Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले के बाद भारत ने कई बड़े फैसले लिए. जिसके तहत सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया. इसे लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का मानना है कि सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को स्थगित करने के भारत के फैसले से पाकिस्तान को यह कड़ा संदेश जाएगा कि पड़ोसियों के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में शामिल होने के नतीजे भुगतने पड़ते हैं. इसके अलावा उन्होंने और क्या कुछ कहा आइए जानते हैं.
जॉन बोल्टन ने कहा, मुझे उम्मीद है कि यह कुछ ऐसा है जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच सुलझाया जा सकता है. यह उन देशों के तटवर्ती अधिकारों का सवाल है. अगर अतीत में किए गए प्रबंध अब कारगर नहीं रहे तो मुझे लगता है कि हर किसी को नुकसान उठाना पड़ेगा, खासकर निचले इलाकों में. इसलिए, यह पाकिस्तान के लिए एक संदेश होना चाहिए कि अपने पड़ोसियों को धमकाने वाली गतिविधियों में शामिल होने के परिणाम भुगतने पड़ते हैं.
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल - पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में आतंकियों ने लोगों (ज्यादातर पर्यटक) पर गोलियां चला दी थीं. हमले में 26 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. चार भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने पहलगाम में क्रूर हमला किया था. हमलावरों में से दो के पाकिस्तानी नागरिक होने की पुष्टि हुई है. संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अमेरिकी राजदूत ने कहा कि क्षेत्र में आतंकवाद की समस्या के और अधिक गंभीर होने के कारण, नई दिल्ली और वाशिंगटन दोनों को आतंकवाद-रोधी सहयोग में और अधिक सक्रियता दिखानी चाहिए.
आगे बोलते हुए बोल्टन ने कहा मुझे लगता है कि आतंकवाद विरोधी गतिविधियों पर अमेरिका-भारत सहयोग अतीत में पूरी तरह से उचित रहा है और निश्चित रूप से अधिक व्यापक सहयोग से फायदा हो सकता है. इसके अलावा कहा कि कोई भी दक्षिण एशिया में व्यापक संघर्ष नहीं देखना चाहता, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत को पाकिस्तान के खिलाफ आत्मरक्षा में कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है. बोल्टन फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के दौरान अमेरिकी एनएसए के रूप में कार्यरत थे, यह हमला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह 'जैश-ए-मोहम्मद' ने किया था जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे.
बोल्टन ने कहा, जब मैं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार था, तो 2019 में हमारा सामना ऐसी ही परिस्थितियों से हुआ, उस वक्त पाकिस्तानी धरती से आतंकवादी हमला हुआ था. हमने वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ गहन परामर्श किया था.तब हमारा नजरिया यह था कि यदि भारत सरकार को विश्वास है कि यह हमला पाकिस्तानी धरती से हुआ है और पाकिस्तानी सरकार इसे रोकने में नाकाम रही या उसने इसमें मदद की, तो नई दिल्ली को आत्मरक्षा में कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।.
संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अमेरिकी राजदूत रहे बोल्टन ने कहा मुझे लगता है कि यही सिद्धांत आज भी लागू होता है. मेरे विचार से भारत के हित में यह है कि अगर सैन्य प्रतिक्रिया का फैसला लिया जाता है तो उसे सही साबित करने वाले कारण भी उसके पास होने चाहिए. कोई भी दक्षिण एशिया में व्यापक संघर्ष नहीं देखना चाहता, लेकिन आतंकवादी हमलों का खतरा ऐसी चीज है जिसके साथ किसी को भी नहीं रहना चाहिए. इसीलिए, प्रतिक्रिया और आत्मरक्षा पूरी तरह से स्वीकार्य है. (आईएएनएस)