इंडिगो के चलते इंडियन एविएशन सेक्टर में क्यों आया भूचाल,रद्द होने लगीं फ्लाइट

45 minutes ago

Indigo Pilot Crisis: पिछले कुछ दिनों में इंडिगो की कई उड़ानें रद्द और लेट हुई हैं जिससे हजारों यात्री प्रभावित हुए हैं. इंडिगो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है, जो घरेलू यात्री यातायात का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा संभालती है. लेकिन मौजूदा दिक्कत का मुख्य कारण नए उड़ान ड्यूटी समय सीमा (FDTL) मानदंडों के मद्देनजर पायलट्स की कमी है. एक वजह नए क्रू रेस्ट और ड्यूटी नियमों का दूसरा और अंतिम चरण भी है. इसे पिछले महीने लागू किया गया था और इंडिगो इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं थी.

बुधवार (3 दिसंबर) को केवल 19.7 प्रतिशत उड़ानें समय पर ऑपरेट हुईं, जबकि मंगलवार को यह संख्या 35 प्रतिशत और सोमवार को लगभग 50 प्रतिशत थी. इस व्यवधान के कारण ज्यादातर भारतीय हवाई अड्डों पर अफरा-तफरी मच गयी. सोशल मीडिया पर इंडिगो के यात्रियों ने लंबी देरी और रद्दीकरण पर अपनी निराशा व्यक्त की. कई लोगों ने यह भी शिकायत की कि व्यवधान के कारण उन्हें अन्य एयरलाइनों की महंगी उड़ानें लेनी पड़ीं.

क्या है नया नियम, जिससे हुई दिक्कत
नए एफडीटीएल नियमों के तहत पायलटों के लिए साप्ताहिक विश्राम अवधि 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दी गयी है और नाइट लैंडिंग को पहले के छह घंटों से सीमित करके दो घंटे कर दिया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि इससे इंडिगो के क्रू रोस्टरिंग पर काफी असर पड़ा है. इन नियमों ने रात्रिकालीन घंटों की परिभाषा को भी एक घंटे बढ़ा दिया है, जिससे एयरलाइन के संचालन पर अतिरिक्त प्रतिबंध लग गए हैं. नए नियमों का उद्देश्य पायलटों की थकान से बेहतर ढंग से निपटना है, जो विमानन सुरक्षा में एक प्रमुख जोखिम है.

ये नियम पहले जून 2024 से लागू होने वाले थे लेकिन इंडिगो और अन्य एयरलाइनों के विरोध के बाद इन्हें वापस लेने में देरी हुई. एयरलाइनों का मुख्य तर्क यह था कि नए नियमों के लिए ज्यादा क्रू सदस्यों की आवश्यकता होगी और वे इन्हें लंबे समय तक चरणबद्ध तरीके से लागू करना चाहते थे. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बाद डीजीसीए ने इस साल इन नियमों को लागू कर दिया. इन्हें दो चरणों में लागू किया गया, जुलाई और नवंबर में.

दूसरे चरण में पैदा हुई दिक्कत
इंडिगो ने पहले चरण को बिना किसी खास प्रभाव के सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था, जिसमें चालक दल के लिए साप्ताहिक विश्राम अवधि भी शामिल थी. लेकिन दूसरे चरण में ‘रेड आई’ उड़ानों के लिए चालक दल के उपयोग के स्तर में कटौती की आवश्यकता थी. इसलिए इंडिगो को अन्य एयरलाइनों की तुलना में कहीं अधिक नुकसान हुआ. कम लागत वाली एयरलाइन मॉडल की समर्थक इंडिगो के विमानों और चालक दल के उपयोग का स्तर अन्य भारतीय एयरलाइनों की तुलना में बेहतर है. इस एयरलाइन की रात्रिकालीन उड़ानें भी अन्य एयरलाइनों की तुलना में अधिक हैं. 400 से अधिक विमानों के अपने बेड़े के साथ इंडिगो प्रतिदिन 2,300 से अधिक उड़ानें संचालित करती है, जो 90 से अधिक घरेलू और 45 अंतरराष्ट्रीय डेस्टिनेशन को जोड़ती हैं. और यह ऐसा कम कर्मचारियों वाले मॉडल के साथ करती है.

इंडिगो पर सबसे ज्यादा असर क्यों
अगर उड़ान रद्द होने की दर 10 प्रतिशत भी रही तो इंडिगो की 230 से ज्यादा उड़ानें रद्द हो जाएंगी. इसके विपरीत अगला सबसे बड़ा एयरलाइन समूह एयर इंडिया इसकी आधी से भी कम उड़ानें संचालित करता है. इंडिगो के बेड़े का बड़ा हिस्सा एयरबस ए320 जैसा नैरो-बॉडी विमान है. इस विमान से आमतौर पर एक दिन में कई उड़ानें संचालित की जाती हैं. इसका मतलब है कि देरी और रद्दीकरण की घटनाएं तेजी से बढ़ सकती हैं. डीजीसीए के अनुसार इंडिगो ने नियामक को सूचित किया कि नवंबर में उसकी 1,232 उड़ानें रद्द हुईं. इनमें से 755 क्रू और एफडीटीएल से संबंधित बाधाओं के कारण, 258 हवाई क्षेत्र और हवाई अड्डे पर प्रतिबंधों के कारण, 92 हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली की विफलता की घटनाओं के कारण, और 127 अन्य विभिन्न कारणों से रद्द हुईं.

क्या वाकई पायलटों की कमी
इंडिगो एयरलाइंस जिस संकट से गुजर रही है उसकी मुख्य वजह पायलटों की कमी है. यह संकट मुख्य रूप से नए सरकारी नियमों के कारण पैदा हुआ है, लेकिन पायलटों के संगठनों का कहना है कि इसके लिए एयरलाइन की अपनी अपर्याप्त तैयारी भी जिम्मेदार है. सख्त नियमों के कारण एयरलाइन के लिए उड़ान रोस्टर बनाना बहुत जटिल हो गया है, जिससे एक ही संख्या में उड़ानें संचालित करने के लिए अधिक पायलटों की आवश्यकता हो गई है. पायलट संगठनों (जैसे FIP) ने आरोप लगाया है कि इंडिगो इस संकट के लिए अपनी ‘लीन मैनपावर’ रणनीति के कारण जिम्मेदार है. उनका कहना है कि नए FDTL नियमों के लिए दो साल का तैयारी का समय था, लेकिन इंडिगो ने पर्याप्त पायलटों की भर्ती नहीं की, वेतन नहीं बढ़ाया, और कम स्टाफ के साथ ही अपने बड़े ऑपरेशन को जारी रखा.

एयरलाइन को चाहिए कितना स्टाफ
इंडिगो में पायलटों की कमी है और यह कमी DGCA के नए अधिक मानवीय FDTL नियमों के कारण बढ़ गई है. जिसने एयरलाइन को रातोंरात अधिक क्रू की आवश्यकता में ला खड़ा किया है. पायलट संगठनों के अनुसार यह संकट एयरलाइन की दीर्घकालिक कम भर्ती और खराब परिचालन रणनीति का सीधा परिणाम है. नए FDTL नियमों के तहत इंडिगो को 2,422 कैप्टन्स की आवश्यकता थी. आवश्यकता के मुकाबले 65 कैप्टन्स की कमी है. यह केवल कैप्टन के पद पर है, को-पायलटों की कमी अलग हो सकती है.

पायलट बढ़ाने से किराया होगा प्रभावित
पायलटों की संख्या में वृद्धि से किराया क्यों बढ़ सकता है, इसके दो मुख्य कारण हैं. एयरलाइन का सबसे बड़ा खर्च ईंधन के बाद कर्मचारियों का वेतन होता है. नए पायलटों को खोजने, उन्हें प्रशिक्षित करने और लाइसेंस दिलाने पर भारी निवेश करना पड़ता है. अनुभवी पायलटों को रोकने और नए पायलटों को आकर्षित करने के लिए एयरलाइन को अधिक वेतन और भत्ते देने पड़ते हैं. खासकर इंडिगो जैसी लो-कॉस्ट कैरियर के लिए जो कर्मचारियों को कम वेतन देने के लिए जानी जाती है, यह एक बड़ी लागत होगी. क्योंकि कोई भी कंपनी अपने मुनाफे को बनाए रखने के लिए इस अतिरिक्त भार को उपभोक्ताओं पर डालेगी.

कई एयरलाइंस की सख्त जरूरत
भारतीय विमानन बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए एकाधिकार की प्रवृत्ति को रोकने के लिए और अधिक एयरलाइंस की सख्त जरूरत है. वर्तमान में, भारतीय घरेलू विमानन बाजार पर मुख्य रूप से दो बड़े समूहों का वर्चस्व) है, जिससे प्रतिस्पर्धा का संतुलन बिगड़ गया है. बाजार का लगभग 90% हिस्सा केवल इन दो समूहों (इंडिगो और टाटा) के नियंत्रण में है. भारत में और एयरलाइंस की सख्त आवश्यकता है. नई एयरलाइंस न केवल किराया कम करने में मदद करेंगी, बल्कि परिचालन संकट के समय बाजार को स्थिरता भी प्रदान करेंगी.

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