मोदी-पुतिन का 'रुबल-रुपया' पैक्ट, डिफेंस से न्यूक्लियर तक… भारत-रूस में 70 डील

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नई दिल्ली: 5 दिसंबर 2025 का दिन इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है. यह वो दिन है जब दुनिया की दो सबसे पुरानी और भरोसेमंद ताकतों ने पश्चिमी देशों की छाती पर मूंग दलते हुए एक नई विश्व व्यवस्था का शंखनाद कर दिया. अमेरिका और यूरोप की तमाम धमकियों, प्रतिबंधों और कुटिल चालों को दरकिनार करते हुए, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत की धरती पर कदम रखा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘सबसे जिगरी दोस्त’ का ऐसा स्वागत किया कि पूरी दुनिया देखती रह गई. यह सिर्फ एक कूटनीतिक दौरा नहीं था, बल्कि यह पश्चिम के मुंह पर एक करारा तमाचा था. 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में जो फैसले लिए गए हैं, उन्होंने यह साबित कर दिया है कि भारत और रूस की दोस्ती फेविकोल का वो जोड़ है जो किसी भी भू-राजनीतिक तूफान में टूटने वाला नहीं है.

यह साल बेहद खास है. यह भारत और रूस की ‘रणनीतिक साझेदारी’ (Strategic Partnership) की 25वीं वर्षगांठ है. 2000 में जब व्लादिमीर पुतिन पहली बार राष्ट्रपति के तौर पर भारत आए थे, तब जो बीज बोया गया था, आज 2025 में वह एक विशाल वटवृक्ष बन चुका है. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने संयुक्त बयान जारी कर साफ कर दिया है कि यह रिश्ता ‘विश्वास और आपसी सम्मान’ की उस नींव पर खड़ा है, जिसे कोई हिला नहीं सकता.

महाशक्तियों का मिलन: एकतरफा दुनिया का अंत

5 दिसंबर को जारी संयुक्त बयान (Joint Statement) का एक-एक शब्द इस बात की गवाही देता है कि भारत और रूस अब ‘मल्टीपोलर वर्ल्ड’ (बहुध्रुवीय विश्व) के सबसे बड़े आर्किटेक्ट बन चुके हैं. दोनों नेताओं ने साफ किया कि दो बड़ी शक्तियों के रूप में, उनकी यह साझेदारी वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक ‘एंकर’ (लंगर) की तरह है. यह अमेरिका की उस दादागिरी को सीधी चुनौती है, जो दुनिया को अपने हिसाब से चलाना चाहता है.

संयुक्त बयान के 70 बिंदुओं में छिपा है भविष्य का वो रोडमैप, जो भारत को एक मिलिट्री और इकोनॉमिक सुपरपावर बनाने के लिए तैयार किया गया है. चाहे वह डिफेंस हो, स्पेस हो, न्यूक्लियर एनर्जी हो या फिर ट्रेड… हर मोर्चे पर रूस ने भारत का हाथ थाम लिया है.

डिफेंस: ‘मेक इन इंडिया’ को मिला रूसी बूस्टर

रक्षा क्षेत्र हमेशा से भारत-रूस संबंधों की रीढ़ रहा है, लेकिन इस बार कहानी बदल गई है. अब भारत सिर्फ खरीदार नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को रूस ने अपना पूरा समर्थन दे दिया है. संयुक्त बयान के पैराग्राफ 28 से 31 में साफ लिखा है कि अब रिश्ता ‘खरीद-फरोख्त’ से आगे बढ़कर ‘को-डेवलपमेंट और को-प्रोडक्शन’ (सह-विकास और सह-उत्पादन) पर आ गया है.

रूस ने वादा किया है कि वह भारत में ही अपने हथियारों के स्पेयर पार्ट्स, कंपोनेंट्स और एग्रीगेट्स का निर्माण करेगा. इसका मतलब समझते हैं आप? इसका मतलब है कि अब युद्ध के समय भारत को स्पेयर पार्ट्स के लिए मास्को की तरफ नहीं देखना पड़ेगा. सब कुछ भारत में बनेगा. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (ToT) के जरिए रूस भारत की सेना को वह ताकत देने जा रहा है, जिससे हमारे दुश्मन थर्रा उठेंगे. इतना ही नहीं, भारत में बने ये रूसी हथियार ‘दोस्त देशों’ को एक्सपोर्ट भी किए जाएंगे. यह भारत को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में सबसे बड़ा कदम है.

नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में मिले पुतिन और मोदी.

22वीं IRIGC-M&MTC बैठक, जो 4 दिसंबर 2025 को हुई, उसमें यह तय किया गया कि भारत की सुरक्षा जरूरतों के हिसाब से एडवांस्ड डिफेंस टेक्नोलॉजी का साझा विकास होगा. यह उन पश्चिमी देशों के लिए बड़ा झटका है जो भारत को अपनी शर्तों पर हथियार बेचना चाहते थे.

ट्रेड वार: डॉलर को ‘बाय-बाय’, 100 अरब का लक्ष्य

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी और पुतिन ने जो फैसला लिया है, वह डॉलर की बादशाहत (Hegemony) को सीधा चैलेंज है. दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर (USD 100 Billion) तक ले जाने का लक्ष्य रखा है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यह व्यापार डॉलर में नहीं, बल्कि ‘नेशनल करेंसी’ (रुपये और रूबल) में होगा.

संयुक्त बयान के पैराग्राफ 13 में साफ लिखा है कि दोनों देश अपने नेशनल पेमेंट सिस्टम्स को एक-दूसरे से जोड़ने पर काम करेंगे. यानी भारत का UPI और रूस का MIR या अन्य सिस्टम एक साथ काम करेंगे. इससे पश्चिमी देशों के प्रतिबंध (Sanctions) धरे के धरे रह जाएंगे. बिना किसी रुकावट के व्यापार होगा.

इसके अलावा, भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के बीच ‘फ्री ट्रेड एग्रीमेंट’ (FTA) पर बातचीत तेज करने का फैसला लिया गया है. यह भारत के लिए एक बहुत बड़ा बाजार खोल देगा. येकातेरिनबर्ग और कजान में भारत के दो नए वाणिज्य दूतावास (Consulates) खुलने जा रहे हैं. यह बताता है कि भारत अब रूस के सुदूर इलाकों तक अपनी पहुंच बना रहा है.

पुतिन और मोदी के सामने हुआ समझौतों का आदान-प्रदान.

एनर्जी और न्यूक्लियर: भारत की ऊर्जा सुरक्षा का ‘कवच’

ऊर्जा सुरक्षा के मामले में रूस भारत का सबसे बड़ा साझीदार बनकर उभरा है. संयुक्त बयान में कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट (KKNPP) के काम में तेजी लाने और भारत में एक ‘दूसरी साइट’ (Second Site) आवंटित करने पर सहमति बनी है. रूस भारत में 100 गीगावाट न्यूक्लियर एनर्जी के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा. इतना ही नहीं, रूस ने भारत को तेल, गैस और फर्टिलाइजर की लॉन्ग टर्म सप्लाई की गारंटी दी है. जब पूरी दुनिया में ऊर्जा संकट की आहट है, तब पुतिन ने मोदी को आश्वस्त किया है कि भारत की गाड़ियों का पहिया कभी नहीं रुकने दिया जाएगा. कोयला गैसीफिकेशन टेक्नोलॉजी हो या पेट्रोकेमिकल्स, रूस हर कदम पर भारत के साथ खड़ा है. रूस के सुदूर पूर्व (Russian Far East) और आर्कटिक क्षेत्र में भारत की एंट्री एक गेम-चेंजर है. पैराग्राफ 21 में 2024-2029 के लिए सहयोग कार्यक्रम का जिक्र है. व्लादिमीर पुतिन ने भारत को आर्कटिक के संसाधनों में हिस्सेदारी का ऑफर दिया है. यह वह इलाका है जहां तेल, गैस और दुर्लभ खनिजों (Critical Minerals) का भंडार है. चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मैरीटाइम कॉरिडोर (Eastern Maritime Corridor) और नॉर्दर्न सी रूट (Northern Sea Route) पर सहयोग बढ़ाकर भारत ने चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ को करारा जवाब दिया है. भारत अब सीधे आर्कटिक के रास्ते यूरोप और रूस से जुड़ सकेगा. यह सामरिक और आर्थिक दोनों नजरिए से भारत की बहुत बड़ी जीत है.

आतंकवाद: पाकिस्तान को सीधी चेतावनी

संयुक्त बयान का पैराग्राफ 60 पाकिस्तान के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है. इसमें 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के ‘पहलगाम’ में हुए आतंकी हमले और 22 मार्च 2024 को मास्को के ‘क्रोकस सिटी हॉल’ हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गई है.

मोदी और पुतिन ने एक स्वर में कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ (Zero Tolerance) की नीति अपनाई जाएगी. ‘सीमा पार से आतंकवाद’ (Cross-border movement of terrorists) और ‘टेरर फाइनेंसिंग’ का जिक्र करके इशारों-इशारों में पाकिस्तान को बता दिया गया है कि अब उसकी खैर नहीं. दोनों देशों ने कसम खाई है कि वे आतंकियों के ‘सेफ हेवन’ (सुरक्षित पनाहगाहों) को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे. चाहे वह अफगानिस्तान में छिपे आतंकी हों या पाकिस्तान में, भारत और रूस मिलकर उनका सफाया करेंगे.

संयुक्त राष्ट्र में भारत की ‘वीटो पावर’ की पक्की गारंटी! रूस ने फिर निभाई दोस्ती.

UNSC में भारत की दावेदारी: पुतिन का ‘वीटो’ वाला साथ

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार और भारत की स्थायी सदस्यता (Permanent Membership) को लेकर रूस ने अपना समर्थन फिर दोहराया है. पैराग्राफ 42 में साफ लिखा है कि रूस एक रिफार्म्ड और एक्सपेंडेड यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की स्थायी सदस्यता का “दृढ़ समर्थन” (Steadfast Support) करता है.

यह उन देशों के लिए संदेश है जो यूएन में भारत का रास्ता रोकने की कोशिश करते हैं. रूस ने साफ कर दिया है कि वह अपनी वीटो पावर और कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके भारत को उसका हक दिलाकर रहेगा. साथ ही, रूस ने भारत के ‘न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप’ (NSG) में शामिल होने का भी पुरजोर समर्थन किया है.

स्पेस: गगनयान से लेकर ग्रहों की खोज तक

स्पेस सेक्टर में भी दोनों देशों ने नई ऊंचाइयों को छूने का फैसला किया है. इसरो और रोस्कोस्मोस के बीच इंसानी मिशन (Human Spaceflight), रॉकेट इंजन का विकास और ग्रहों की खोज (Planetary Exploration) में सहयोग बढ़ाया जाएगा. भारत का गगनयान मिशन हो या भविष्य के स्पेस स्टेशन का सपना, रूस की टेक्नोलॉजी भारत के लिए अहम साबित होगी.

कनेक्टिविटी: दुनिया को जोड़ने का नया रास्ता

इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) को मजबूत करने पर जोर दिया गया है. यह रूट भारत को ईरान और मध्य एशिया होते हुए रूस और यूरोप से जोड़ेगा. यह स्वेज नहर का विकल्प बन सकता है और व्यापार की लागत को काफी कम कर देगा. रूस और भारत की रेलवे के बीच सहयोग से टेक्नोलॉजी एक्सचेंज होगा, जिससे भारतीय रेलवे को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी.

PM @narendramodi and President Vladimir Putin held extensive talks at Hyderabad House today during the 23rd India-Russia Annual Summit.

Both leaders discussed all aspects of relations which are deep-rooted and multifaceted. They reaffirmed mutual commitment to further… pic.twitter.com/bbFHj0gOSN

क्रिटिकल मिनरल्स और टेक्नोलॉजी: भविष्य की जंग की तैयारी

आज की दुनिया में जिसके पास चिप्स और क्रिटिकल मिनरल्स हैं, वही राजा है. संयुक्त बयान के पैराग्राफ 33 में क्रिटिकल मिनरल्स (जैसे लिथियम, कोबाल्ट) और रेयर अर्थ (Rare Earths) की खोज और प्रोसेसिंग में सहयोग की बात कही गई है. यह हाई-टेक इंडस्ट्री और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जरूरी है. दोनों देश क्वांटम कंप्यूटिंग, एआई और डिजिटल सिक्योरिटी में भी साथ मिलकर काम करेंगे.

2026 में मास्को में होगा अगला महा-सम्मेलन

इस ऐतिहासिक दौरे का अंत एक और बड़ी खबर के साथ हुआ. राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी को 2026 में 24वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए रूस आने का न्योता दिया है. पीएम मोदी ने इसे स्वीकार कर लिया है.

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