Last Updated:November 07, 2025, 20:21 IST
Supreme Court On Property Sale: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री ‘ट्रॉमेटिक’ अनुभव बन चुकी है और देश की 66% सिविल लिटिगेशन प्रॉपर्टी विवादों से जुड़ी है. कोर्ट ने सरकार को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी अपनाने की सलाह दी ताकि रजिस्ट्रेशन पारदर्शी हो सके.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत की रियल एस्टेट गवर्नेंस पर एक कड़ा प्रहार है. (Photo : PTI)नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में कहा कि भारत में प्रॉपर्टी खरीदना और बेचना आम लोगों के लिए ‘ट्रॉमेटिक’ यानी मानसिक रूप से थका देने वाला अनुभव बन चुका है. अदालत ने साफ कहा कि देश की अदालतों में चल रहे 66% सिविल केस प्रॉपर्टी विवादों से जुड़े हैं, जो यह दर्शाता है कि भूमि और संपत्ति प्रबंधन प्रणाली किस हद तक अव्यवस्थित और जटिल हो चुकी है. न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की बेंच ने कहा कि फर्जी दस्तावेज, जमीन पर कब्जा, देरी से वेरिफिकेशन, बिचौलियों की भूमिका और सरकारी लालफीताशाही ने रियल एस्टेट सेक्टर को आम नागरिक के लिए एक ‘माइनफील्ड’ बना दिया है.
सिस्टम में सुधार की जरूरत
कोर्ट ने कहा कि 19वीं सदी के औपनिवेशिक दौर से चले आ रहे कानून जैसे Transfer of Property Act, 1882, Registration Act, 1908, और Stamp Act, 1899 अब वर्तमान तकनीकी युग के अनुरूप नहीं हैं. अदालत ने कानून आयोग (Law Commission) को इन कानूनों में व्यापक सुधार के लिए रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह देशभर में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को पारदर्शी और एकीकृत बनाने के लिए Blockchain Technology को अपनाने की दिशा में अग्रसर हो.
‘Ownership बनाम Registration’ की खाई सबसे बड़ी समस्या
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि भारत में रजिस्ट्री करवाना मालिकाना हक का सबूत नहीं होता, बल्कि यह केवल एक ‘रिकॉर्ड एंट्री’ है जिसका सबूत सीमित दायरे तक ही है. इसी वजह से रजिस्ट्री और स्वामित्व (ownership) के बीच की यह खाई भारी विवादों को जन्म देती है. खरीदारों को आज भी 30-30 साल पुरानी फाइलें खंगालनी पड़ती हैं और No Encumbrance Certificate (NEC) जैसे दस्तावेजों के लिए महीनों तक दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं. कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति न सिर्फ नागरिकों को परेशान करती है बल्कि न्यायिक तंत्र पर भी भारी बोझ डालती है.
Blockchain से पारदर्शिता और जनता को राहत
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि Blockchain सिस्टम के जरिए भूमि रेकॉर्ड, कैडस्ट्रल मैप्स, सर्वे डेटा और राजस्व रेकॉर्ड्स को एक प्लेटफॉर्म पर जोड़ा जा सकता है. यह प्रणाली हर लेनदेन का डिजिटल, टाइम-स्टैम्प्ड रिकॉर्ड रखेगी जिसे कोई बदल नहीं सकेगा. इससे फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी और जनता को पारदर्शी व भरोसेमंद रजिस्ट्रेशन सिस्टम मिलेगा.
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, ‘भूमि खरीदना आज एक भयावह अनुभव बन चुका है. सिस्टम इतना जटिल है कि आम नागरिक न्याय के लिए थक जाता है.’ उन्होंने आगे कहा कि किसी भी राष्ट्र की संस्थागत परिपक्वता इस बात से मापी जाती है कि वहां संपत्ति की खरीद-बिक्री कितनी पारदर्शी और प्रभावी है.
दीपक वर्मा न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में काम कर रहे हैं. लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े दीपक की जर्नलिज्म जर्नी की शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म...और पढ़ें
दीपक वर्मा न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में काम कर रहे हैं. लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े दीपक की जर्नलिज्म जर्नी की शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 07, 2025, 20:20 IST

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