शिंदे के 'जय गुजरात' से क्यों चिढ़े ठाकरे? पुरानी है मराठी बनाम बाहरी की दरार

3 hours ago

Last Updated:July 05, 2025, 02:25 IST

एकनाथ शिंदे के 'जय गुजरात' नारे ने महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता की राजनीति को फिर उभार दिया है. उद्धव ठाकरे, आदित्य और संजय राउत ने इसे 'बीजेपी की गुलामी' बताया. कांग्रेस ने भी शिंदे पर निशाना साधा. ये विवाद 'ब...और पढ़ें

शिंदे के 'जय गुजरात' से क्यों चिढ़े ठाकरे? पुरानी है मराठी बनाम बाहरी की दरार

एकनाथ शिंदे के 'जय गुजरात' पर भड़की शिवसेना (फाइल फोटोज)

हाइलाइट्स

डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के 'जय गुजरात' नारे पर विवादशिवसेना (UBT) ने इसे मराठी अस्मिता के खिलाफ बतायाशिंदे ने सफाई दी, कहा कि वे गुजरात समुदाय के कार्यक्रम में थे

Anti Gujarat Politics In Maharashtra: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने पुणे में जैसे ही ‘जय हिंद, जय महाराष्ट्र, जय गुजरात’ का नारा लगाया, राजनीतिक भूचाल आ गया. विपक्ष ने इसे मराठी अस्मिता के खिलाफ बताया. आदित्य ठाकरे ने इसे भाजपा की गुलामी बताया. संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र की धरती पर ‘जय गुजरात’ का नारा पहले कभी नहीं सुना गया. शिंदे ने सफाई दी कि वो गुजरात समुदाय के कार्यक्रम में थे, इसलिए ‘जय गुजरात’ कहा. देवेंद्र फडणवीस ने समर्थन करते हुए कहा कि शरद पवार ने भी कभी कर्नाटक में ‘जय कर्नाटक’ कहा था. लेकिन यह सफाई शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और मनसे को संतुष्ट नहीं कर सकी. सवाल उठने लगे कि क्या महाराष्ट्र में गुजरात का प्रभुत्व बढ़ रहा है.

इसका जवाब सिर्फ राजनीति में नहीं, इतिहास और सामाजिक चेतना में भी छिपा है. बॉम्बे यानी मुंबई की पहचान को लेकर मराठी राजनीति हमेशा असहज रही है. क्योंकि हकीकत यह है कि इस शहर को पारसियों, मुसलमानों और गुजराती व्यापारियों ने बनाया. महाराष्ट्रीय समाज का परंपरागत केंद्र पुणे और नागपुर रहे हैं. मुंबई तो आर्थिक राजधानी बनी लेकिन संस्कृति में मिश्रित. 1960 में महाराष्ट्र बना और मुंबई उसकी राजधानी बनी. लेकिन तब भी बॉम्बे पर महाराष्ट्र का अधिकार विवादित रहा.

महाराष्ट्र और ‘मराठी अस्मिता’ की राजनीति

1966 में बाल ठाकरे ने शिवसेना बनाई. उद्देश्य था कि मुंबई में मराठी लोगों को नौकरी मिले. शुरुआती हमला दक्षिण भारतीयों पर हुआ, फिर उत्तर भारतीयों पर. बाद में शिवसेना ने गुजराती और मारवाड़ी व्यापारियों को भी निशाना बनाया. मराठी अस्मिता की राजनीति यहीं से शुरू हुई.

अब जब एकनाथ शिंदे ‘जय गुजरात’ बोलते हैं, तो शिवसेना को यह केवल एक नारा नहीं लगता. यह प्रतीक बन जाता है उस खतरे का, जिसमें उन्हें लगता है कि मुंबई फिर बाहरी लोगों के हाथ में जा सकती है. इसलिए यह मामला भावनाओं से भी जुड़ गया है.

उद्धव ठाकरे पहले भी आरोप लगाते रहे हैं कि मोदी और शाह गुजरात को बाकी भारत से ऊपर रख रहे हैं. वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री की हर योजना का केंद्र गुजरात होता है. चाहे वेदांता-फॉक्सकॉन हो या एयरबस प्रोजेक्ट, कई बड़े निवेश महाराष्ट्र से गुजरात चले गए. यह आक्रोश अब सड़कों पर नजर आ रहा है.

राज ठाकरे ने भी कभी उत्तर भारतीयों के खिलाफ ऐसा ही आंदोलन चलाया था. अब उनके लिए नया निशाना गुजराती समुदाय बन सकता है. क्योंकि महाराष्ट्र में गुजराती व्यापारी काफी प्रभावशाली हैं. मुंबई, ठाणे, नासिक जैसे शहरों में उनकी आर्थिक पकड़ है. राजनीति में उन्हें घेरना आसान और फायदेमंद हो सकता है.

विपक्ष के हमलों पर शिंदे का पलटवार

कांग्रेस ने भी शिंदे पर हमला किया. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह ‘सियासी गुलामी’ है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि है. वहां के उपमुख्यमंत्री का ‘जय गुजरात’ कहना अपमान है. शिंदे ने पलटवार करते हुए कहा कि जिनके रैली में पाकिस्तान के झंडे दिखते हैं, उन्हें बोलने का हक नहीं. उन्होंने उद्धव ठाकरे पर 2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर स्वाभिमान बेचने का आरोप लगाया.

इस पूरे विवाद में असली सवाल यह है कि क्या ‘जय गुजरात’ कहना गलत है. देवेंद्र फडणवीस कहते हैं कि भारत एक राष्ट्र है. किसी भी राज्य का नारा लगाया जा सकता है. लेकिन शिवसेना का तर्क है कि महाराष्ट्र में, एक मराठी नेता को अपने राज्य की अस्मिता को प्राथमिकता देनी चाहिए.

मुंबई के संदर्भ में यह और संवेदनशील हो जाता है. क्योंकि दशकों से यहां के मूल निवासियों में यह भावना रही है कि बाहरी लोग उनके संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं. अब जब राजनीतिक सत्ता भी एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में है जिसे भाजपा ने आगे बढ़ाया है, तो यह असुरक्षा और बढ़ जाती है.

बॉम्बे सिंड्रोम असल में यही है. एक ऐसा मानसिक और राजनीतिक द्वंद्व, जिसमें मुंबई को लेकर मराठी राजनीति हमेशा असहज रही है. कभी भाषा के नाम पर, कभी रोजगार के नाम पर, कभी सांस्कृतिक पहचान के नाम पर. इस सिंड्रोम को हर बार एक नया चेहरा मिलता है. इस बार यह चेहरा ‘जय गुजरात’ का नारा है.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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Pune,Maharashtra

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