Maldives Anti Smoking Law News: मालदीव, जो कभी अपने सख्त इस्लामी रुख और धार्मिक कट्टरता के लिए जाना जाता था. भारत के प्रति अंध-विरोध ने उसकी ऐसी कमर तोड़ी कि अब वह पूरी तरह सिर के बल नाचता दिख रहा है. अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए उसने पहले भारत से संबंध सुधारने की कोशिश की. अब भारतीय समेत दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वह सेहत और सुधार के मिशन पर चलता दिख रहा है. यह वही देश है, जहां पर शराब और खुले तौर पर पश्चिमी संस्कृति के प्रदर्शन पर कभी सख्त पाबंदी रही है. अब मालदीव नई पीढ़ी को धुएं से आज़ाद करने के मिशन पर निकल पड़ा है.
मालदीव में अब बच्चे नहीं उड़ा सकेंगे धुआं
मालदीव सरकार ने इस 1 नवंबर से ऐसा कदम उठाया है, जो न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है. सरकार ने 2007 के बाद जन्मे किसी भी व्यक्ति को तंबाकू खरीदने, पीने या बेचने से पूरी तरह रोक दिया है. यानी अब मालदीव की नई पीढ़ी तंबाकू-मुक्त होगी - 'एक स्मोक-फ्री जेनरेशन.'
यह आदेश राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्जू की पहल पर लागू हुआ. उनका कहना है कि यह सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के फेफड़ों और भविष्य की रक्षा का संकल्प है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इस नियम का उद्देश्य जनस्वास्थ्य की सुरक्षा और एक तंबाकू-मुक्त समाज की नींव रखना है.
2007 के बाद जन्मे लोगों के सिरगेरट खरीदने पर बैन
बताते चलें कि मालदीव की पहचान दुनिया भर में उसके 1,191 छोटे-छोटे प्रवाल द्वीपों और लक्जरी टूरिज्म के लिए है. लेकिन अब यह देश अपनी नई सोच के लिए भी सुर्खियों में है. कानून के मुताबिक, 2007 या उसके बाद जन्मे लोग न तो सिगरेट खरीद सकेंगे, न पी सकेंगे और न ही किसी को बेच पाएंगे. दुकानदारों को हर ग्राहक की उम्र की पुष्टि करनी होगी.
इस नियम का दायरा केवल स्थानीय नागरिकों तक सीमित नहीं है. सैलानी भी अगर इस आयु सीमा में आते हैं, तो उन पर भी वही पाबंदी लागू होगी. इतना ही नहीं, सरकार ने ई-सिगरेट और वेपिंग डिवाइस पर भी पूरी तरह प्रतिबंध लगाया है. चाहे व्यक्ति किसी भी उम्र का हो, वेपिंग उपकरण रखना, बेचना या उपयोग करना अपराध माना जाएगा.
नियमों के उल्लंघन पर लगेगा भारी जुर्माना
अगर कोई व्यापारी नाबालिग को सिगरेट बेचता है, तो उसे 50,000 रुफिया (करीब 3,200 डॉलर) का भारी जुर्माना देना होगा. वहीं वेप डिवाइस का इस्तेमाल करने वालों पर 5,000 रुफिया (लगभग 320 डॉलर) का जुर्माना लगाया जाएगा.
विशेषज्ञों के मुताबिक, मालदीव का यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति में क्रांतिकारी बदलाव है. दुनिया के कुछ अन्य देश भी ऐसे 'जनरेशन-वाइज' की दिशा में सोच रहे हैं. उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में इसी तरह का कानून प्रस्तावित है, लेकिन अभी वह संसदीय प्रक्रिया से गुजर रहा है. वहीं न्यूजीलैंड, जिसने सबसे पहले ऐसा कानून लागू किया था, ने नवंबर 2023 में इसे वापस ले लिया था.
राष्ट्रपति मुइज्जू ने क्यों लिया ये फैसला?
हेल्थ एक्सपर्टों का मानना है कि मालदीव का यह निर्णय लंबे समय में उसके समाज और पर्यटन दोनों पर सकारात्मक असर डालेगा. एक ओर जहां यह कदम युवाओं को निकोटीन की लत से बचाएगा, वहीं दूसरी ओर देश की पहचान 'क्लीन एंड हेल्दी डेस्टिनेशन' के रूप में और मजबूत होगी.
हालांकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि ऐसे प्रतिबंध समाज में एक नया विभाजन पैदा कर सकते हैं. जिसमें एक और स्मोकिंग करने वाले होंगे और दूसरी ओर स्मोकिंग न करने वाले. वहीं मालदीव सरकार का तर्क साफ है कि हर बदलाव शुरुआत में कठिन लगता है, पर भविष्य में वही नई आदत बन जाता है.
ऐसे में कई लोग कह रहे हैं कि एक देश जो कभी अपने नियमों की कठोरता के लिए जाना जाता था, अब मानव स्वास्थ्य की रक्षा में सबसे आगे खड़ा है. यह स्पष्ट मायने में महज एक स्वास्थ्य सुधार ही नहीं बल्कि विचारों की भी एक क्रांति है.

12 hours ago
