कहां और कब यमुना में सबसे ज्यादा गंदगी पहुंच रही? इसका होगा पर्दाफाश

6 hours ago

Last Updated:May 22, 2025, 18:24 IST

Delhi Yamuna Pollution: दिल्ली सरकार ने यमुना नदी की सफाई के लिए 32 रियल-टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने का फैसला किया है. DPCC द्वारा स्थापित ये स्टेशन 24x7 पानी की गुणवत्ता की जांच करेंगे.

कहां और कब यमुना में सबसे ज्यादा गंदगी पहुंच रही? इसका होगा पर्दाफाश

दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को साफ करने का प्लान तैयार कर लिया है. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

यमुना की सफाई के लिए 32 मॉनिटरिंग स्टेशन लगाए जाएंगे.22 नालों और 10 यमुना स्थलों पर स्टेशन होंगे.मॉनिटरिंग स्टेशन 24x7 पानी की गुणवत्ता जांचेंगे.

नई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने यमुना नदी की सफाई और उसमें गिरने वाले गंदे पानी पर कड़ी नजर रखने के लिए बड़ा कदम उठाया है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 32 जगहों पर रियल-टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने का फैसला किया है. इसमें 22 बड़े नाले और 10 यमुना नदी से जुड़े स्थान शामिल हैं. इस पहल का उद्देश्य यह जानना है कि कहां और कब यमुना में सबसे ज्यादा गंदगी पहुंच रही है.

हर समय निगरानी, सीधे DPCC सर्वर से जुड़ेगा सिस्टम
ये मॉनिटरिंग स्टेशन 24×7 यानी हर वक्त यमुना और उसके नालों के पानी की गुणवत्ता की जांच करेंगे. डेटा सीधे DPCC के सर्वर पर जाएगा और साल के अंत तक यह सिस्टम पूरी तरह चालू हो जाएगा. इससे सरकार को यह जानने में आसानी होगी कि किस जगह और किस वक्त यमुना सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रही है. इस परियोजना पर लगभग 22 करोड़ रुपये खर्च होंगे और यह सिस्टम ठीक उसी तरह काम करेगा जैसे दिल्ली में हवा की गुणवत्ता पर नजर रखने वाले AQI मॉनिटरिंग स्टेशन.

किन चीजों की होगी जांच?
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने बताया कि सिस्टम पानी में मौजूद कई खतरनाक प्रदूषकों की जांच करेगा, जिनमें शामिल हैं:
BOD (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) – यह बताता है कि पानी में मौजूद जीवों को कितनी ऑक्सीजन चाहिए.
COD (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) – यह रासायनिक प्रदूषण की मात्रा दिखाता है.
TSS (टोटल सस्पेंडेड सॉलिड्स) – पानी में घुले ठोस कण जो गंदगी फैलाते हैं.
कुल नाइट्रोजन (नाइट्रेट और नाइट्राइट के रूप में)
कुल फॉस्फोरस
अमोनिया – जो पानी को विषैला बना देता है.

सरकार ने कुल 32 मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने का प्लान बनाया है. 10 स्टेशन यमुना नदी के प्रमुख स्थलों पर लगाए जाएंगे. इनमें शामिल हैं:
पल्ला
ISBT ब्रिज
ITO ब्रिज
निजामुद्दीन ब्रिज
ओखला बैराज
और अन्य रणनीतिक लोकेशन

22 स्टेशन उन नालों पर लगाए जाएंगे जो यमुना में गंदा पानी पहुंचाते हैं. इनमें शामिल हैं:
नजफगढ़ नाला
मेटकॉफ हाउस नाला
खैबर पास नाला
स्वीपर कॉलोनी नाला
और दिल्ली की सीमाओं से सटे अन्य नाले जैसे:
सिंघु बॉर्डर (सोनीपत) का DD6 नाला
बहादुरगढ़ के नाले
उत्तर प्रदेश से आने वाले शाहदरा, साहिबाबाद और बनठिया नाले

कैसे होगा काम?
एक विशेषज्ञ एजेंसी इन स्टेशनों को स्थापित करेगी और उनमें इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक तकनीक से चलने वाले उपकरण लगाएगी जो हर वक्त पानी की स्थिति को रिकॉर्ड करते रहेंगे.

क्यों जरूरी है ये कदम?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यमुना का सिर्फ 22 किलोमीटर लंबा हिस्सा – जो वज़ीराबाद से लेकर ओखला तक फैला है – नदी की कुल लंबाई का केवल 2% है, लेकिन यमुना का करीब 80% प्रदूषण इसी छोटे से हिस्से में पाया जाता है.

प्रदूषण के मुख्य कारण हैं:
झुग्गियों और अवैध कॉलोनियों से आने वाला बिना साफ किया गया गंदा पानी
और कई बार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) और कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) से पूरी तरह से साफ न हुआ पानी
सरकार को उम्मीद है कि इन स्टेशनों से सही और तुरंत डेटा मिल सकेगा, जिससे प्रदूषण के स्रोतों को तेजी से पहचाना और रोका जा सकेगा.

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