नागास्त्र-1 से कांपा पाकिस्तान, अब आ रहे नागास्त्र-2 और 3! पिनाका बना गेमचेंजर

3 hours ago

नागपुर: भारत की रक्षा तैयारी अब पुराने ढर्रे पर नहीं चल रही. पाकिस्तान से टकराव के हालात में अब जवाब सीधे और सटीक मिल रहा है, वो भी स्वदेशी हथियारों के जरिए. हाल ही में भारत के स्वदेशी ड्रोन ‘नागास्त्र-1’ के इस्तेमाल से पाकिस्तान खौफजदा है. अब DRDO व इंडियन इंडस्ट्री मिलकर नागास्त्र-2 और नागास्त्र-3 जैसे अत्याधुनिक हथियार तैयार कर रहे हैं.

Nagastra-1: पाकिस्तान में दहशत फैलाने वाला स्वदेशी ड्रोन

DRDO और नागपुर की Solar Industries द्वारा मिलकर विकसित किया गया ‘नागास्त्र-1’ भारत का पहला स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन है. हालिया भारत-पाक संघर्ष में इसका इस्तेमाल हुआ और इसके असर ने पाकिस्तान को चौंका दिया. यह ड्रोन टारगेट के ऊपर जाकर खुद को विस्फोट कर देता है, जिससे दुश्मन के बंकर, वाहन और ठिकाने ध्वस्त हो जाते हैं. GPS आधारित टारगेटिंग, कम वजन और हाई एक्सप्लोसिव पेलोड इसकी खासियत है. इसे सोल्जर्स बैकपैक में ले जा सकते हैं और फील्ड में ही लॉन्च किया जा सकता है.

Nagastra-2 और Nagastra-3: अगली पीढ़ी के घातक हथियार

Solar Industries के चेयरमैन सत्यनारायण नुवाल ने खुलासा किया है कि Nagastra के दो वर्जन- नागास्त्र-2 और नागास्त्र-3, ट्रायल फेज में हैं. इन ड्रोन में रेंज, पेलोड और सटीकता को और अपग्रेड किया गया है. ये ड्रोन मौजूदा युद्ध पैटर्न के अनुसार AI-बेस्ड टारगेट रिकग्निशन से लैस होंगे. इनके 2024-25 में सेना में शामिल होने की उम्मीद है.

#WATCH | Defence Research and Development Organisation (DRDO) Chairman Dr Samir V Kamat, accompanied by Solar Industries India Ltd Chairman Satyanarayan Nuwal, reviews the manufacturing processes of various defence products at Solar Industries India Ltd headquarters in Nagpur,… pic.twitter.com/feFJqScYlH

— ANI (@ANI) May 22, 2025

पिनाका: दुश्मन की रीढ़ तोड़ने वाला रॉकेट सिस्टम

नागास्त्र की तरह ही ‘पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम’ भी एक स्वदेशी चमत्कार है, जिसे DRDO और टाटा ग्रुप/सोलर इंडस्ट्रीज ने मिलकर बनाया है. पिनाका की रेंज 45-90 किमी तक है और एक साथ दर्जनों रॉकेट फायर कर सकता है. सटीकता, मोबाइल लॉन्चर और तेजी से री-लोडिंग की क्षमता इसे एक गेम-चेंजर बनाती है. हाल में इसके सभी वेरिएंट्स का ट्रायल सफल रहा है, और इसे पाकिस्तान बॉर्डर के नजदीक तैनात किया जा चुका है.

DRDO का फोकस: लंबी लड़ाई के लिए तैयार भारत

DRDO प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत का कहना है कि अगर भारत को आत्मनिर्भर बनना है और लंबी लड़ाइयों के लिए तैयार रहना है, तो रक्षा R&D और प्रोडक्शन में निजी कंपनियों की भागीदारी जरूरी है.

‘हम कई नए सिस्टम्स पर काम कर रहे हैं- मिसाइल, एयर-बेस्ड हथियार, नौसैनिक हथियार और ड्रोन-रोधी सेंसर. अगले 6 से 12 महीनों में ये सिस्टम सेना में शामिल होंगे.’ डॉ. कामत ने यह भी बताया कि हालिया संघर्षों में DRDO के सिस्टम्स ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन यह वक्त सीखने और और बेहतर सिस्टम्स को लाने का है.

#WATCH | Nagpur, Maharashtra | Solar Industries India Ltd Chairman Satyanarayan Nuwal says, “The war pattern is changing if we look at Azerbaijan, Armenia, Russia, Ukraine. Recently, we manufactured five types of Nagastra (drones). Nagastra-1 was used (in the India-Pakistan… https://t.co/Jktv5rTPMv pic.twitter.com/CMbKbuxnTq

— ANI (@ANI) May 22, 2025

बदलता युद्ध का चेहरा

सोलर इंडस्ट्रीज के चेयरमैन ने एक अहम बात कही, ‘अगर आज अजरबैजान, आर्मीनिया, रूस और यूक्रेन के युद्ध देखें, तो युद्ध का पैटर्न पूरी तरह बदल चुका है. ड्रोन, रॉकेट और सटीक हमले अब युद्ध की दिशा तय कर रहे हैं.’ भारत इसी बदलते परिदृश्य को समझते हुए, अपनी रणनीति और हथियार प्रणाली को तेजी से अपडेट कर रहा है.

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