'थलापति' विजय की तमिलनाडू राजनीति में एंट्री से खलबली!, जानें क्या है कारण ?

1 week ago

Last Updated:September 22, 2025, 18:03 IST

तमिलनाडु की राजनीति में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) का दबदबा रहा है. कुल वोट प्रतिशत का 70 से 80 प्रतिशत वोट इन गठबंधन को मिलता है. लेकिन विजय इसमें क्या बदलाव कर सकते हैं.

'थलापति' विजय की तमिलनाडू राजनीति में एंट्री से खलबली!, जानें क्या है कारण ?जोसेफ विजय चंद्रशेखर.

तमिल फिल्मों के स्टार एक्टर ‘थलापति’ विजय की तमिलागा वेट्टी कल्याणगम (TVK) पार्टी अगले साल होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में राजनीतिक डेब्यू करेगी. मदुरै में आयोजित पार्टी के राज्य सम्मेलन में विजय ने चुनाव लड़ने के दावों को ओर मजबूत किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि TVK न तो डीएमके और न ही बीजेपी के साथ गठबंधन करेगी, उनकी पार्टी अकेले चुनाव मैदान में किस्मत आजमाएगी.

तमिलनाडु की राजनीति में दो पार्टियों का दबदबा रहा है, जिनमें द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) का है, इनके गठबंधनों का कुल वोट प्रतिशत का 70 से 80 प्रतिशत वोट मिलता है. इसके इलावा बाकी बचे 20 से 30 प्रतिशत वोटों पर अन्य पार्टियां दांव लगा सकती है. ये वहीं वोट बैंक होगा जिस पर विजय निगाहें टिकाये होंगे. पिछले तीन दशकों से अन्य पार्टियां भी इसी पर नजर बनाए हुए हैं.

 रैलियों से बटोर रहे सुर्खियां

हाल ही में उन्होंने मदुरै एक बड़ी रैली की थी, जिसके बाद उन्होंने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी थी. एक बड़ी भीड़ उनको देखने के लिए पहुंची थी. इसी भीड़ को देखते हुए कहा जा सकता है कि उनके पास काफी वफादार भीड़ है. ये उनके प्रशंसक थे जो उन्हें सुनने के लिए पहुंच जाते हैं. भीड़ खींचने की उनकी क्षमता पर कभी कोई शक नहीं किया जा सकता है. तमिलनाडु में फ़िल्मी सितारे अक्सर भारी भीड़ खींचते हैं. जब भी फ़िल्मी सितारे राजनीति में उतरते हैं, तो एक उत्सुकता का माहौल होता है. विजय एक बड़े सितारे हैं. इसलिए अब विजय इन्हें वोट में तबदील करने के लिए कुछ अहम मुद्दों पर बात करते नज़र आ रहे हैं. अगर ये भीड़ वोटों में तबदील होती है तो बाकी पार्टियों के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं.

विजय के प्रशंसक मल्टीप्लेक्स और सी श्रेणी के सिनेमाघरों में समान रूप से उमड़ते हैं, इसलिए वो ग्रामीण या अर्ध-शहरी इलाकों में पकड़ बनाने की सोचेंगे. वहीं तमिलनाडू में राजनीतिक रूप से सफल होने के विचारधारा का होना जरूरी है. इससे पहले एमजीआर की सफलता के पीछे उनका स्टारडम तो था ही साथ ही द्रविड़ आंदोलन में काफी एक्टिव थे.

निशाने पर DMK और BJP   

पिछले दिनों हुई रैलियों में विजय ने DMK और BJP, दोनों पार्टियों पर समान रूप से हमला किया. विजय लगातार एमके स्टालिन और उनकी पार्टी को भ्रष्ट बता रहे हैं. रैली में उन्होंने स्टालिन पर चुटकी लेते हुए उन्हें फिल्म अंदाज में स्टालिन अंकल कह कर संबोधन किया. वहीं सेक्युलरिज्म और तमिल भाषा के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी को अपने निशाने पर लिया है. अपने स्टारडम का इस्तेमाल भी बहुत ही सलीके से किया, जिसमें उन्होंने कहा कि जो लोग पूछते हैं कि जो शूटिंग से आया है, वह अचानक सत्ता कैसे ले सकता है? फिर उन्होंने एम.जी.रामचंद्रन (एमजीआर) और विजयकांत की तारीफ कर दी. ये दोनों फिल्मों से ही राजनीति के मैदान में उतरे थे. इस तरह वो खुद को इन्हीं नेताओं की श्रेणी में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो भविष्य में अन्य पार्टियों के लिए खतरे घंटी है.

विजय का सुपरस्टार होना राजनीति में एंट्री करने पर उनकी सबसे बड़ी ताकत हो सकती है, क्योंकि एमजीआर इससे पहले ये कमाल कर चुके हैं. उनकी धार्मिक पहचान ईसाई है और पिछड़े उदयार समुदाय से आते हैं, जिसमें वो अपनी जड़ें जमा सकते हैं. लेकिन विजय की अपीलें अपील जाति, वर्ग, धर्म और यहाँ तक कि क्षेत्र से भी परे होती हैं. अगर उन्हें पिछले और ईसाई वोटर्स का साथ मिला तो इन बड़ी पार्टियों के वोट बैंक में बड़ा डेंट देखा जा सकता है.

वैसे देखा जाए तो 2026 अब ज़्यादा दूर नहीं है, अगर वह डीएमके गठबंधन के 3-4 प्रतिशत वोट भी ले लेते हैं और एआईडीएमके-बीजेपी गठबंधन के 5-6 फीसद खिसकाने में कामयाब हो जाते हैं तो ये समझा जाएगा कि उन्होंने अपना काम कर दिया. ऐसे में अगर त्रिशंकु विधानसभा बनती है तो किंगमेकर बन सकते हैं.

फिल्मी दुनिया से राजनीति में पहले भी हो चुकी हैं एंट्रीज

साल 1996 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जी.के. मूपनार ने तमिल मनीला कांग्रेस (टीएमसी) की स्थापना की थी. इसके बाद साल 2005 में, ‘कैप्टन’ विजयकांत ने देसिया ने मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) की बनाई थी. फिल्म स्टार के तौर पर विजय के कद के आसपास भी कोई नहीं है, लेकिन विजयकांत ने राज्य की राजनीति में थोड़े समय के लिए ही लेकिन अहम छाप छोड़ी थी.

फिल्म निर्देशक सीमन ने 2009 में अपनी तमिल राष्ट्रवादी फिल्म नाम तमिलर काची (एनटीके) बनाई है. राज्य में उनकी एक्टिविटी कम, लेकिन निरंतर बनी हुई है. साल 2014 और 2016 के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री और पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के नेता अंबुमणि रामदास ने खुद को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में उतारा, लेकिन डीएमके-एआईएडीएमके की जोड़ी को कमजोर करने में सफल नहीं हो सके.

साल 2018, में अभिनेता कमल हासन ने भी राजनीतिक विकल्प देने की कोशिश की. हासन ने डीएमके और एआईएडीएमके के विकल्प के रूप में मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) पार्टी बनाई , लेकिन वो चुनावी रूप से कोई प्रभाव नहीं डाल पाए. इसके अलावा आईपीएस अधिकारी से राजनेता बने भाजपा के के. अन्नामलाई 2021 में तमिलनाडु की राजनीति में अगले उभरते चेहरे के रूप में दिखे हैं, वे भविष्य में क्या कमाल कर पाते हैं अभी देखना बाकी है.

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First Published :

September 22, 2025, 18:02 IST

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