षा कर रहा है. उम्मीद है कि जल्द कोई राह मिलेगी.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a...और पढ़ें

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Location :

Rajgarh,Madhya Pradesh

First Published :

September 12, 2025, 13:46 IST

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