Last Updated:May 04, 2025, 09:08 IST
Pahalgam Terror Attack : पहलगाम में हुए हिन्दू पर्यटकों के नरसंहार की जांच में जुटी एनआईए को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. पाकिस्तान को लेकर फर्जी खबरें और गलत जानकारी से जांच गुमराह हो रही ...और पढ़ें

पाकिस्तान से जुड़ी फर्जी खबरें और गलत जानकारी पगलगाम हमले की जांच में रुकावट डाल रही हैं. (PTI फोटो)
हाइलाइट्स
एनआईए को पहलगाम हमले की जांच में फर्जी खबरों से मुश्किलें हो रही हैं.पाकिस्तान समर्थित फर्जी अलर्ट्स जांच में रुकावट डाल रहे हैं.सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स भी माहौल खराब करने में लगे हैं.जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकियों पर्यटकों का धर्म पूछकर 27 लोगों को गोली मार दी थी. इस हमले को 10 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन आतंकियों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है. इस बीच खुफिया सूत्रों ने CNN-न्यूज18 को बताया कि पाकिस्तान से जुड़ी फर्जी खबरें और गलत जानकारी जांच में रुकावट डाल रही हैं. अब तक 200 से ज्यादा फर्जी अलर्ट मिल चुके हैं, जिसके कारण एनआईए और पुलिस को अपनी ताकत गलत सुरागों की जांच में लगानी पड़ रही है.
सूत्रों के मुताबिक, इन फर्जी अलार्म्स की वजह से असली सबूतों, जैसे गोलियों की जांच (बैलिस्टिक रिपोर्ट) और गवाहों के बयानों पर काम करने में देरी हो रही है. एनआईए की फॉरेंसिक टीम बैसरन घाटी में हमले वाली जगह की 3D मैपिंग और 40 गोलियों की जांच कर रही है, लेकिन फर्जी कॉल्स और गलत जानकारी की जांच में उनकी मेहनत बर्बाद हो रही है.
सोशल मीडिया वाले बिगाड़ रहे माहौल
सूत्रों ने बताया कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी माहौल खराब करने में लगे हैं. इस बीच बिहार के दो लोगों ने श्रीनगर के लाल चौक पर लोगों को गालियां देकर तनाव पैदा करने की कोशिश की, ताकि फॉलोअर्स बढ़ा सकें. एक इन्फ्लुएंसर ने सोनमर्ग का वीडियो पहलगाम का बताकर लोगों को गुमराह किया. एक अन्य ने टैक्सी ड्राइवर का स्टिंग ऑपरेशन करके उसकी छवि खराब करने की कोशिश की.
लोगों का भरोसा तोड़ने की कोशिश
खुफिया सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान फर्जी सूचनाओं का एक पूरा नेटवर्क चला रहा है, जिसका मकसद लोगों का भारत की व्यवस्था पर भरोसा तोड़ना है. इसमें कई फर्जी दावे किए जा रहे हैं, जैसे संदिग्ध लोगों की झूठी खबरें, बिना आधार के लोगों को जोड़ना, और नकली सबूत बनाना. एक डीपफेक वीडियो में एक रोती हुई विधवा को नाचते हुए दिखाया गया, ताकि लोगों में गुस्सा भड़के और जांच में रुकावट आए.
पाकिस्तानी हैंडल्स का झूठ
पाकिस्तान समर्थक सोशल मीडिया हैंडल्स ने भारतीय सेना के फर्जी दस्तावेज लीक करने का दावा किया, जिसमें झूठी बातें कही गईं. प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) को इन दावों की जांच करनी पड़ी. पाकिस्तानी मीडिया ने यह भी झूठ फैलाया कि हमले के बाद लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार को हटा दिया गया, जबकि उनकी रिटायरमेंट पहले से तय थी.
पुराने वीडियो से गुमराह करने की कोशिश
पाकिस्तान ने पुराने वीडियो को गलत तरीके से फैलाया. मिसाल के तौर पर, 2023 में इमरान खान समर्थकों और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की झड़प का एक वीडियो फैलाया गया, जिसमें कहा गया कि यह भारतीय चेकपॉइंट्स पर हमला है. वहीं आगरा में एक मुस्लिम वेटर की हत्या का वीडियो फैलाकर इसे पहलगाम हमले से जोड़ा गया, जिससे कश्मीरी छात्रों और व्यापारियों को धमकियां मिलीं.
पाकिस्तानी मीडिया और हैकिंग
उधर डॉन न्यूज और ARY न्यूज जैसे पाकिस्तानी मीडिया ने पहलगाम हमले को भारत की साजिश बताया. पाकिस्तानी हैकिंग ग्रुप APT36 ने फर्जी वेबसाइट्स जैसे jkpolice.gov.in.kashmirattack.exposed बनाकर फिशिंग हमले किए. वहीं एक वायरल व्हाट्सएप मैसेज में लोगों से सेना के लिए रोज 1 रुपये दान देने को कहा गया है. बाद में पता चला कि यह हथियार खरीदने के लिए नहीं, बल्कि शहीदों के परिवारों के लिए फंड था.
सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसियां इन फर्जी सूचनाओं से परेशान हैं, लेकिन हर जानकारी की जांच करना जरूरी है. इस समय हर सुराग अहम है, और इसे नजरअंदाज करना सही नहीं होगा.
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New Delhi,Delhi