Last Updated:November 11, 2025, 13:23 IST
Visa & Mastercard Fee : अमेरिका में वीजा और मास्टरकार्ड के साथ खुदरा कारोबारियों का चल रहा विवाद अब सुलझने की कगार पर है. दोनों कंपनियों ने शुल्क में कटौती का ऑफर दिया है, जिससे करीब 200 अरब डॉलर की बचत होगी.
वीजा और मास्टरकार्ड ने इंटरजेंच फीस घटाने का ऑफर दिया है. नई दिल्ली. दुनियाभर में क्रेडिट और डेबिट कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराने वाली दो दिग्गज कंपनियों वीजा और मास्टरकार्ड इंक ने 20 साल पुराने विवादित मसले को हल करने का मन बना लिया है. इसका फायदा उन लाखों रिटेलर्स को मिलेगा, जो इन कार्ड पर लगने वाले शुल्क को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. अगर यह मसला हल होता है तो सेटलमेंट के रूप में मर्चेंट को करीब 200 अरब डॉलर (करीब 17 लाख करोड़ रुपये) की बचत होगी.
रिटेलर्स की ओर से बतौर इकनॉमिस्ट एक्सपर्ट अपनी सेवाएं दे रहे जोसेफ स्टिग्लिट्स और कीथ लेफलर का कहना है कि कार्ड पर लगने वाले शुल्क के सेटलमेंट को लेकर यह मामला कई साल से चल रहा है. अगर इसका समाधान होता है तो यह अमेरिका के एंटीट्रस्ट इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा सेटलमेंट केस होगा. कार्ड के एग्रीमेंट के तहत जब भी काई कस्टमर कार्ड यूज करता है तो रिटेलर्स को इंटरचेंज रेट के तहत फीस चुकानी होती है.
क्या है समझौते की शर्त
दोनों कंपनियों की ओर से शेयर बाजार को दी गई जानकारी के अनुसारा, समझौते के लिए कार्ड के नेटवर्क के लिए प्रभावी इंटरचेंज की औसत दर को कम किया जाएगा. अमेरिका में ग्राहक जब कार्ड से रिटेलर्स को भुगतान करते हैं तो उन्हें अमेरिकी क्रेडिट कार्ड नियमों के तहत 5 साल के लिए 0.10 फीसदी शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा. वैसे अमेरिका में स्टैंडर्ड शुल्क 1.25 फीसदी है. मास्टरकार्ड ने एक ईमेल में बताया कि यह सभी पक्षों के लिए सबसे बेहतर समाधान है. इस समाधान में स्पष्टता होने के साथ, लचीलापन और उपभोक्ताओं की सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है. इसका फायदा छोटे कारोबारियों को बखूबी मिलेगा.
कितना पहुंच गया है यह शुल्क
मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि पिछले साल तक इस शुल्क का आंकड़ा 187 अरब डॉलर पहुंच गया था, जो इस साल तक 200 अरब डॉलर से भी ऊपर पहुंच चुका होगा. रिटेलर्स लंबे समय से फीस को लेकर शिकायत करते रहे हैं. दूसरी ओर, वीजा और मास्टरकार्ड इंटरचेंज दरों का आकार निर्धारित करके मोटी रकम कमाना चाहती हैं. इससे मिले राजस्व का बड़ा हिस्सा उन बैंकों को दिया जाता है जो कार्ड जारी करते हैं. हालांकि, रिटेलर्स के समूह ने आरोप लगाया है कि दोनों कंपनियों ने सिर्फ उसी फीस में कटौती की बात कही है, जो वे बैंकों को देते हैं, न कि वह शुल्क जो कंपनियां खुद रखती हैं.
पहले दिया था 30 अरब डॉलर का ऑफर
पिछले साल भी दोनों पार्टियों के बीच एक समझौते पर बातचीत शुरू हुई थी. इसके तहत 5 वर्षों में करीब 30 अरब डॉलर बचत होने का ऑफर दिया गया था. इन दोनों कार्ड पर हाई इंटरचेंज फीस लगती है और कारोबारियों को इस फीस को लेकर लंबे समय से परेशानी हो रही है. नए समझौते के तहत कारोबारियों को इस बात की भी छूट मिलेगी कि वे कॉमर्शियल, प्रीमियम कंज्यूमर और स्टैंडर्ड कंज्यूमर्स में से जिसे चाहें, उसका कार्ड स्वीकार करने से इनकार कर सकते हैं. इस मुद्दे पर 20 साल से विवाद चल रहा था, जिस पर अब सहमति बनती दिख रही है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 11, 2025, 13:23 IST

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