भारत के 'टू नेक ट्रैप' में आया बांग्लादेश तो बड़ा भू-भाग खो देगा युनूस का देश!

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Last Updated:December 10, 2025, 17:10 IST

Bangladesh Chicken Neck Rangpur Chattogram Corridors: भारत का सिलिगुड़ी कॉरिडोर यानी ‘चिकन नेक’ दुनिया भर में भू-रणनीतिक चर्चा का विषय रहा है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि पड़ोसी बांग्लादेश के पास ऐसे दो चिकन नेक हैं और दोनों भारत वाले से भी ज्यादा कमजोर.असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के बयान के बाद इन दो संकरे गलियारों पर फिर से वैश्विक नजरें ठहर गई हैं. ये गलियारे सिर्फ भौगोलिक रास्ते नहीं, बल्कि बांग्लादेश की आर्थिक, प्रशासनिक और सामरिक जीवनरेखा हैं. अगर इनमें से कोई एक भी बाधित हो जाए तो देश का बड़ा हिस्सा ढाका के नियंत्रण से कट सकता है.

भारत के 'टू नेक ट्रैप' में आया बांग्लादेश तो बड़ा भू-भाग खो देगा युनूस का देश!दो चिकन नेक पर टिका है बांग्लादेश का एक-तिहाई हिस्सा

ढाका/नई दिल्ली. भारत का एक नेक है, बांग्लादेश के दो हैं – और दोनों उससे भी कमजोर. आम बोलचाल में एक को ‘नेक’ यानी ‘गर्दन’ कहा जाता है. दुनिया प्राय: भारत के सिलीगुड़ी कोरिडोर का जिक्र करती है और ‘चिकन नेक’ को लेकर रणनीतिक कठिनाइयों को विमर्श में ले आती है. लेकिन, असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने जब बांग्लादेश के ‘चिकेन नेक’ की बात कही तो पूरी दुनिया के नक्शे देखने वाले चौंक गए. भारत का सिलिगुड़ी चिकन नेक तो सबने सुना है -वो पतला सा गलियारा जो उत्तर-पूर्व को जोड़ता है. लेकिन पड़ोसी बांग्लादेश के पास ऐसे दो गलियारे हैं जो भारत वाले से भी ज्यादा पतले हैं. अगर ये दो जगहें बंद हो जाएं या फिर देश के मुख्य भाग से कट गए तो बांग्लादेश अपना बड़ा भू-भाग खो देगा.

बांग्लादेश का ‘डबल प्रेशर पॉइंट’ और खतरनाक

बांग्लादेश का नक्शा देखने पर दो बेहद संकरे गलियारे दिखाई देते हैं, जिन्हें रणनीतिक भाषा में चिकन नेक कहा जाता है. एक देश के उत्तरी हिस्से यानी रंगपुर क्षेत्र को बाकी बांग्लादेश से जोड़ता है और दूसरा दक्षिण-पूर्व को चटगांव और पहाड़ी इलाकों से. यह सिर्फ भौगोलिक गलियारे नहीं, बल्कि आर्थिक और प्रशासनिक जीवनरेखा हैं. अगर ये दोनों गलियारे कट जाएं तो बांग्लादेश का एक बड़ा हिस्सा मुख्य भूभाग से अलग हो जाएगा. हालांकि, यह स्थिति काल्पनिक है, लेकिन भू-रणनीतिक विशेषज्ञ इसे बांग्लादेश की सबसे बड़ी भौगोलिक कमजोरी मानते हैं.

पहला संकरा रास्ता: उत्तरी ‘रंगपुर चिकन नेक’

बांग्लादेश के उत्तर में स्थित रंगपुर डिवीजन पूरी तरह इसी संकरे इलाके पर निर्भर है. यह गलियारा लगभग 80 किलोमीटर लंबा और 10–15 किलोमीटर चौड़ा बताया जाता है. अगर यह रास्ता बंद हो जाए तो रंगपुर डिवीजन का 16,185 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मुख्य बांग्लादेश से कटकर केवल भारत की सीमा से घिर जाएगा. यह क्षेत्र बांग्लादेश के कुल इलाके का करीब 10.9% हिस्सा है. यहां मुख्य रूप से धान, जूट और कृषि आधारित उद्योग हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कटाव की स्थिति में यह क्षेत्र ढाका से प्रशासनिक और व्यापारिक रूप से अलग-थलग पड़ सकता है जिससे खाद्य सप्लाई और परिवहन प्रभावित होगा.

अगर बांग्लादेश के दो गलियारे कट जाएं तो 39% भूभाग अलग हो जाएगा: एक भू-रणनीतिक विश्लेषण

दूसरा संकरा गलियारा: दक्षिण-पूर्वी ‘चटगांव चिकन नेक’

दक्षिण-पूर्व में मौजूद यह गलियारा लगभग 28 किलोमीटर लंबा और 20 किलोमीटर से कम चौड़ा है. यह देश के प्रमुख बंदरगाह शहर चटगांव और पहाड़ी जिले-कॉक्स बाजार, रंगामाटी और बांदरबान—को राष्ट्रीय ढांचे से जोड़ता है. यह क्षेत्र 34,530 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और बांग्लादेश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 23.3% हिस्सा है.यही वह इलाका है जहां से देश के 80% से ज्यादा निर्यात-आयात होता है. बंदरगाह, समुद्री व्यापार, बॉर्डर कॉमर्स और पर्यटक अर्थव्यवस्था इस क्षेत्र की पहचान हैं. अगर यह गलियारा कट जाए तो दक्षिण-पूर्व का इलाका भारत और म्यांमार के बीच फंस जाएगा और ढाका से उसका भू-नियंत्रण टूट सकता है.

कुल कितना हिस्सा अलग होगा?

अगर दोनों चिकन नेक एक साथ बाधित हों तो कुल 50,715 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मुख्य बांग्लादेश से कट सकता है. यह बांग्लादेश के कुल क्षेत्र का करीब 34.2% हिस्सा होगा. केवल भूमि क्षेत्र के हिसाब से यह आंकड़ा लगभग 39% तक पहुंच जाता है.यह अभी तो काल्पनिक स्थिति है, लेकिन अगर सच बन जाए तो देश की 30–45% अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है. रेल, सड़क और बिजली नेटवर्क टूट जाएगा और चटगांव बंदरगाह ठप होने से निर्यात ढह जाएगा, जबकि रंगपुर का कृषि उत्पादन ढाका तक नहीं पहुंच पाएगा.

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ऐसा हुआ तो असर क्या होगा?

हालांकि, सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्थिति केवल सैद्धांतिक है. भारत और बांग्लादेश के बीच 1972 की मैत्री संधि, सीमा समझौते और व्यापार मार्ग सहयोग इसे संभव होने से रोकते हैं. बांग्लादेश भौगोलिक रूप से मजबूत देश नहीं, लेकिन उसकी कूटनीति इस कमजोरी को संतुलित करती है. यह अध्ययन बताता है कि अंतरराष्ट्रीय रिश्तों और सीमा स्थिरता की वजह से ही बांग्लादेश अपनी आर्थिक और राजनीतिक संरचना मजबूत बनाए हुए हैं. (नोट- यह आंकड़े सरकारी सेंसस और विकिपीडिया जैसे स्रोतों से लिए गए हैं जो 2022-2024 के डेटा पर आधारित हैं.)

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Vijay jha

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First Published :

December 10, 2025, 17:10 IST

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