मुस्तफा आरिफ बने पंडित, गीता को बनाया हमसफर, किया ऐसा काम, हर कोई कर रहा सलाम!

3 hours ago

Last Updated:May 04, 2025, 10:03 IST

Muslim Pandit: 75 साल के आरिफ को मुस्लिम पंडित कहा जाता है. उन्होंने अपनी जिंदगी भागवत गीता के नाम कर दिया है. उन्होंने गीता के संस्कृत के श्लोकों का हिंदी अनुवाद किया है. मध्य प्रदेश में आरिफ कहते हैं कि मैं क...और पढ़ें

मुस्तफा आरिफ बने पंडित, गीता को बनाया हमसफर, किया ऐसा काम, हर कोई कर रहा सलाम!

पूर्व पीएम एटल विहारी वाजपेयी ने 'पंडित' नाम दिया था.

Muslim Pandit: मुंबई के वर्सोवा में साधारण से फ्लैट के सोफे पर लेटे हैं पंडित मुस्तफा आरिफ. एक हाथ में भगवद गीता हैं. उनकी मुरझाई हुई उंगलियां उसके पन्ने पलट रहे हैं. सहसा रुकते हैं और महाभारत के युद्ध में अर्जुन का मार्गदर्शन-उत्साहवर्धन करने वाले भगवान श्री कृष्ण की एक लाइन को दोहराते हैं, ‘तुम्हारा अधिकार कर्म पर है, उनके फल पर नहीं.’

अगले ही पल 75 साल के आरिफ नाक पर मोटे शीशे वाले चश्मे व्यवस्थित करते हैं. फिर चश्मे से झांकते हैं और कवि अल्लामा इकबाल की एक कविता सुनाते हैं. वह कहते हैं, ‘अमल से जिंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नुम भी/ये खाकी अपनी फितरत में न नूरी है न नारी है.’ उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘गीता के श्लोक और इकबाल के दोहे में बहुत समानता है. उनका जोर कर्म पर है. इकबाल की बहुत सी शायरी कुरान की आयतों से प्रेरित है.’

आरिफ ने तमाम दिक्कतों के बावजूद हिंदू और इस्लामी धर्मग्रंथों के बीच कई समानताएं खोजने में मदद की. वर्तमान में उन्होंने गीता के 700 श्लोकों का 786 छंदों में सरल हिंदी अनुवाद किया है. आरिफ गीता के संदेश को आम लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं. भारी-भरकम शब्दों और भ्रामक कल्पना से मुक्त, आरिफ की रचनाएं दिल तक पहुंचती हैं. वह पूर्व हिंदी पत्रकार रह चुके हैं. उन्होंने संस्कृत और अरबी दोनों का अध्ययन किया है.

उन्होंने आगे कहा कि उन्हें भारत में दो प्रमुख समुदायों के बीच कृत्रिम खाई पैदा होने से दुख होता है. संस्कृत और गीता के कई विद्वानों ने मेरे प्रयासों की सराहना की है. मैंने सभी 700 संस्कृत श्लोकों को 786 हिंदी छंदों में समेटने का संकल्प लिया था. मगर 786 श्लोक क्यों? वह कहते हैं, ‘मुसलमानों के लिए 786 नंबर पवित्र है. अपने सभी लेखन इसी नंबर से शुरू करते हैं और वे पवित्र धर्मग्रंथों में दिए गए ज्ञान को आसान बनाती है.

रतलाम में जन्मे आरिफ कहते हैं, ‘कुरान के संदेश पर काम करने के बाद मैं गीता के पास आया. गीता 5,000 साल से भी पुरानी है. इसमें सार्वभौमिक शिक्षाएं हैं.’
उनको संत स्वामी दिव्यानंद तीर्थ आचार्य प्रकाशानंद ने पहले अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के सम्मेलन में ‘पंडित’ और ‘परशुराम श्री’ की उपाधि दी थी. लेकिन आरिफ ने अपने पहले नाम के आगे पंडित लगाना तभी शुरू किया जब अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें पंडित कहना शुरू किया. भाजपा की पत्रिका ‘सद्भावना संदेश’ के संपादन के अलावा, आरिफ ने ‘धरती पर अटल महान’ नामक एक संग्रह में वाजपेयी पर 131 स्तुति कविताएं भी लिखीं है.

इस मुस्लिम पंडित को उन्हें उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर की प्रशासनिक समिति का सदस्य नियुक्त किया गया. मुंबई और उज्जैन के बीच अपना समय बांटते हुए आरिफ कहते हैं कि उनका काम लोगों के बीच गलतफहमी को दूर करना है क्योंकि हम सभी एक ही ईश्वर की रचना हैं.

Location :

Mumbai,Maharashtra

homenation

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