Last Updated:May 22, 2025, 17:09 IST
PhD on Novel: सूरत की 68 वर्षीय लेखिका भावनाबेन वकील के 22 साल पुराने उपन्यास "स्नेह सरोवर भिन्नन" पर पाटन यूनिवर्सिटी की छात्रा ने पीएचडी की. यह साहित्यिक उपलब्धि सूरत के लिए गर्व की बात बन गई है.

गुजराती साहित्य में पीएचडी
सूरत शहर गुजरात के साहित्यिक जगत में हमेशा से एक अहम स्थान रखता आया है. यहां के कई नामी लेखक और कवि गुजराती साहित्य को समृद्ध करते रहे हैं. नर्मद और भगवती कुमार शर्मा जैसे साहित्यकारों ने सूरत को सिर्फ राज्य में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी मशहूर किया है. उनके काम पर कई छात्र पीएचडी करते हैं और उनका शोध साहित्य के विकास में योगदान देता है. इसी कड़ी में सूरत की 68 वर्षीय महिला लेखिका भावनाबेन वकील की कहानी ने हाल ही में एक खास पहचान हासिल की है.
भावनाबेन वकील के उपन्यास पर हुई पीएचडी
पाटन विश्वविद्यालय की छात्रा जिग्नाशा परमार ने भावनाबेन वकील के उपन्यास “स्नेह सरोवर भिन्नन” पर अपनी पीएचडी पूरी की है. यह उपन्यास करीब 22 साल पुराना है, लेकिन इसकी महत्ता आज भी उतनी ही बनी हुई है. जिग्नाशा ने इसे पढ़कर गहराई से शोध किया और भावनाबेन की इस अमूल्य कृति को फिर से साहित्य की दुनिया में उजागर किया. यह बात खास इसलिए है क्योंकि इस तरह के पुराने उपन्यासों पर पीएचडी करना चुनौतीपूर्ण होता है, खासकर जब वे पुस्तकों तक पहुंचना भी आसान नहीं होता.
उपन्यास की खोज और शोध की प्रेरणा
जिग्नाशा परमार ने जब इस उपन्यास को खोजने की कोशिश की, तो काफी दिक्कतें आईं और कई बार असफल भी हुईं. इसके बाद उन्होंने भावनाबेन वकील से संपर्क किया, जिन्होंने और उनके पति हेमंत कुमार ने इस पुस्तक की प्रति उन्हें भेजी. इस प्रकार जिग्नाशा ने शोध कार्य शुरू किया और इस उपन्यास को अपने शोध का विषय बनाया. भावनाबेन ने बताया कि यह उनका पहला उपन्यास है और जब डॉ. भट्ट साहब ने इसे पढ़ा तो वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस उपन्यास पर पीएचडी करने का सुझाव दिया. इससे जिग्नाशा को इस विषय को चुनने की प्रेरणा मिली.
उपन्यास की खासियत और भावनाओं की गहराई
भावनाबेन ने अपने उपन्यास में एक पिता और पालक पिता की बेटी के प्रति गहरे स्नेह को सुंदरता से लिखा है. उन्होंने कहा कि इस उपन्यास में पिता के दिल की उस भावना को दर्शाया गया है, जो बेटी के लिए अनमोल होती है. उनके शब्दों में, “एक पिता की वह ममता और प्यार जो स्नेह की झीलों को भी गीला कर दे.” यह उपन्यास न केवल पारिवारिक संबंधों की नाजुकता को दर्शाता है बल्कि उसमें छुपे प्रेम की भावनाओं को भी बयां करता है.
लेखिका की सफलता में साथियों और परिवार का योगदान
भावनाबेन ने बताया कि उनके उपन्यास की भूमिका लिखने वाले प्रसिद्ध लेखक भगवती कुमार शर्मा और उषाना ने इस कृति को विशेष महत्व दिया. साथ ही, वह अपने पति हेमंत कुमार और मित्रों की भी आभारी हैं, जिन्होंने हर कदम पर उनका समर्थन किया. उनका कहना है कि इस उपन्यास की सफलता में ईश्वर की कृपा भी शामिल है.
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