Last Updated:December 05, 2025, 22:40 IST
Shashi Tharoor News: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने संसद में प्राइवेट मेंबर बिल पेश कर वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की मांग की. उनका कहना है कि शादी किसी महिला की सहमति को खत्म नहीं कर सकती. एक अन्य विधेयक में उन्होंने बढ़ते वर्क बर्नआउट पर सख्त नियमों की जरूरत बताई. वहीं तीसरे प्रस्ताव में राज्यों के पुनर्गठन के लिए स्थायी आयोग बनाने की बात कही गई.
शशि थरूर ने पेश किए कुल तीन बिल.नई दिल्ली. संसद के शीतकालीन सत्र के बीच शुक्रवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर फिर सुर्खियों में आ गए. वजह है उनके द्वारा पेश किया गया एक प्राइवेट मेंबर बिल जिसका मकसद है वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में लाना. भारत में लंबे समय से चली आ रही उस कानूनी छूट को हटाने की मांग थरूर ने जोरदार तरीके से उठाई. थरूर चाहते हैं कि पत्नी संग जबरन संबंध को अपराध माना जाए. थरूर कहते हैं कि कानून को अब पुरानी सोच से बाहर निकलना होगा. शादी किसी महिला की सहमति को खत्म नहीं कर देती.
शशि थरूर ने अपनी इसी बात को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी लिखा. उन्होंने साफ कहा कि भारत को अब ‘नो मीन्स नो’ से भी आगे जाकर ‘ओनली येस मीन्स येस’ के सिद्धांत पर चलना होगा. उनकी दलील है कि हर महिला को शादी के भीतर भी शरीर पर पूरा अधिकार, सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए. यह संवैधानिक हक है, किसी समाजिक समझौते का तोहफा नहीं.
काम के घंटे तय करे के लिए भी लाए बिल
यही नहीं, थरूर ने शुक्रवार को एक और प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया. इस बार देश में बढ़ते वर्क बर्नआउट को रोकने के लिए. हाल के महीनों में कई कॉर्पोरेट घटनाओं ने कामकाज के दबाव पर नई बहस छेड़ी है. विशेषकर पुणे में मल्टीनेशनल कंपनी ईवाई (EY) से जुड़ी 26 वर्षीय कर्मचारी की अचानक मौत, जिसे कथित तौर पर भारी वर्कलोड से जोड़ा गया. थरूर ने इसी घटना की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत की बड़ी आबादी “49 घंटे से ज्यादा हफ्ते भर काम करती है और 78% कर्मचारी बर्नआउट झेल रहे हैं.” उनके मुताबिक अब समय आ गया है कि काम के घंटे, मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थल सुरक्षा पर कानून और सख्त हों.
राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों के पुनर्गठन पर भी विधेयक
इसके अलावा, थरूर ने एक तीसरा प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किया, जिसमें देश में भविष्य में होने वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुनर्गठन के लिए एक स्थायी आयोग बनाने का प्रस्ताव है. इसका उद्देश्य होगा जनसंख्या, प्रशासनिक क्षमता, आर्थिक मजबूती और जनता की इच्छा जैसे ठोस मापदंडों के आधार पर निर्णय लेना, न कि राजनीतिक समीकरणों के आधार पर.
प्राइवेट मेंबर बिल क्या होता है?
सांसदों द्वारा पेश किए जाने वाले विधेयक दो तरह के होते हैं. अगर कोई विधेयक मंत्री पेश करता है, तो वह सरकारी विधेयक कहलाता है. और अगर कोई साधारण सांसद विधेयक पेश करे तो वह प्राइवेट मेंबर बिलमाना जाता है. ऐसे विधेयक चर्चा जरूर खड़ी करते हैं, लेकिन पास होने की संभावना हमेशा कम रहती है.
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पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
First Published :
December 05, 2025, 22:35 IST

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