नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित बॉन्डी बीच पर हुए आतंकी हमले ने वहां की सुरक्षा एजेंसियों को हैरान कर दिया. इसके साथ ही इस घटना ने भारत की एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया है. हमलावर साजिद अकरम का भारतीय पासपोर्ट लिंक और तीन-चार साल पहले भारत यात्रा की जानकारी सामने आने के बाद अब सवाल यह है कि क्या यह हमला केवल एक ‘लोन वुल्फ’ की कार्रवाई था या इसके पीछे कोई बड़ा, छिपा हुआ नेटवर्क भी सक्रिय था. इसी अहम सवाल का जवाब तलाशने के लिए भारत ने ऑस्ट्रेलिया में जांच में औपचारिक रूप से शामिल होने का फैसला किया है.
सूत्रों के मुताबिक भारत जल्द ही एक संयुक्त जांच टीम (JIT) ऑस्ट्रेलिया भेजेगा. यह टीम वहां की एजेंसियों के साथ मिलकर साजिद अकरम का बैकग्राउंड, उसकी सोच और संभावित अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की गहराई से पड़ताल करेगी. जांच का फोकस सिर्फ हमले तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इस बात पर भी होगा कि भारत से उसका कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध, या कोई स्लीपर नेटवर्क तो सक्रिय नहीं था.
क्या है बॉन्डी बीच हमला और भारत की चिंता
बॉन्डी बीच हमला ऑस्ट्रेलिया में यहूदी समुदाय को निशाना बनाकर किए गए संभावित आतंकी हमले के रूप में देखा जा रहा है. जांच एजेंसियों को जैसे ही यह जानकारी मिली कि हमलावर साजिद अकरम का भारतीय पासपोर्ट से जुड़ा लिंक रहा है, भारत की भूमिका स्वाभाविक रूप से अहम हो गई. पासपोर्ट और पहले की यात्राओं के कारण भारत के लिए यह जरूरी हो गया कि वह जांच में सक्रिय भागीदारी करे और हर संभावित कड़ी को स्पष्ट करे.
साजिद अकरम का हैदराबाद कनेक्शन
तेलंगाना पुलिस के अनुसार 50 वर्षीय साजिद अकरम हैदराबाद के टोलीचौकी इलाके का निवासी रहा है. हालांकि वह 1998 में ऑस्ट्रेलिया चला गया था. पुलिस ने साफ किया है कि भारत में उसके रहने के दौरान या उसके बाद किसी भी समय उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल रिकॉर्ड नहीं पाया गया. बीते 27 सालों में उसका परिवार से भी सीमित संपर्क रहा.
सिडनी के बॉन्डी बीच आतंकी हमले के बाद साजिद अकरम का भारतीय पासपोर्ट लिंक सामने आने से जांच का दायरा बढ़ गया है
कितनी बार और क्यों आया भारत
तेलंगाना पुलिस के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया बसने के बाद साजिद अकरम छह बार भारत आया. ये यात्राएं मुख्य रूप से पारिवारिक कारणों से थीं जैसे संपत्ति से जुड़े मामले या बुजुर्ग माता-पिता से मुलाकात. यहां तक कि पिता के निधन के समय भी वह भारत नहीं आया. पुलिस का कहना है कि परिवार के सदस्यों को उसकी कट्टर सोच या किसी संदिग्ध गतिविधि की कोई जानकारी नहीं थी.
कट्टरता की जड़ें: भारत से नहीं जुड़ी?
पुलिस और खुफिया सूत्रों का मानना है कि साजिद अकरम और उसके बेटे नावेद के कट्टरपंथी बनने की प्रक्रिया का भारत या तेलंगाना से कोई सीधा संबंध सामने नहीं आया है. फिर भी भारतीय एजेंसियां किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हर पहलू की जांच करना चाहती हैं, ताकि भविष्य में किसी तरह की चूक न हो.
भारतीय जांच टीम की भूमिका क्या होगी
सूत्रों के अनुसार, भारतीय टीम में राज्य पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अधिकारी शामिल होंगे. यह टीम ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के साथ मिलकर साजिद अकरम की यात्रा इतिहास, वैचारिक झुकाव और संभावित नेटवर्क की जांच करेगी. खासतौर पर यह देखा जाएगा कि तीन-चार साल पहले की भारत यात्रा के दौरान वह किन लोगों से मिला, कहां-कहां गया और उस यात्रा का उसके कट्टरपंथी बनने से कोई संबंध तो नहीं था.
‘लोन वुल्फ’ या संगठित साजिश?
जांच एजेंसियां इस संभावना को भी परख रही हैं कि हमला किसी संगठित आतंकी नेटवर्क का हिस्सा था या फिर यह एक अकेले व्यक्ति द्वारा की गई हिंसक कार्रवाई. इसके तहत ऑनलाइन कट्टरपंथी प्रचार, एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन, पैसों का लेन-देन और अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक नैरेटिव से संभावित जुड़ाव की भी जांच की जा रही है.
क्यों जरूरी है भारत की भागीदारी
भारतीय एजेंसियों का कहना है कि यह जांच एहतियाती जरूर है, लेकिन बेहद जरूरी भी. पासपोर्ट लिंक और भारत यात्रा को देखते हुए यह सुनिश्चित करना अहम है कि भारत की धरती पर या यहां से जुड़े किसी नेटवर्क का इस्तेमाल न हुआ हो. यह संयुक्त जांच यह तय करने में मदद करेगी कि बॉन्डी बीच हमला एक अलग-थलग घटना थी या वैश्विक कट्टरता के किसी बड़े पैटर्न का हिस्सा.

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