सड़क बनी लेकिन सिर्फ कागजों पर! मंत्री के बेटे और भतीजे ने लील लिए 71 करोड़...

7 hours ago

Last Updated:May 20, 2025, 12:10 IST

Gujarat: दाहोद में 71 करोड़ के मनरेगा घोटाले में राज्य मंत्री बचू खाबड़ के दोनों बेटे और भतीजा गिरफ्तार हुए हैं. फर्जी फर्मों को बिना टेंडर करोड़ों का भुगतान किया गया, सड़कों का काम सिर्फ कागज़ों पर हुआ.

सड़क बनी लेकिन सिर्फ कागजों पर! मंत्री के बेटे और भतीजे ने लील लिए 71 करोड़...

गुजरात मनरेगा घोटाला (प्रतीकात्मक तस्वीर)

हाइलाइट्स

मंत्री बचू खाबड़ के दोनों बेटे मनरेगा घोटाले में गिरफ्तार हुए हैं.बिना टेंडर फर्जी फर्मों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया था.जांच में खुलासा हुआ कि कई सड़कें कागजों पर ही बनाई गई थीं.

गुजरात के वडोदरा से सामने आई एक बड़ी खबर में राज्य के कृषि और पंचायत राज राज्य मंत्री बचू खाबड़ के छोटे बेटे किरण खाबड़ को पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया. उन पर दाहोद ज़िले में हुए 71 करोड़ रुपये के मनरेगा घोटाले में शामिल होने का आरोप है. किरण के साथ तीन और लोगों को भी पकड़ा गया है, जिनमें मंत्री का भतीजा दिलीप चौहान भी शामिल है. इससे पहले शनिवार को किरण के बड़े भाई बलवंत खाबड़ को भी पुलिस ने इसी मामले में गिरफ्तार किया था.

फर्जी सप्लाई कंपनियों के ज़रिए हुआ खेल
पुलिस जांच में सामने आया कि किरण खाबड़ का संबंध ‘श्री राज ट्रेडर्स’ नाम की एक सप्लाई फर्म से है, जिसे बिना किसी टेंडर के मनरेगा कार्यों के लिए 30.04 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. वहीं, बलवंत खाबड़ ‘श्री राज कंस्ट्रक्शन कंपनी’ से जुड़े हैं, जिसे 82 लाख रुपये मिले. इन दोनों भाइयों को कुल घोटाले की रकम का 40 फीसदी हिस्सा मिला. इन फर्मों ने कई बार ऐसी सामग्री सप्लाई करने का दावा किया, जो ज़मीनी तौर पर कभी पहुंची ही नहीं.

बिना टेंडर के मिली करोड़ों की डील
पुलिस ने इस मामले में जिन अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें ‘एन जे एंटरप्राइज’ नाम की कंपनी के मालिक पार्थ बारिया और दाहोद के डिप्टी डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट ऑफिसर रासिक राठवा शामिल हैं. ‘एन जे एंटरप्राइज’ को बिना किसी अनुबंध के 5.19 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ, जो इस घोटाले के सबसे बड़े हिस्सेदारों में एक है.

जांच में सामने आए 32 फर्जी फर्मों के नाम
जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (DRDA) ने इस मामले की गहराई से जांच की, जिसमें पता चला कि कुल 32 फर्जी फर्में बिना बोली प्रक्रिया के मनरेगा सामग्री की सप्लाई में शामिल थीं. ये फर्में देवगढ़ बारिया और धनपुर तालुका में हुए कार्यों में शामिल रहीं. कई मामलों में सड़कें केवल कागज़ों पर बनीं, ज़मीन पर कोई काम नहीं हुआ.

मनरेगा के अफसरों ने निभाई मिलीभगत की भूमिका
दिलीप चौहान, जो कि देवगढ़ बारिया में मनरेगा के सहायक कार्यक्रम अधिकारी (APO) थे, इस पूरे घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता माने जा रहे हैं. वहीं, रासिक राठवा उस समय धनपुर तालुका के विकास अधिकारी थे. दोनों ने खाबड़ भाइयों की फर्जी कंपनियों को सप्लाई के काम दिलवाए और नियमों को ताक पर रखकर भुगतान भी करवाया.

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