Last Updated:September 07, 2025, 12:29 IST
Kerala Infant Mortality: राज्य का शिशु मृत्यु दर (IMR) घटकर प्रति एक हजार जीवित जन्म पर 5 हो गया है. यह दर न केवल भारत के राष्ट्रीय औसत 25 से पांच गुना कम है, बल्कि अमेरिका जैसे विकसित देश से भी बेहतर है, जहां ...और पढ़ें

केरल ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. राज्य का शिशु मृत्यु दर (IMR) घटकर प्रति एक हजार जीवित जन्म पर 5 हो गया है. यह दर अमेरिका और यूरोप के कई देशों से भी कम है. सैंपल रेजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) की सांख्यिकीय रिपोर्ट 2023 में यह जानकारी दी गई है. यह दर न केवल भारत के राष्ट्रीय औसत 25 से पांच गुना कम है, बल्कि अमेरिका जैसे विकसित देश से भी बेहतर है, जहां 2022 में शिशु मृत्यु दर 5.6 दर्ज की गई थी.
स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा कि केरल पूरे देश में सबसे कम शिशु मृत्यु दर वाला राज्य बन गया है. खास बात यह है कि यहां शहर और गांव में कोई फर्क नहीं है. जबकि पूरे देश में ग्रामीण इलाकों में यह दर 28 और शहरी इलाकों में 19 है. इसका मतलब है कि केरल में हर किसी को बराबरी से स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं.
सालों से चल रही मेहनत
केरल पिछले कई सालों से लगातार ही शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में काम करता रहा है. 2010 में शिशु मृत्यु दर 7.42 थी, जो 2012 में बढ़कर 8.2 हो गई थी. इसके बाद सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने खास योजनाएं बनाईं और धीरे-धीरे इसमें गिरावट लाते रहे. 2018 में यह पहली बार 7 पर, 2019 में 6 पर और अब 2023 में यह घटकर 5 पर आ गई है.
राज्य की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में लगभग सभी बच्चों की डिलीवरी अस्पतालों में हुई. ग्रामीण इलाकों में 96% और शहरों में 99% से ज़्यादा प्रसव अस्पतालों में कराए गए. हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी लगभग 1% प्रसव परंपरागत दाई या रिश्तेदारों की मदद से होते हैं, लेकिन यह संख्या बहुत कम है.
कैसे कम किया शिशु मृत्यु दर?
2013 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि केरल में 75% शिशु मौतें जन्म के बाद शुरुआती दिनों में होती थीं. इनमें समय से पहले जन्म और जन्मजात हृदय रोग बड़े कारण थे. इसके बाद सरकार ने खास रणनीति बनाई- मौतों की गहन जांच, डॉक्टरों और नर्सों का लगातार प्रशिक्षण, नए अस्पताल और नवजात गहन चिकित्सा इकाइयों (NICU) का विस्तार करके शिशु मृत्यु दर को कम किया गया.
आज केरल के कई अस्पतालों को राष्ट्रीय स्तर पर लक्ष्य और मुस्कान जैसी मान्यताएं मिल चुकी हैं. इसके अलावा, नवजात शिशुओं की जांच और इलाज के लिए राज्य ने खास योजनाएं चलाईं.
इसके अलावा 2017 में शुरू हुई ‘हृद्यम’ योजना ने भी बड़ा फर्क डाला. इस योजना के तहत शिशुओं में जन्मजात हृदय रोग की जल्दी पहचान और इलाज किया जाता है. सिर्फ दो साल में ही इस वजह से होने वाली मौतों में 41% और कुल शिशु मौतों में 21% की कमी आई. अब तक 8,450 बच्चों का इलाज इस योजना के तहत हो चुका है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह उपलब्धि केरल की मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था और लगातार सुधारों का नतीजा है. नवजात शिशु देखभाल पर ध्यान, आधुनिक सुविधाएं और लोगों तक आसान पहुंच ने केरल को सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बना दिया है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
Location :
Thiruvankulam,Ernakulam,Kerala
First Published :
September 07, 2025, 12:26 IST