Last Updated:May 20, 2025, 09:01 IST
Supreme Court Big Decision in Money Laundering Case: सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में कहा है कि जमानत के लिए एक साल जेल में रहना जरूरी नहीं है. छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी अनवर धेबर को नौ महीने बाद ही...और पढ़ें

मनी लॉउंड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है.
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में बड़ा फैसला सुनाया.जमानत के लिए एक साल जेल में रहना जरूरी नहीं.अनवर धेबर को नौ महीने बाद जमानत मिली.Supreme Court Big Decision in Money Laundering Case: मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े केस और उस मामले में गिरफ्तार आरोपियों की जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) के मामले में किसी आरोपी को जमानत पाने के लिए एक साल तक जेल में रहना जरूरी नहीं है. यह बात छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के एक आरोपी के मामले में सामने आई. इस आरोपी को नौ महीने से ज्यादा समय जेल में बिताने के बाद जमानत मिल गई.
सुप्रीम कोर्ट में जज जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान ने यह फैसला सुनाया. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील ने कहा कि आरोपी को अगस्त 2023 में गिरफ्तार किया गया था और अभी उसने जेल में एक साल पूरा नहीं किया है इसलिए उसे जमानत नहीं मिलनी चाहिए. लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि जमानत के लिए एक साल जेल में रहना जरूरी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईडी के वकील ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले कई मामलों में एक साल जेल को जमानत के लिए एक आधार माना था जैसे कि तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी. सेंथिल बालाजी का मामला. इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि आरोपी सात साल जेल में रहे? सात साल मनी लॉन्ड्रिंग केस में सबसे बड़ी सजा होती है.
जमानत क्यों मिली?
कोर्ट ने देखा कि इस मामले में ट्रायल जल्दी खत्म होने वाला नहीं है, क्योंकि इसमें 450 से ज्यादा गवाह हैं. ईडी के वकील ने कहा कि आरोपी अनवर धेबर एक प्रभावशाली और राजनीतिक से जुड़े व्यक्ति हैं और उनकी जमानत से मुकदमे पर असर पड़ सकता है. लेकिन कोर्ट ने इस दलील को नहीं माना और अनवर धेबर को जमानत दे दी. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि आरोपी को एक हफ्ते के अंदर रिहा कर दिया जाए. जमानत की शर्तें विशेष कोर्ट तय करेगा.
पहले क्या कहा था कोर्ट ने?
17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई आरोपी एक साल से जेल में है और उसके खिलाफ अभी तक आरोप तय नहीं हुए हैं तो उसे जमानत दी जा सकती है. कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के सख्त नियमों को आसान करते हुए कहा था कि ट्रायल में देरी और लंबे समय तक जेल में रहना जमानत का आधार हो सकता है. इस फैसले से साफ है कि सुप्रीम कोर्ट हर मामले को उसकी खास परिस्थितियों के आधार पर देखता है. एक साल जेल में रहना जमानत के लिए कोई सख्त नियम नहीं है. यह फैसला आरोपी के अधिकारों की रक्षा करता है और न्यायिक प्रक्रिया में लचीलापन लाता है.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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