₹170000 करोड़ की लागत और 7000 रडार, आयरन डोम-THAAD इसके सामने बच्‍चे

23 minutes ago

Last Updated:November 28, 2025, 06:47 IST

Air Defence System: मॉडर्न वॉरफेयर में जमीनी कार्रवाई काफी हद तक सीमित हो चुकी है. एरियल थ्रेट या हवाई हमला आज के संघर्ष की हकीकत है. इसके दो पहलू हैं. पहला, किसी देश की वायुसेना कितनी ताकतवर है. मसलन उसके पास फाइटर जेट, मिसाइल्‍स और ड्रोन की फ्लीट कितनी मजबूत है, उसका रिजर्व कितना है. दूसरा, एयर स्‍ट्राइक से बचने में कोई भी देश कितना सक्षम है. दूसरे पहलू का संबंध सीधे तौर पर एयर डिफेंस सिस्‍टम से है. भारत इन दोनों क्षेत्र में हजारों-लाखों करोड़ रुपये का इन्‍वेस्‍ट कर रहा है.

₹170000 करोड़ की लागत और 7000 रडार, आयरन डोम-THAAD इसके सामने बच्‍चेAir Defence System: भारत किसी भी तरह के एरियल थ्रेट से निपटने के लिए मिशन सुदर्शन चक्र के तहत स्‍वदेशी एयर डिफेंस सिस्‍टम डेवलप कर रहा है. (फाइल फोटो/PTI)

Air Defence System: दुनिया के सामरिक हालात हर दिन बदल रहे हैं. कब कहां क्‍या हो जाए इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं. किसको पता था कि पाकिस्‍तान की ओर से भेजे गए जल्‍लाद पहलगाम की बैसरन घाटी में धर्म पूछकर निर्दोष पर्यटकों की बर्बर तरीके से हत्‍या करेंगे. उसके बाद किसको इस बात का इमकान था कि भारत आधी रात के बाद ऑपरेशन सिंदूर लॉन्‍च कर पाकिस्‍तान में मौजूद आतंकवादियों के ठिकानों को पलक झपकते ही मिट्टी में मिला देगा. इन सब घटनाओं ने दक्षिण एशिया में हलचल मचा दी. इसके साथ ही सैन्‍य शक्ति और उसकी क्षमताएं भी चर्चा के केंद्र में आ गईं. भारत ने ताबड़तोड़ एयर स्‍ट्राइक पाकिस्‍तान को धुआं-धुआं कर दिया. इसके साथ ही एक और बात सामने आई है- देश का एयर डिफेंस सिस्‍टम कितना स्‍ट्रॉन्‍ग है. भारत की सीएम एक तरफ पाकिस्‍तान तो दूसरी तरफ चीन से लगती है. दोनों देशों का रुख नई दिल्‍ली के प्रति कैसा है, यह जगजाहिर है. ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर ने एयर डिफेंस सिस्‍टम को और मजबूत करने की जरूरत को पूरी तरह से स्‍पष्‍ट कर दिया. यही वजह है कि भारत और दोनों मोर्चों (चीन और पाकिस्‍तान) पर एक साथ टकराव का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर रहा है. इंडियन एयरफोर्स ने डिफेंस मिनिस्‍ट्री के सामने रूस से S-400 ट्रायंफ एयर डिफेंस सिस्‍टम के 5 अतिरिक्‍त स्‍क्‍वाड्रन खरीदने का प्रस्‍ताव रखा था. भारत इसपर गंभीरता के साथ विचार कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्‍ट्रपति पुतिन के बीच दिसंबर में होने वाली मुलाकात में हजारों करोड़ की इस डील पर मुहर लगने की संभावना है इन सबके बीच भारत स्‍वदेशी वायु रक्षा प्रणाली ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ पर भी तेजी से काम कर रहा है. देसी एयर डिफेंस सिस्‍टम डेवलप करने की मुहिम अब आकार लेने लगी है.

पीएम मोदी ने स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर पैन-इंडिया एयर डिफेंस सिस्‍टम प्रोजेक्‍ट मिशन सुदर्शन चक्र को लॉन्‍च करने का ऐलान किया था. इस सिस्‍टम का स्‍वरूप कैसा होगा और यह कैसे काम करेगा, इसकी तस्‍वीर काफी हद तक साफ हो चुकी है. ‘सुदर्शन चक्र’ के पूरी तरह से अस्तित्‍व में आने के बाद आयरन डोम और THAAD जैसे डिफेंस सिस्‍टम भी इसके सामने पानी मांगेंगे. सुदर्शन चक्र प्रोजेक्‍ट को लेकर जो डिटेल अभी तक सामने आई है, उसके अनुसार जमीन से लेकर आसमान और समंदर तक एक अभेद्य सुरक्षा कवच का निर्माण किया जाएगा. डिफेंस एक्‍सपर्ट्स की मानें तो देसी एयर डिफेंस सिस्‍टम से हजारों किलोमीटर दूर तक के एरियल थ्रेट का न केवल पता लगाना संभव होगा, बल्कि उसे न्‍यूट्रलाइज यानी तबाह करना भी पॉसिबल हो जाएगा. इस तरह से भारत का आसमान किसी भी तरह के खतरे से पूरी तरह से मुक्‍त हो जाएगा. चीन और पाकिस्‍तान जैसे देशों की ओर से भविष्‍य में किए जाने वाले हवाई हमलों को नाकाम और निष्क्रिय किया जा सकेगा.

इस पूरे नेटवर्क में शामिल होंगे -:

रडार सैटेलाइट लेज़र हथियार एंटी-ड्रोन सिस्ट लंबी दूरी के इंटरसेप्टर (प्रोजेक्ट कुश)
भारत अपने एयर डिफेंस सिस्‍टम को बूस्‍ट करने के लिए रूस से S-400 के 5 अतिरिक्‍त स्‍क्‍वाड्रन को खरीदने की योजना बना रहा है. (फाइल फोटो/AP)

मिशन सुदर्शन चक्र पर कितना होगा खर्च?

भारत ने अपनी रक्षा क्षमता को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. मिशन सुदर्शन चक्र के तहत देश में एक ऐसा आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम तैयार किया जा रहा है, जो जमीन, आकाश और अंतरिक्ष तीनों स्तरों पर दुश्मन की किसी भी हवाई चुनौती को समय रहते पहचान कर उसे खत्म कर सकेगा. मुख्य रूप से यह मिशन भगवान कृष्ण के प्रतीक सुदर्शन चक्र की तरह काम करेगा यानी दुश्मन पर सटीक प्रहार और देश की रक्षा दोनों एक साथ. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के अनुसार, यह सिस्टम ढाल और तलवार (shield and sword) दोनों की तरह काम करेगा. यह भारत का अपना Iron Dome जैसा सिस्टम होगा, मगर इसका दायरा पूरे भारतीय उपमहाद्वीप जितना बड़ा होगा. यह सुरक्षा कवच बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज़ मिसाइल, ड्रोन, हाइपरसोनिक वेपन और दुश्मन के लड़ाकू विमानों सभी तरह के खतरों से निपटेगा. ‘इंडिया डिफेंस रिसर्च विंग’ की रिपोर्ट के अनुसार, इस मिशन को पूरा करने में ₹130000 से ₹170000 करोड़ का खर्च आने का अनुमान है.

कब तक तैयार होगा सिस्टम?

2028-29 तक इसकी आधारभूत संरचना तैयार हो जाएगी 2035 तक यह मिशन पूरी तरह ऑपरेशनल होग कुल लागत 1.3 से 1.7 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है

कैसा होगा फॉर्मेशन?

देसी वायु रक्षा प्रणाली सुर्शन चक्र का फॉर्मेशन कैसा होगा, इसकी डिटेल सामने आई है. बताया जा रहा है कि इस एयर डिफेंस सिस्‍टम के तहत 6000 से 7000 रडार को इंटीग्रेट किया जाएगा. यह पैन-इंडिया एयर डिफेंस सिस्‍टम होगा, जिसमें रडार के साथ ही सैटेलाइट्स का भी इस्‍तेमाल किया जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि आसमान से दुश्‍मन की हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी, ताकि किसी भी तरह का खतरा पैदा होने से पहले ही निर्णायक कदम उठाया जा सके. सुदर्शन चक्र में कट‍िंग एज डायरेक्‍टेड एनर्जी वेपंस सिस्‍टम (DEW) का भी इस्‍तेमाल किया जाएगा. भारत ने साल 2030 तक 52 सैटेलाइट्स को स्‍पेस में भेजने की योजना बनाई है, ताकि सर्विलांस सिस्‍टम को दुरुस्‍त किया जा सके. इन सबकी मदद से हजारों किलोमीटर दूर से आ रहे एरियल थ्रेट को इंटरसेप्‍ट किया जा सकेगा. इन सबमें सबसे खास है लेजर बेस्‍ड DEW सिस्‍टम. DEW के माध्‍यम से न केवल थ्रेट का पता लगाना आसान होगा, बल्कि दुश्‍मन के सिस्‍टम को आसमान में ही पिघलाकर उसे डिएक्टिवेट भी कर सकेगा. ये सब AI बेस्‍ड नेटवर्क से जुड़े होंगे. इसके लिए इंटीग्रेटेड कमांड ग्रिड बनाया जाएगा, ताकि कोऑर्डिनेशन में किसी तरह की दिक्‍कत पेश न आए.

24×7 मॉनिटरिंग सिस्‍टम

भारत मिशन सुदर्शन चक्र के तहत साल 2030 तक 52 नए सैन्य उपग्रह लॉन्च करेगा, जिससे चीन से लेकर पाकिस्तान तक दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखी जा सकेगी. इन उपग्रहों की मदद से दुश्मन के सैटेलाइट पर भी रोक लगाने की क्षमता बढ़ेगी. PDV Mk-II जैसे एंटी-सैटेलाइट वेपन भी इस मिशन में शामिल होंगे. लेजर हथियारों से ‘सॉफ्ट’ और ‘हार्ड’ किल थ्‍योरी पर काम किया जा सकेगा. DRDO ने हाल ही में लेज़र आधारित हथियारों (Directed Energy Weapons) का सफल परीक्षण किया है. ये वेपन ड्रोन या मिसाइल के सेंसर को तबाह कर सकते हैं. सीधे उसके वारहेड को पिघलाकर उसे पूरी तरह नष्ट कर सकते हैं. इन्हें QRSAM, VSHORADS और RudraM-II जैसे हथियारों के साथ जोड़कर तैनात किया जाएगा. इससे गोला-बारूद की जरूरत भी कम होगी और लागत भी घटेगी.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

November 28, 2025, 06:42 IST

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