केरल में 404 एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड का दावा, हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम रोक

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Last Updated:December 13, 2025, 01:53 IST

Kerala Waqf Board: सुप्रीम कोर्ट ने मुनंबम की जमीन पर वक्फ घोषित करने के केरल हाईकोर्ट आदेश पर रोक लगाई, लेकिन जांच आयोग की रिपोर्ट को बरकरार रखा गया. शीर्ष अदालत ने केरल सरकार को नोटिस भी जारी किया है. पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट भूमि के स्वरूप के प्रश्न पर विचार करने के लिए उपयुक्त मंच नहीं है, क्योंकि मामला न्यायाधिकरण के समक्ष लंबित है.

केरल में 404 एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड का दावा, हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम रोकसुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि मुनंबम की जमीन को वक्फ घोषित करना ‘केरल वक्फ बोर्ड की जमीन हड़पने की रणनीति’ है. सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. हालांकि, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने स्पष्ट किया कि उसने विवादित क्षेत्र के स्वामित्व का पता लगाने के लिए एक जांच आयोग की नियुक्ति के सरकारी आदेश को बरकरार रखने वाले हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक नहीं लगाई है.

यह विवाद एर्णाकुलम जिले के चेराई और मुनंबम गांवों से संबंधित है, जहां के निवासियों ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड उनके पंजीकृत दस्तावेजों और भूमि कर भुगतान रसीदों के बावजूद अवैध रूप से उनकी जमीन और संपत्तियों पर दावा कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को नोटिस जारी कर मुनंबम में स्थित 404 एकड़ भूमि पर हाईकोर्ट के 10 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली केरल वक्फ संरक्षण वेदी की याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है.

वक्फ बोर्ड की दलील
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि हाईकोर्ट ने वक्फ न्यायाधिकरण द्वारा निपटाए जाने वाले मुद्दों में हस्तक्षेप करके गलत टिप्पणियां की हैं, और वक्फ विलेख की वैधता पर टिप्पणी अनुचित थी क्योंकि यह मुद्दा विचाराधीन नहीं था. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष मामला राज्य द्वारा वक्फ विलेख की वैधता और भूमि की प्रकृति की पड़ताल के लिए गठित जांच आयोग को चुनौती है, ये दोनों मुद्दे पूरी तरह से वक्फ न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

गरीब स्थानीय लोगों की बात कभी नहीं सुनी गई
केरल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि संबंधित वक्फ के मुतवल्ली ने न तो हाईकोर्ट का रुख किया और न ही जांच आयोग के गठन से उन्हें कोई आपत्ति है. उन्होंने कहा कि जांच आयोग पहले ही राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप चुका है. अहमदी ने कहा कि वक्फ के मुतवल्ली ने विपक्षी पक्षों (स्थानीय निवासियों) का साथ दिया है. स्थानीय निवासियों की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि ये लोग गरीब मछुआरे हैं और जांच आयोग को चुनौती देना निरर्थक हो गया है क्योंकि रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है. उन्होंने कहा कि इन गरीब स्थानीय लोगों की बात कभी नहीं सुनी गई और 2019 में अचानक उनकी संपत्तियों को वक्फ घोषित कर दिया गया.

हाईकोर्ट उपयुक्त मंच है?
अन्य स्थानीय निवासियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि पहले से ही एक दीवानी अदालत का फैसला है जिसमें कहा गया है कि यह जमीन वक्फ भूमि नहीं है. पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट भूमि के स्वरूप के प्रश्न पर विचार करने के लिए उपयुक्त मंच नहीं है, क्योंकि मामला न्यायाधिकरण के समक्ष लंबित है. न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि हाईकोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़कर कार्य किया है.”
न्यायमूर्ति भुइयां ने पूछा कि क्या इन मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए हाईकोर्ट उपयुक्त मंच है? पीठ ने 27 जनवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया. पीठ ने संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने का भी आदेश दिया.

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Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

December 13, 2025, 01:49 IST

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