Explainer: दिल्ली की सुरक्षा और खुफिया जिम्मा किन पर ताकि महफूज़ रहे राजधानी

2 hours ago

दिल्ली में लालकिले के सामने जबरदस्त कार विस्फोट में 9 से ज्यादा लोगों के मरने के बाद दिल्ली की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है. दिल्ली ना केवल महानगर है बल्कि ये देश की राजधानी है. इस नाते इसे बहुत संवेदनशील भी माना जाता है. इसकी सुरक्षा का जिम्मा किस पर है और किस पर इसकी खुफिया सुरक्षा का जिम्मा. यहां कितनी लेयर इस काम में लगी रहती हैं.

दिल्ली की सुरक्षा और खुफिया सुरक्षा व्यवस्था कई एजेंसियों की साझा ज़िम्मेदारी है. ये देश की सबसे संवेदनशील जगह है, क्योंकि देश शीर्ष नेता रहते हैं, राष्ट्रपति भवन, संसद, प्रधानमंत्री निवास, विदेशी दूतावास, सुप्रीम कोर्ट और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थान भी हैं. देश की राजधानी का जिम्मा अलग अलग लेयरों में अलग एजेंसियों का है. जानते हैं कि कौन सी एजेंसी किस तरह से सुरक्षा का काम करती है.

दिल्ली पुलिस

दिल्ली की आंतरिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण का काम दिल्ली पुलिस संभालती है. ये भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आती है, न कि दिल्ली सरकार के.

वैसे दिल्ली पुलिस की अलग विशेष इकाइयां अलग कामों को संभालती हैं.
स्पेशल सेल – ये आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए बनाई गई है. खासकर पाकिस्तान आधारित या इस्लामिक आतंकी नेटवर्क से जुड़े मामलों को सूंघने और रोकने का काम करती है.

क्राइम ब्रांच – संगठित अपराध और संवेदनशील मामलों की रोकथाम और जांच का करती है.
स्पेशल ब्रांच – दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच शहर में सुरक्षा-संबंधी इंटेलिजेंस इकट्ठा करती है. संदिग्ध व्यक्तियों की निगरानी, संवेदनशील इलाकों में गतिविधियां, राजनीतिक या धार्मिक सभाओं की जानकारी. जिसके जरिए वो शहर में क्या होने वाला है, कहीं कोई साजिश तो नहीं रची जा रही है, इसकी खोज-खबर रखती है.
VIP सुरक्षा इकाई – राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद और अन्य विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा में सहयोग.

इंटेलिजेंस ब्यूरो

यह भारत की सबसे पुरानी खुफिया एजेंसी है. ये देश के अंदरूनी खतरों की निगरानी करती है. दिल्ली में आईबी की भूमिका आतंकवादी नेटवर्क, कट्टरपंथी संगठनों और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना है. माना जाता है कि उनके मुखबिर हर जगह फैले होते हैं, जो उन्हें लगातार जानकारियां देते हैं. ये हासिल की गई जानकारी राज्य और केंद्रीय पुलिस बलों को इनपुट के तौर पर देते हैं. ये इसके अलावा भी हमेशा संभावित खतरों को लेकर आगाह करते हैं और इसकी विश्लेषण रिपोर्ट तैयार करते हैं.

रॉ यानि रिसर्च एंड एनालिसिस विंग

रॉ आमतौर पर विदेश में आपरेशंस को अंजाम देती है लेकिन ये विदेश में रहकर विदेशी धरती से होने वाले खतरों की भी टोह लेती रहती हैं. उन्हें मालुूम रहना चाहिए कि सीमा पार से कैसी आतंकवादी गतिविधियां चल रही हैं और विदेशी एजेंटों की गतिविधियां किस तरह की हैं, जिससे देश को खतरा हो सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि रॉ की भूमिका दिल्ली में नहीं है. देश की राजधानी में उनकी भूमिका है लेकिन सीमित है. उनसे उम्मीद की जाती है कि अगर कोई आतंकी या विदेशी जासूस भारत में प्रवेश करता है या दिल्ली में सक्रिय होता है तो ये बात रॉ और IB को मालूम होनी चाहिए. वो इस बारे में संयुक्त रूप से अलर्ट जारी करते हैं.

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG)

इन्हें अक्सर “ब्लैक कैट कमांडो” कहा जाता है. इसका हेड क्वार्टर गुड़गांव के पास मानेसर में है. इसकी एक बड़ी टुकड़ी दिल्ली में तैनात रहती है. ये किसी भी बड़े आतंकी हमले या होस्टेज जैसी स्थिति में तुरंत हरकत में आ जाती हैं. हर आतंकवादी घटना के बाद या ऐसे हमलों की स्थिति में NSG को सबसे पहले बुलाया जाता है.

सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF)

दिल्ली के एयरपोर्ट, मेट्रो, संसद भवन, सरकारी प्रतिष्ठान, और संवेदनशील उद्योगों की सुरक्षा CISF के हाथ में है. दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा पूरी तरह CISF के पास है.

स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG)

प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सुरक्षा SPG करती है. इसके अलावा VVIP जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और विदेश से आए राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा का जिम्मा भी NSG या दिल्ली पुलिस की विशेष इकाइयां संभालती हैं.

डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) और मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI)

अगर खतरा किसी सैन्य या सीमा पार आतंक नेटवर्क से जुड़ा हो, तो ये एजेंसियां इनपुट देती हैं. दिल्ली में सैन्य ठिकानों की सुरक्षा में भी इनका योगदान रहता है.

नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड और मल्टी एजेंसी सेंटर

नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड आतंकवाद-संबंधी डेटा को रीयल टाइम में जोड़ता है. वहीं मल्टी एजेंसी सेंटर देशभर की 30 से ज्यादा एजेंसियों से इकट्ठी जानकारी को साझा करता है. इन पर भी जिम्मा होता है कि दिल्ली में अगर किसी खतरे का अलर्ट हो तो तुरंत संबंधित एजेंसी को इस बारे में बताएं. दिल्ली इन दोनों ही एजेंसियों का केंद्रीय नोड है.

दिल्ली में किसी बड़ी घटना पर किनकी मीटिंग होती है

ऐसे हर मौके पर या बड़ी घटना के बाद एक संयुक्त तालमेल मीटिंग होती है, जिसमें दिल्ली पुलिस कमिश्नर, इंटेलिजेंस ब्यूरो अधिकारी, एनएसजी प्रतिनिधि, CISF, SPG, NIA और गृह मंत्रालय के अधिकारी शामिल होते हैं. वो मीटिंग करके स्थिति की समीक्षा करते हैं और तय करते हैं कि आपरेशन को कैसे अंजाम देना है.

तो ये कह सकते हैं कि दिल्ली की सुरक्षा एक बहु-स्तरीय है और ये आपस में जुड़ी हुई संरचना पर आधारित है. बेशक मुख्य जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस और IB की है लेकिन सीआईएसएफ, एनएसजी, एसपीजी, रॉ और अन्य एजेंसियां मिलकर ये सुनिश्चित करती हैं कि राष्ट्रीय राजधानी में किसी भी आतंकी घटना की आशंका को पहले ही रोका जा सके. लिहाजा दिल्ली में लाल किले के सामने हुई कार बम विस्फोट की घटना मल्टी एजेंसी फेल्योर भी.

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