हजारों दुश्‍मन से मोर्चा लिए थे 941 भारतीय जांबाज, एक चाल ने पलट दी पूरी बाजी

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Last Updated:October 29, 2025, 09:49 IST

India-Pakistan War 1947: भारत पाकिस्‍तान युद्ध 1947 में 29 अक्‍टूबर को पाकिस्‍तानी कबायलियों और भारतीय सेना के बीच श्रीनगर पर कब्‍जे को लेकर भीषण युद्ध हुआ था.

हजारों दुश्‍मन से मोर्चा लिए थे 941 भारतीय जांबाज, एक चाल ने पलट दी पूरी बाजी

India Pakistan War 1947: 28 और 29 अक्टूबर की रात को कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन दिन चढ़ते ही श्रीनगर पर एक बार फिर दुश्मन का दबाव बढ़ गया. भारतीय सैनिकों ने न सिर्फ जमीन पर लोहा लिया, बल्कि हवाई हमलों से दुश्मन को भी पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. इस दिन की घटनाएं कश्मीर अभियान की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुईं, जहां सीमित संसाधनों के बावजूद सेना ने श्रीनगर को बचाए रखा. आइए, जानते हैं 1947 के भारत-पाकिस्‍तान युद्ध में 29 अक्‍टूबर को क्‍या-क्‍या हुआ.

29 अक्‍टूबर को सुबह होते ही श्रीनगर एयरपोर्ट पर हलचल बढ़ गई थी. एयरपोर्ट पर 161 भारतीय इन्फैंट्री ब्रिगेड का टैक्टिकल हेडक्वार्टर यहां खोला गया. यह ब्रिगेड कश्मीर की रक्षा का मुख्य आधार बनने वाला था. दिन भर में एयरक्राफ्ट्स से सैनिकों की बंपर आवक हुई. उस दिन 1 सिख रेजिमेंट के 56 जवान और 1 कुमाऊं (पैरा) के 218 सैनिक श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरे. 27 अक्टूबर से अब तक श्रीनगर पहुंच चुके सैनिकों की कुल संख्या अब 941 हो गई थी. श्रीनगर को आने वाली सड़कें और आसपास के इलाके पाक समर्थित कबायली दुश्‍मनों से घिरे हुए थे.

दुश्‍मन को लगा डर गए भारतीय सेना के जांबाज
कबायली दुश्‍मन का मकसद था श्रीनगर पर कब्जा कर घाटी को अस्थिर करना. लेकिन भारतीय सेना ने हार नहीं मानी. 29 अक्टूबर का दिन श्रीनगर की रक्षा के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण साबित हुआ. सुबह के करीब 6:30 बजे एक छोटी सी घटना ने सबको सतर्क कर दिया. दुश्‍मन को सबक सिखाने के लिए 1 सिख रेजिमेंट, 3/15 पंजाब और रॉयल इंडियन आर्टिलरी ने संयुक्‍त टीम ने एक रणनीति तैयार की. रणनीति के तहत, भारतीय सेना का यह संयुक्‍त दल पीछे हटा और पट्टन के पास माइलस्टोन 16 पर सड़क के दोनों तरफ मजबूत घेरे बंदी कर बैठ गया.

दुश्‍मन को लगा कि भारतीय सेना डर कर पीछे हट गई है. लिहाजा वह पीछा करते हुए आगे बढ़ता गया. सुबह 9:30 बजे के करीब दुश्‍मन 1 सिख बटालियन के जवानों की फायरिंग रेंज में था. मौका मिलते ही एक सिख बटालियन के जवानों ने 3-इंच मोर्टार की भयानक बमबारी शुरू कर दी. गोलियां गड़गड़ाहट और बमों की आवाज से घाटी का आसमान गूंज गया. 1 सिख बटालियन के इस हमने से दुश्‍मन को भारी नुकसान तो हुआ लेकिर स्थिति अभी भी बेहद गंभीर थी. दुश्मन की संख्या हमसे कहीं ज्यादा थी और उनके पास हथियारों का अच्छा जखीरा भी था.

नई साजिश को अंजाम देने की फिरांक में था दुश्‍मन
वहीं, 1 (पैरा) कुमाऊं की एक कंपनी श्रीनगर एयरपोर्ट पर लैंड हो चुकी थी. अगली रणनीति के तहत, 1 (पैरा) कुमाऊं की इस कंपनी को एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया और 1 सिख की डी कंपनी को साथियों की मदद के लिए एयरपोर्ट से आगे भेज दिया गया. इसके अलावा, 3/15 पंजाब के एक मशीन गन प्लाटून को भी सीधे लड़ाई में उतार दिया गया. यह फैसला गेम-चेंजर साबित हुआ. भयंकर गोलीबारी और हैंड टू हैंड कॉम्‍बैट के बाद भारतीय सैनिकों ने हमलावरों को पीछे धकेल दिया. भारी तादाद में दुश्मन कबायली मारे गए और जो बचे भागने को मजबूर हो गए.

दिन के मध्य तक थोड़ी राहत मिली, लेकिन दुश्मन अभी बाज नहीं आया था. दोपहर होते ही पट्टन के पास पाकिस्‍तानी दुश्मन को फिर इकट्ठा होते देखा गया. वे नई साजिश रच रहे थे. भारतीय सेना की नजर उन पर टिकी हुई थी. दोपहर 3:10 बजे हवाई हमला किया गया. अंबाला से दो टेम्पेस्ट विमान उड़े और दुश्मन के ठिकाने पर 20 एमएम कैलिबर के 815 गोले दागे. इस जबरदस्त हमले में भारतीय तादाद में दुश्मन सैनिक मारे गए और उनकी लॉरीयां नष्ट हो गईं. हतोत्साहित कबायली अपनी जान बचाने के लिए लॉरीयां छोड़कर खेतों में भागने लगे.

स्पिटफायर विमानों ने तोड़ी दश्‍मन की कमर
शाम ढलते-ढलते दुश्मन की हार पक्की हो गई. शाम 4:35 बजे श्रीनगर एयरपोर्ट से दो स्पिटफायर विमानों ने एक और हवाई हमला किया. यह हमला दुश्मन की कमर तोड़ने वाला था. आकाश में उड़ते इन विमानों ने दुश्मन के बचे-खुचे गुटों पर बम बरसाए. फिर लड़ाई शांत हो गई. लेकिन भारतीय सेना ने सतर्कता नहीं छोड़ी. सक्रिय गश्त जारी रही. राज्य सेना के दो घुड़सवार कैवेलरी ट्रूप्स ने पट्टन और टंगमार्ग के बीच सड़क की टोह लेना जारी रखा. उनकी रिपोर्ट से पता चला कि वहां कबायलियों का कोई बड़ा ग्रुप नहीं है.

इसी तरह, 1 (पैरा) कुमाऊं की एक कंपनी को नराबल से पट्टन-टंगमार्ग की ओर गश्त के लिए भेजा गया. ये गश्तें श्रीनगर की सुरक्षा की ढाल बनीं. 29 अक्टूबर की शाम तक स्थिति स्पष्ट रूप से बेहतर हो चुकी थी. ब्रिगेडियर जेसी कटोच 161 ब्रिगेड का कमांड संभालने के लिए पहुंच चुके थे. उनके नेतृत्व में सेना और मजबूत हुई. लेफ्टिनेंट कर्नल सम्पूर्ण बचन सिंह ने 1 सिख रेजिमेंट का कमांड संभाला. अब इस रेजिमेंट में भारतीय सेना के 1/1 पंजाब और 3/15 पंजाब के सैनिक भी शामिल हो चुके थे. साथ ही, 13 बैटरी रॉयल इंडियन आर्टिलरी भी. इसके आगे भारतीय पाकिस्‍तान युद्ध 1947 में 30 अक्‍टूबर क्‍या हुआ, जानने के लिए पढ़ें ऑपरेशन कश्‍मीर की अगली कड़ी.

Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें

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Location :

Jammu and Kashmir

First Published :

October 29, 2025, 09:49 IST

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