Last Updated:September 22, 2025, 16:59 IST
बनारस के मणिकर्णिका श्मशान घाट पर जब किसी मृतक की चिता दाह संस्कार के बाद ठंडी हो जाती है तो उसकी भस्म पर 94 की संख्या लिख दी जाती है, ऐसा क्यों है

बनारस में मणिकर्णिका घाट पर लंबे समय से एक परंपरा चली आ रही है. वहां शवों के दाह संस्कार के बाद चिता की राख पर 94 लिख दिया जाता है. ऐसा केवल बनारस के इस घाट पर ही होता है. आखिर इसकी वजह क्या है. इस संख्या को लिखने से क्या होता है.
मणिकर्णिका घाट बनारस का सबसे प्राचीन और प्रमुख श्मशान घाट माना जाता है. इसके बारे में कहा जाता है कि यहां हजारों सालों से दाह संस्कार होते आ रहे हैं. चिता शांत होने के बाद उसकी राख पर 94 कब से लिखा जा रहा है. इसका अंदाज किसी को नहीं है लेकिन ऐसा वहां बरसों बरस से होता आ रहा है. वैसे आपको बता दें कि बनारस का मणिकर्णिका घाट सदियों पुराना है और यहां दाह संस्कार होने की परंपरा भी.
क्यों पड़ा मणिकर्णिका नाम
स्कन्द पुराण और काशी खंड जैसे ग्रंथों में मणिकर्णिका घाट का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि स्वयं भगवान विष्णु ने यहां तप किया. अपने चक्र से कुआं यानि मणिकर्णिका कुंड खोदा. उसी दौरान उनका मणि और पार्वती का कर्णफूल (कुंडल) इस स्थान पर गिरा, जिससे इसका नाम “मणिकर्णिका” पड़ा.
काशी को “महाश्मशान” कहा जाता है. मणिकर्णिका को इसका केंद्र माना जाता है. विश्वास है कि स्वयं भगवान शिव यहां मृतक के कान में तारक मंत्र (मोक्ष देने वाला मंत्र) फुसफुसाते हैं. माना जाता है कि यहां पर सदियों से लगातार चिताएं जलती रही हैं.
हजारों सालों से यहां दाह संस्कार
5वीं से 7वीं शताब्दी के चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग ने काशी का वर्णन किया. उसमें उन्होंने यहां उन्होंने शवदाह की परंपरा और घाटों का ज़िक्र किया. 12वीं शताब्दी और इसके बाद मुग़ल कालीन और अंग्रेज़ यात्रियों ने भी लिखा कि मणिकर्णिका घाट पर रात-दिन चिताएं जलती रहती हैं. ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित किया जा सकता है कि कम से कम 1500–2000 वर्षों से लगातार यहां दाह संस्कार हो रहे हैं.
मुखाग्नि देने वाला 94 लिखता है
काशी के मणिकर्णिका घाट का महाश्मशान एक मात्र ऐसा स्थल है, जहां मौत को उत्सव माना जाता है. दाह संस्कार करने वाला शख्स चिता की आग ठंडा करने से ठीक पहले काठ या अंगुली से 94 लिखता है.
94 को मुक्त मंत्र कहते हैं
अंतिम क्रिया कर्म के दौरान परंपरा के अनुसार 94 लिखकर शिव से प्रार्थना की जाती है कि मुक्ति मार्ग स्वर्ग को जाए, फिर पानी से भरा घड़ा उल्टा करके चिता पर फोड़ते हुए निकल जाते हैं. माना जाता है कि 94 लिखने के पीछे एक खास वजह होती है. 94 को मुक्ति मंत्र कहते हैं. कहते हैं कि 94 वो मुक्ति का मंत्र है, जिसे भगवान शंकर खुद ग्रहण करते हैं. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि 94 ही क्यों लिखते हैं.
94 की संख्या मनुष्य की किन बातों से जोड़ती है
काशी के पंडित बताते हैं कि मनुष्य के हाथ में 94 गुण होते हैं, जिन्हें वह अपने कामों के अनुसार बढ़ाता – घटाता रहता है. ये उसके हाथ में होते हैं. 6 गुण हर मानव को ब्रह्मा की ओर से मिलते हैं. इंसान में अगर 100 गुण हों तो वो सर्व गुण संपन्न हो जाता है. तो बनारस में मनुष्य को मिले यही 94 गुण शव को समर्पित करके मुक्ति या मोक्ष मांगा जाता है. कहा जाता है कि ये 94 कर्म मनुष्य अपने विवेक, इच्छाशक्ति, और प्रयास से कर सकता है.
6 बातें, जो किसी इंसान के हाथों में नहीं होतीं, जो उसे ब्रह्रा द्वारा पहले से तय कर दी जाती हैं, वो हैं – जीवन, मरण, यश, अपयश, लाभ, हानि. कहा जाता है कि ये 6 गुण किसी इंसान के हाथ में नहीं होते हैं. उसके हाथों में 94 गुण ही होते हैं.
ये परंपरा केवल बनारस में ही
यह एक पारंपरिक प्रथा है जो मुख्य रूप से बनारस के स्थानीय लोगों और वहां के दाह संस्कार करने वालों को पता होती है, बाहर से आए लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती. ना ही ये बात किसी हिंदू ग्रंथ में लिखी गई है.
कहा सकते हैं कि ’94’ को मोक्ष का मंत्र माना जाता है, और इसे शव दाह संस्कार करने वाले लोग लिखते हैं ताकि मृतक को मुक्ति मिले. ये परंपरा बनारस के मणिकर्णिका घाट को छोड़कर दुनिया में कहीं नहीं होती.
रोज 100 से ज्यादा शवों का दाह संस्कार
मणिकर्णिका घाट पर रोज 100 से ऊपर शवों का दाह संस्कार होता है. ये देश का सबसे व्यस्त श्मशान है. यहां लगातार 24 घंटे शवों का दाह संस्कार होता रहता है. शव दाह संस्कार के बाद राख को गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है.
विशेष बात यह है कि मणिकर्णिका घाट पर सभी प्रकार के शव दाह संस्कार नहीं हो सकते. जैसे गर्भवती महिलाओं, 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, सर्पदंश से मरने वालों, और संतों या महात्माओं के शवों के दाह संस्कार यहां नहीं होते बल्कि अन्य विधि से उनका अंतिम संस्कार किया जाता है.
Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
September 22, 2025, 16:59 IST