डिफेंस मजबूत करना है तो पान मसाले पर टैक्स बढ़ेगा ही, संसद में बोलीं सीतारमण

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Last Updated:December 05, 2025, 16:36 IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि आधुनिक युद्ध हाई टेक और महंगे होते हैं, इसलिए डिफेंस को मजबूत रखने के लिए संसाधन जुटाना जरूरी है. इसी वजह से पान मसाले जैसी अवगुण वाली वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाना जायज है. उन्होंने कारगिल के समय सेना की कमी का जिक्र किया और कहा कि ऐसा दौर दोबारा नहीं आने देंगे.

डिफेंस मजबूत करना है तो पान मसाले पर टैक्स बढ़ेगा ही, संसद में बोलीं सीतारमणलोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Photo : Sansad TV)

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में विपक्ष के तीखे सवालों का बेहद आक्रामक अंदाज में जवाब दिया है. मामला ‘हेल्थ सिक्योरिटी टू नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल 2025’ से जुड़ा था. वित्त मंत्री ने साफ कर दिया कि देश की सुरक्षा के लिए सरकार कड़े से कड़े फैसले लेने से पीछे नहीं हटेगी. उन्होंने दो टूक कहा कि अगर डिफेंस के लिए फंड चाहिए तो पान मसाले जैसी ‘सिन गुड्स’ (अवगुण वाली वस्तुओं) पर टैक्स बढ़ेगा ही. उन्होंने विपक्ष को याद दिलाया कि आज का दौर हाईटेक युद्ध का है. अब लड़ाइयां सिर्फ सैनिकों के दम पर नहीं, बल्कि स्पेस एसेट, साइबर ऑपरेशंस और सटीक मार करने वाले हथियारों से लड़ी जाती हैं. ये सब बेहद महंगे हैं और इसके लिए भारी भरकम बजट की जरूरत है.

‘कारगिल जैसी गलती दोबारा नहीं दोहराएंगे’

निर्मला सीतारमण ने चर्चा के दौरान कारगिल युद्ध का जिक्र कर सदन को भावुक और गंभीर कर दिया. उन्होंने कहा कि भारत अब किसी भी कीमत पर कारगिल वाली स्थिति में वापस नहीं जाना चाहता. उस समय बजट और संसाधनों की कमी के कारण हमारी सेना के पास सिर्फ 70 से 80 प्रतिशत ही अधिकृत हथियार और गोला-बारूद था. सेना के जनरल्स ने खुद इस बात को स्वीकार किया था. वित्त मंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि अब भारत में वो दौर कभी वापस नहीं आएगा. हमारी सेना कभी संसाधनों की कमी से नहीं जूझेगी. इसके लिए चाहे पान मसाले पर टैक्स लगाना पड़े या कोई और सेस, सरकार पीछे नहीं हटेगी.

‘पान मसाला सस्ता रखने का कोई तुक नहीं’

विपक्ष ने सवाल उठाया था कि रक्षा बजट के लिए पान मसाले पर ही टैक्स क्यों? इस पर वित्त मंत्री ने करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि पान मसाला स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. ऐसी ‘अवगुण वाली वस्तुओं’ को सस्ता रखने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने पूछा कि क्या कोई सदस्य चाहता है कि पान मसाला सस्ता मिले? पब्लिक हेल्थ राज्यों का विषय है, लेकिन नेशनल डिफेंस केंद्र की जिम्मेदारी है. इसलिए सरकार हर संभव स्रोत से पैसा इकट्ठा करेगी ताकि देश की सीमाएं सुरक्षित रहें.

सेस पर विपक्ष के झूठ की खोली पोल

विपक्ष का आरोप था कि मोदी सरकार सेस (उपकर) के जरिए पैसा वसूलती है ताकि राज्यों को हिस्सा न देना पड़े. इस पर निर्मला सीतारमण ने आंकड़ों के साथ पलटवार किया. उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि 2014 में सरकार ने फैसला लिया कि हम सेस लेंगे और राज्यों को धन नहीं देंगे.” उन्होंने इतिहास के पन्ने पलटते हुए बताया कि 2014 से पहले भी चार प्रकार के सेस वसूले जा रहे थे:

1974: कच्चे तेल पर सेस लगाया गया था.

2000: रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस शुरू हुआ.

2001: नेशनल कलामिटी कंटिंजेंट ड्यूटी वसूली जा रही थी.

उन्होंने बताया कि 2014-15 से 2025-26 तक स्वास्थ्य और शिक्षा के नाम पर 6,49,459 करोड़ रुपये का सेस वसूला गया, जबकि सरकार ने 6,07,573 करोड़ रुपये वितरित किए. वित्त मंत्री ने साफ किया कि संविधान का आर्टिकल 270 संसद को किसी खास उद्देश्य के लिए सेस लगाने की शक्ति देता है और इसकी दर संसद की चर्चा के बाद ही तय होती है.

मिडिल क्लास को दी बड़ी राहत: सीतारमण

अपने जवाब में वित्त मंत्री ने यह भी याद दिलाया कि सरकार सिर्फ टैक्स नहीं लगा रही, बल्कि राहत भी दे रही है. उन्होंने बताया कि एक साल के भीतर इनकम टैक्स में बड़ी कटौती की गई है. पहले टैक्स छूट की सीमा 7 लाख थी, जिसे बढ़ाकर अब 7.76 लाख कर दिया गया है. यानी इतना कमाने वाले को एक रुपया भी टैक्स नहीं देना पड़ता. सेस का विरोध करने वालों को यह समझना होगा कि रक्षा के लिए संसाधन जुटाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है.

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Deepak Verma

दीपक वर्मा न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में काम कर रहे हैं. लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े दीपक की जर्नलिज्म जर्नी की शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म...और पढ़ें

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

December 05, 2025, 16:35 IST

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