Last Updated:December 13, 2025, 03:08 IST
महेश जीरावाला की मौत पर मिले मुआवजे से उनके पिता ने परिवार का सारा कर्जा चुका दिया.अहमदाबाद. कहते हैं कि एक आदर्श बेटा वो होता है जो जीते जी माता-पिता के हर सपने को पूरा करे, लेकिन अहमदाबाद के फिल्म निर्माता महेश जीरावाला ने अपनी मौत के बाद अपने पिता से किया वादा निभाया है. 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट एआई 171 के दुर्घटनाग्रस्त होने से 260 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें 34 साल के महेश जीरावाला भी शामिल थे. हादसे के छह महीने बाद, उनके 61 वर्षीय बीमार पिता गिरधरभाई जीरावाला को लगता है कि उनके बेटे ने अपना वचन निभा दिया. महेश की मौत के बाद मिले 1.29 करोड़ रुपये के मुआवजे से परिवार ने सारा कर्ज चुका दिया और अपना खुद का घर खरीद लिया.
जमीन पर मौजूद थे महेश
प्लेन क्रैश ने ली जान महेश जीरावाला उन बदनसीब 19 लोगों में शामिल थे, जो विमान में सवार नहीं थे बल्कि जमीन पर थे. 12 जून को जब एअर इंडिया का विमान सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ा, तो कुछ ही देर बाद वह क्रैश हो गया. हादसे में विमान में सवार 241 यात्रियों और जमीन पर मौजूद 19 लोगों की मौत हो गई थी. महेश उस वक्त मेघानी नगर इलाके में हॉस्टल के पास एक सड़क से गुजर रहे थे, तभी दुर्घटनाग्रस्त विमान काल बनकर उन पर गिरा.
पिता से किया था वादा, दिवाली तक ले लूंगा घर
महेश के पिता गिरधरभाई ने बताया कि हादसे के वक्त वह नरोदा में अपने किराए के घर में आराम कर रहे थे. उन्हें घटना से दो हफ्ते पहले ही दिल का दौरा पड़ा था. गिरधरभाई ने भावुक होकर बताया, “मैं हीरा पॉलिश करने की यूनिट में काम करता था. जब मुझे हार्ट अटैक आया, तो महेश ने मुझे काम छोड़ने और आराम करने को कहा. उसने वादा किया था कि वह दिवाली से पहले सारा कर्ज चुका देगा और अपना घर खरीद लेगा. उसे अपने फिल्म प्रोजेक्ट्स से अच्छी कमाई की उम्मीद थी.”
मुआवजे की रकम और परिवार का बंटवारा
महेश की शादी हादसे से महज तीन महीने पहले हेतल से हुई थी. एअर इंडिया और टाटा समूह ने परिवार को 1.25 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया, जबकि राज्य सरकार ने हेतल को 4 लाख रुपये अलग से दिए. कुल मिले 1.29 करोड़ रुपये का बंटवारा हुआ. गिरधरभाई ने बताया, “हमें जो पैसे मिले, उनमें से हेतल 54 लाख रुपये लेकर अपने माता-पिता के घर चली गई. हमारे पास 75 लाख रुपये बचे.”
बेटे की आखिरी इच्छा पूरी की
गिरधरभाई ने बचे हुए 75 लाख रुपयों का इस्तेमाल बेटे का सपना पूरा करने में किया. उन्होंने बताया, “मैंने सबसे पहले 15 लाख रुपये का पुराना कर्ज चुकाया. इसके बाद 45 लाख रुपये में एक घर खरीदा, ताकि हमारा परिवार अपनी छत के नीचे रह सके. 10 लाख रुपये फर्नीचर पर खर्च किए और 5 लाख रुपये महेश के छोटे भाई कार्तिक की 5 साल की बेटी के भविष्य के लिए फिक्स कर दिए.”
अब सिर्फ यादें और सम्मान बचा है
गिरधरभाई ने बताया कि महेश अपने छोटे भाई कार्तिक की बेटी को गोद लेने की योजना बना रहे थे, क्योंकि कार्तिक का तलाक हो चुका है. पिता ने नम आंखों से कहा, “अब मेरे पास उन पैसों में से कुछ नहीं बचा है. मैं अब काम करने की हालत में नहीं हूं और हम कार्तिक की 20,000 रुपये महीने की सैलरी पर निर्भर हैं. लेकिन मुझे इस बात की तसल्ली है कि मेरे बेटे ने मरने के बाद भी हमें बेसहारा नहीं छोड़ा. उसने हमें समाज में सम्मान और रहने के लिए घर दिया.”
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राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
Location :
Ahmadabad,Gujarat
First Published :
December 13, 2025, 03:08 IST

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