Last Updated:July 04, 2025, 22:10 IST
CJI BR Gavai : सीजेआई बी आर गवई ने न्यायाधीशों की नियुक्ति में पूर्ण पारदर्शिता का आश्वासन दिया, जिसमें योग्यता से समझौता नहीं होगा और समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिलेगा.

सीजेआई गवई ने कहा कि योग्यता से कभी समझौता नहीं किया जाएगा. (पीटीआई)
हाइलाइट्स
सीजेआई गवई ने न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता का आश्वासन दिया.योग्यता से समझौता नहीं होगा और सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिलेगा.मुंबई बार एसोसिएशन ने गवई की पदोन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.मुंबई. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई ने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली में ‘पूर्ण पारदर्शिता’ लाने का शुक्रवार को भरोसा दिया, जिसमें योग्यता को लेकर कभी समझौता नहीं किया जाएगा और समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिलेगा. पिछले महीने देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति गवई ने देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर उनकी पदोन्नति के सम्मान में मुंबई बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि क्योंकि उनके पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति संजीव खन्ना प्रधान न्यायाधीश थे, इसलिए कॉलेजियम ने नियुक्तियों के मामलों में अधिक पारदर्शिता लाने की कोशिश की है.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने पिछले सप्ताह नागपुर में एक कार्यक्रम में कॉलेजियम के कामकाज में हस्तक्षेप के बारे में बात की थी. सीजेाई ने कहा, “मैं सभी को आश्वस्त करता हूं कि हम पूर्ण पारदर्शिता की प्रक्रिया अपनाएंगे. योग्यता से कभी समझौता नहीं किया जाएगा. हमारे पास समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधि होंगे.”
उन्होंने कहा कि जब 2019 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए उनके नाम की सिफारिश की गई थी, तो कॉलेजियम में एक न्यायाधीश इसके पक्ष में नहीं थे. न्यायमूर्ति गवई ने न्यायाधीश का नाम बताने से इनकार करते हुए कहा, “पिछले छह वर्षों से मैंने इसे गुप्त रखा था, जब मेरा नाम सुप्रीम कोर्ट के लिए चर्चा में था, तो कॉलेजियम के एक न्यायाधीश को कुछ आपत्तियां थीं.”
उन्होंने कहा, “उन न्यायाधीश को लगता था कि अगर मुझे पदोन्नत किया गया तो मुंबई के कुछ वरिष्ठ वकीलों में बेचैनी पैदा हो सकती है.” उन्होंने कहा, “हालांकि, मुंबई बार एसोसिएशन के कई वरिष्ठ वकीलों ने दिल्ली में उन न्यायाधीश से मुलाकात की और उन्हें बताया कि उनकी धारणा गलत है.”
प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा, “मैं सदैव मुंबई बार एसोसिएशन का ऋणी रहूंगा, क्योंकि उस समय सुप्रीम कोर्ट में मेरी पदोन्नति और उसके बाद सीजेआई के रूप में मेरी पदोन्नति कभी संभव नहीं होती.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक न्यायाधीश का कर्तव्य हमेशा न्याय करना और संविधान को बनाए रखना है और उन्होंने हमेशा ऐसा करने का प्रयास किया है. न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि जब उन्हें प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, तो उन्होंने मीडिया को कोई साक्षात्कार देने या किसी रूपरेखा के बारे में बोलने से इनकार कर दिया था.
उन्होंने कहा, “अभी बोलने के बजाय, मुझे लगा कि मुझे छह महीने बाद जब मैं सेवानिवृत्त हो जाऊंगा, तो अपने काम के आधार पर बोलना चाहिए. मैं खोखले वादे नहीं करना चाहता और किसी भी निराशा के लिए जगह नहीं छोड़ना चाहता.” प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह इस गलत धारणा को भी दूर करना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट सीजेआई-केंद्रित अदालत है.
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...
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Location :
Mumbai,Maharashtra