Last Updated:September 11, 2025, 09:04 IST
Nepal Violence: नेपाल में हिंसा और राजनीतिक संकट के बीच भारतीय नागरिक वहां डर और दहशत के माहौल में फंसे हुए हैं. हालांकि, कई लोग किसी तरह सीमा पार कर भारत लौट आए हैं, जबकि नेपाली नागरिक जरूरी इलाज और जरूरतों के...और पढ़ें

Indians Trapped in Nepal Violence: नेपाल में हाल ही में भड़की हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल से वहां रह रहे भारतीयों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जगह-जगह विरोध, आगजनी और अफरातफरी के बीच कई भारतीय नागरिक होटल और घरों में छिपकर बैठे हैं. वहीं, सीमावर्ती इलाकों पर भारत लौटने वालों की भीड़ है, लेकिन नेपाल के नागरिक भारत में प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं.
भारतीयों में डर और दहशत
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमरावती के अजय गौड़ ने फोन पर बताया कि मानेरी और हेतौड़ा के बीच जली हुई गाड़ियों के बीच से गुजरते हुए उन्होंने अपनी जान बचाई. वे सात साल से नेपाल में काम कर रहे हैं और वाराणसी लौटने वाले थे, लेकिन हिंसा की वजह से ट्रेन छूट गई. उन्होंने कहा, “सड़क पर बाइक से निकला, तो जान का डर था. प्रशासन ने हमें जहां हैं, वहीं रुकने को कहा है. यहां हर जगह डर का माहौल है और अफरातफरी मची हुई है.”
भारत-नेपाल सीमा पर अजीब नजारा
बंगाल के पानीटंकी बॉर्डर से अलग-अलग तस्वीरें आ रही हैं. भारतीय नागरिक राहत के साथ भारत में दाखिल हो रहे थे, जबकि नेपाल के लोग मेची नदी पुल पर फंसे हुए हैं. बॉर्डर पर कड़ी सुरक्षा और निगरानी रखी गई है. 31 भारतीय काकरभिट्टा में फंसे बताए जा रहे हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही बुधवार को भारत वापस लौट पाए. वहीं, नेपाल के नागरिकों को भारत आने की अनुमति नहीं मिली है.
लौटने वालों ने सुनाए भयावह अनुभव
बिहार के समस्तीपुर के बिपिन कुमार चौधरी ने कहा कि बिराटनगर में उन्होंने आठ साल के बच्चे को गोली लगते देखा. उन्होंने कहा “सरकार गिर चुकी है, किसी भी वक्त कुछ भी हो सकता है.” वहीं, अमरावती के अक्षय कहेरकर ने बताया कि उनके कई दोस्त, जो यूपी और विदर्भ के रहने वाले है, वे अब भी नेपाल में फंसे हुए हैं.
बंगाल की सीमा देवी आंखों का इलाज कराने नेपाल गई थीं, लेकिन उन्हें हिंसा की वजह से जांच अधूरी छोड़कर वापस लौटना पड़ा. उन्होंने कहा, “सड़कों पर टायर जल रहे थे, खून से लथपथ लाशें पड़ी थीं. वो बेहद डरावना मंजर था.”
नेपालियों की बेबसी
सीमा पार खड़े नेपाली नागरिक भारत आने की गुहार लगा रहे हैं. काकरभिट्टा की सारु राय ने बताया कि उनकी बेटी सिलीगुड़ी के अस्पताल में अपेंडिक्स की बीमारी के कारण भर्ती है, लेकिन वे तीन घंटे से ज्यादा इंतजार करने के बाद भी भारत नहीं जा पा रहीं हैं. उन्होंने कहा, “यहां सरकार गिर गई है, हमारी मदद करने वाला अब कोई नहीं है. हमारी रोजमर्रा की जरूरतें भारत पर ही निर्भर हैं.”
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First Published :
September 11, 2025, 09:04 IST