Last Updated:September 11, 2025, 11:59 IST
Baba Neeb Karauri death Anniversary 2025: बाबा नीम करौरी का निर्वाण दिवस 11 सितंबर को मनाया जाता है. उनके भक्तों में नरेंद्र मोदी, मार्क जकरबर्ग, स्टीव जॉब्स और जूलिया रॉबर्ट्स शामिल हैं.

Baba Neeb Karauri death Anniversary 2025: हमारा देश हमेशा से ऋषि-मुनियों की धरती रही है. पुरातन काल से लेकर आज तक भारत ने बहुत से संतों को देखा है. इन संतों ने ही अध्यात्म को पुनः भारत में स्थापित किया है. ऐसे ही एक महान संत हुए, जिन्हें बाबा नीब करौरी के नाम से जाना जाता है. वे 20वीं सदी के महान आध्यात्मिक संतों में शुमार रहे हैं. आज यानी 11 सितंबर को बाबा नींब करौरी का निर्वाण दिवस है. माना जाता है कि, बाबा नींब करौरी हनुमानजी के भक्त थे. उनके अनुयायी उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं.
विदेशों तक में बाबा के अनुयायी
बाबा नींब करौरी को श्रद्धाभाव से मानने वालों की फेहरिस्त लंबी है. उनके भक्त देश में ही नहीं, विदेशों में भी हैं. उनको मानने वालों की लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग, एपल के सीईओ रहे स्टीव जॉब्स से लेकर हॉलीवुड की एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स तक शामिल हैं.
कम उम्र में ही पा लिया था अलौकिक ज्ञान
महाराज जी बचपन से ही हनुमान जी को अपना गुरु मानते थे. इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा और माता राम बेटी थीं. माना जाता है कि महाराज जी को कम उम्र में ही अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी. इसी के चलते उन्हें हनुमान जी का अवतार कहा जाने लगा था.
उत्तर प्रदेश के इस जिले में हुआ था बाबा का जन्म
फिरोजाबाद जिले (उत्तर प्रदेश ) के अकबरपुर में बाबा नीम करौरी का जन्म हुआ था. बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था. इनका जन्म लगभग 1900 ई. के आसपास का माना जा रहा है. इनको महाराज जी, नीम करौली, नींब करौरी, चमत्कारी बाबा, तलैया बाबा, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है.
कई सिद्धियां हासिल कर कैंची में बनवाया था आश्रम
नीबकरौरीबाबा डॉट कॉम से मिली जानकारी के मुताबिक, नीम करौरी बाबा की 11 वर्ष की उम्र में विवाह हो गया था. इसके बाद उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था. फिर बाबा ने गुजरात के ववानिया मोरबी में कई सिद्धियां हासिल कर नैनीताल जिले में भवाली से कुछ दूर आगे कैंची में अपना आश्रम बनाया था, जिसे लोग आज कैंची धाम के नाम से जानते हैं.
बाबा ने जीवनकाल में बनवाए 108 हनुमान मंदिर
भक्त बताते हैं कि अपने जीवनकाल में बाबा ने विभिन्न जगहों पर करीब 108 हनुमान मंदिर बनवाए. कहा ये भी जाता है कि बाबा जी आडंबरों से दूर रहते थे. इसीलिए वह अपना पैर भी छूने नहीं देते थे. यदि कोई ऐसा करने का प्रयास करता भी था तो वे उनसे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे.
वृंदावन में शरीर का कर दिया था त्याग
9 सितंबर 1973 को बाबा कैंची धाम से वृंदावन के लिए रवाना हुए. यह बाबा की अंतिम यात्रा थी. 10 सितंबर को वह वृंदावन पहुंचे और 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में ही उन्होंने अपने शरीर का त्याग कर दिया था. यहां भी बाबा ने एक आश्रम बनवाया था, जहां आज भी बड़ी संख्या में बाबा के भक्त पहुंचते हैं.
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First Published :
September 11, 2025, 11:59 IST