सिख धर्म में क्या होता है तनखैया का मतलब? किस गलती के लिए सुनाई जाती है ये सजा

2 hours ago

What is The Meaning of Tankhaiya: तख्त श्री हरिमंदिर पटना साहिब ने तख्त श्री अकाल साहिब और तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज और ज्ञानी टेक सिंह को तनखैया घोषित कर दिया. यह फैसला बुधवार को तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में जत्थेदार ज्ञानी बलदेव सिंह की अध्यक्षता में पंज प्यारों की बैठक में हुआ. इन दोनों जत्थेदारों ने पटना साहिब के हुकुमनामे का उल्लंघन किया था. केवल यही नहीं पंच-प्यारों ने शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को भी पटना साहिब के कामकाज में हस्तक्षेप करने का दोषी मानते हुए दस दिनों के अंदर उपस्थित होने का आदेश दिया. पंज प्यारों ने यह भी कहा है कि आदेश ना मानने पर पंथक परंपरा के अनुसार कार्रवाई होगी.

अकाल तख्त लेता है सभी धार्मिक फैसले
सिखों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने पर दो तरह की सजा दी जा सकती है. एक तो कानूनी सजा है, जो अदालत सुनाती है. लेकिन यह अपराध भारतीय न्याय संहिता के दायरे में आना चाहिए. दूसरी सजा वो जो श्री अकाल तख्त साहिब से सुनाई जाती हैं. ये एक धार्मिक संस्था है और धर्म से जुड़े सारे फैसले लेती है. लेकिन ये सिर्फ सिख को ही सजा सुना सकती है. इस सजा को कहा जाता है तनखैया घोषित करना. सिख धर्म में श्री अकाल तख्त साहिब सर्वोच्च धार्मिक प्राधिकरण है और धार्मिक फैसले लेने का मुख्य केंद्र है. अकाल तख्त द्वारा जारी किए गए आदेशों को ‘हुक्मनामे’ कहा जाता है और सभी सिखों को उनका पालन करना अनिवार्य होता है.

ये भी पढ़ें- Explainer: ज्यादा गर्मी पड़ते ही क्यों आ जाती है आंधी, साथ में होने लगती है बारिश, क्या है इसके पीछे का विज्ञान 

कुल पांच तख्त हैं, जो हैं अधिकार का केंद्र
हालांकि, सिख धर्म में पांच तख्त हैं जिन्हें शक्ति के आसन या अधिकार के केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त है. श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर के अलावा तख्त श्री केशगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब (पंजाब), तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो (पंजाब), तख्त श्री हरिमंदर जी पटना साहिब, पटना (बिहार) और तख्त श्री हजूर साहिब, नांदेड़ (महाराष्ट्र) हैं. प्रत्येक तख्त का अपना महत्व है और वे सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र हैं. हालांकि, धार्मिक फैसलों और हुक्मनामों को जारी करने का सर्वोच्च अधिकार केवल अकाल तख्त साहिब के पास है. अन्य तख्त भी अपने-अपने क्षेत्रों में या विशेष मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन अकाल तख्त का निर्णय ही सर्वोपरि माना जाता है.  

ये भी पढ़ें- Explainer: मुस्तफा कमाल तुर्की को बनाना चाहते थे आधुनिक, लेकिन एर्दोगान ले जा रहे कट्टरपंथ की ओर

क्यों किया जाता है तनखैया घोषित
सिख धर्म के अनुसार धार्मिक दुराचार के दोषी को तनखैया कहा जाता है. इसकी घोषणा सिख पंथ की सर्वोच्च संस्था करती है. कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसके लिए व्यवस्था है कि वह नजदीकी सिख संगत के सामने उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए माफी मांग ले. तब संगत की ओर से पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में उसके कसूर की समीक्षा की जाएगी और फिर उसी के हिसाब से उसके लिए सजा तय की जाएगी. इसके तहत आरोपी को गुरुद्वारे में बर्तन, जूते और फर्श साफ करने जैसी सजाएं सुनाई जाती हैं. साथ ही हर्जाना भी तय किया जाता है. इसके तहत जो सजा दी जाती है, वह मूलरूप से सेवा भाव वाली होती है. 

ये भी पढ़ें- Explainer: क्या है अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज, जो कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक को मिला, ये मुख्य पुरस्कार से कितना अलग

कर दिया जाता है धार्मिक बायकॉट
सिख धर्म के एक जानकार के अनुसार तनखैया का मतलब है जिसको धर्म से निष्कासित कर जाए. आरोपी अगर सजा का पालन नहीं करता तो उसका धर्म से बायकॉट कर दिया जाता है. ऐसे में उसे किसी भी गुरुद्वारे में प्रवेश करने की इजाजत नहीं होती. साथ ही किसी भी पाठ-पूजा में हिस्सा भी नहीं लेने दिया जाता है. इसका मतलब है कि कोई सिख ना तो इनसे संपर्क रखे, ना संबंध रखे. न ही तनखैया के यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में जाएं और ना ही उसे बुलाएं. यानी पूरी तरह से सामाजिक बहिष्कार. आम भाषा में कहें तो उसका हुक्का-पानी बंद कर दिया जाता है.

ये भी पढ़ें- कौन हैं बानू मुश्ताक, जिन्होंने 50 साल पहले छोटी कहानियां लिखनी शुरू कीं, अब मिला बुकर प्राइज

माफी मांगने पर हो जाती है वापसी
सिख धर्म की मान्यता के तहत सिख संगत का माफी देने को लेकर रवैया बहुत कठोर नहीं होता है. ये भी जरूरी है कि आरोपी सजा को लेकर किसी तरह की बहस न करे. सजा पूरी होने पर वो व्यक्ति तनखैया नहीं रहता है. यानी उसकी धार्मिक और सामाजिक जीवन में वापसी हो जाती है. जब सजा समाप्त होती है तो अरदास के साथ यह प्रक्रिया पूरी की जाती है. पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह ने भी तनखैया होने के बाद माफी मांगी थी. उन्हें सजा मिली थी कि आप दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहिब जाकर लोगों के जूते साफ किया करें.

ये भी पढ़ें- Explainer: सीजेआई जब कहीं जाते हैं तो क्या होता है उनका प्रोटोकॉल, पालन कराना किसकी जिम्मेदारी?

ज्ञानी जैल सिंह भी रहे हैं तनखैया
पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह पहले ऐसे नेता नहीं हैं, जिनको तनखैया घोषित किया गया था. उनसे पहले भी तमाम दिग्गज नेताओं को इस तरह की सजा मिल चुकी है. इस सजा की सिख धर्म और खासकर पंजाब के राजनैतिक इतिहास में एक खास अहमियत रही है. खास अहमियत के चलते इस सूबे के महाराजा और मुख्यमंत्रियों से लेकर राष्ट्रपति तक को अपना सिर अकाल तख्त के सामने झुकाना पड़ा है. पंजाब में सिखों का साम्राज्य कायम करने वाले महाराजा रणजीत सिंह, राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला और पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल को भी तनखैया घोषित किया जा चुका है.

Read Full Article at Source