जापान में लगातार हो जनसंख्या दर में गिरावट को लेकर गंभीर कयास लगाए जा रहे हैं. वहीं इसी क्रम में अब अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क ने भी जपान को लेकर एक गंभीर चेतावनी जारी कर दी है. एलन मस्क ने जापान की गिरती जनसंख्या दर को लेकर चेतावनी जारी की है, 'साल 2025 में जापान में लगभग 10 लाख लोगों की मौत हो जाएगी.' मस्क ने कहा कि ऐसे में ऑर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) उनकी इस चिंता को दूर करने का एकमात्र उपाय है. मस्क ने ये ये चेतावनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया है.
एलन मस्क ने जापान के बढ़ते संकट के बारे में बताते हुए कहा, 'जापान की घटती जनसंख्या गंभीर चुनौतियां पेश करती है, जिसमें श्रमशक्ति का लगातार घटना और स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सेवाओं पर बढ़ता दबाव भी शामिल है. मस्क की टिप्पणियां जापान में हो रहीं जनसांख्यिकीय बदलावों को संबोधित करने की तात्कालिकता को रेखांकित करती हैं, यह सुझाव देते हुए कि ऑर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी तकनीकी का अपडेशन ही उनके बुजुर्ग समाज का समर्थन करने और घटती जनसंख्या दर के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव को कम कर सकता है.'
जापान की जनसंख्या गिरावट पर क्या बोले एलन मस्क?
एक्स पर जापान की गिरत जनसंख्या को लेकर की गई पोस्ट में एलन मस्क ने इसे जापान की एक दीर्घकालिक समस्या बताया है. मस्क ने कहा कि ये अचानक या किसी नई तकनीकि के दुष्प्रभाव की वजह से ऐसा नहीं हुआ है. जापान में जनसंख्या दर में यह गिरावट अब से आधी सदी पहले शुरू हो चुकी थी. मस्क ने अपनी पोस्ट में इस बात को स्पष्ट रूप से खारिज किया कि जापान में जनसंख्या दरों की गिरावट के पीछे की वजह AI है. मस्क ने आगे सुझाव दिया कि AI शायद एकमात्र व्यावहारिक उपकरण हो सकता है जो इस प्रभाव को उलटने में मदद कर सकता है.
9 लाख से अधिक मौतें बनाम जन्म का रिकॉर्ड वर्ष और इसकी वजह
जापान की सरकारी और मीडिया रिपोर्ट्स दिखाती हैं कि जापान की जनसंख्या पिछले वर्ष में तेजी से गिरी. इस दौरान लगभग 9 लाख से भी अधिक लोगों की मृत्यु हुई वहीं इसके विपरीत जन्म में दर्ज किए गए आंकड़ों को लेकर तुलना की जाए तो एक वर्ष में ये देश के जन्मदर के रिकॉर्ड में सबसे बड़ी गिरावट है. यह आंकड़ा जापान की घटती प्रजनन दर (कम जन्म) और उम्रदराज जनसंख्या (अधिक मृत्यु) को दर्शाता है. इसका तत्काल प्रभाव है कम कामकाजी उम्र के लोग जो अधिक सेवानिवृत्त लोगों का समर्थन कर रहे हैं, जिससे पेंशन, स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक वित्तीय व्यवस्था पर दबाव डाल रहा है.
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आखिर कैसे हुआ जापान में जन्म और मृत्यु दर के बीच ये बड़ा अंतर:
कम प्रजनन दर (Low Fertility Rates): जापान में दशकों से जन्म दर में कमी आ रही है, जो कुल प्रजनन दर (टोटल फर्टिलिटी रेट) 1.3 बच्चों प्रति महिला से भी नीचे है.यह जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए आवश्यक 2.1 से काफी कम है. इसके पीछे की वजहों में देर से विवाह, करियर पर ध्यान और बच्चों को पालने की उच्च लागत शामिल हैं.
बुजुर्ग होती जनसंख्या (Aging Population): जापान में विश्व की सबसे अधिक जीवन प्रत्याशा (लगभग 84 वर्ष) है, जिसके परिणामस्वरूप बुजुर्गों (65 वर्ष से अधिक) की जनसंख्या का अनुपात अधिक है. 2025 तक लगभग 30% जनसंख्या इस आयु वर्ग में होगी, जिससे मृत्यु दर जन्म दर से अधिक हो रही है.
आर्थिक दबाव (Economic Pressures): उच्च जीवन-यापन लागत, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में और स्थिर आय ने कई युवा जापानियों को परिवार शुरू करने से रोका है. इसके अलावा, नौकरी की असुरक्षा और लंबे समय तक काम करने की संस्कृति परिवार नियोजन के लिए समय और संसाधनों को सीमित करती है.
सामाजिक और सांस्कृतिक कारक (Social and Cultural Factors): पारंपरिक लैंगिक भूमिकाएं भी इसके पीछे बड़ी जिम्मेदार हैं. जापान में जहां महिलाओं से परिवार और करियर दोनों को संभालने की अपेक्षा की जाती है, ने कई महिलाओं को बच्चे पैदा करने से हतोत्साहित किया है. साथ ही विवाह की घटती दर और सिंगल लाइफस्टाइल को अपनाने की बढ़ती प्रवृत्ति ने जन्म दर को और कम किया है.
प्रवास की कमी (Limited Immigration): जापान की सख्त प्रवास नीतियों ने जनसंख्या में कमी को संतुलित करने के लिए विदेशी श्रमिकों या नागरिकों के प्रवेश को सीमित किया है, जो अन्य देशों में जनसंख्या स्थिरता का एक सामान्य उपाय है.
सरकारी नीतियों का प्रभाव (Impact of Government Policies): हालांकि जापान ने प्रजनन दर बढ़ाने के लिए नीतियां लागू की हैं, जैसे कि चाइल्डकेयर सब्सिडी और माता-पिता की छुट्टी, ये उपाय बड़े पैमाने पर अपर्याप्त या सांस्कृतिक रूप से प्रभावी नहीं रहे हैं.
ये कारक मिलकर एक जनसंख्या का टाइम बम बनाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप श्रमशक्ति में कमी, सामाजिक कल्याण प्रणालियों पर दबाव, और आर्थिक विकास में मंदी आती है. तकनीकी समाधान, जैसे कि AI, कुछ प्रभावों को कम कर सकते हैं, लेकिन ये मूलभूत सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों को पूरी तरह हल नहीं कर सकते.
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