Last Updated:September 11, 2025, 18:00 IST
ढाका विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में इस्लामी छात्र शिबिर की ऐतिहासिक जीत से बांग्लादेश की राजनीति में बदलाव के संकेत मिले हैं, जिससे भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ सकती हैं.

ढाका विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में जमात-ए-इस्लामी से जुड़े छात्र संगठन इस्लामी छात्र शिबिर (ICS) ने बड़ी जीत दर्ज की है. 1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद पहली बार हुआ है कि किसी इस्लामिस्ट छात्र समूह ने विश्वविद्यालय चुनाव में जीत दर्ज की हो. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इसे बेहद गंभीर बताया. उन्होंने लिखा, यह घटना भारतियों के लिए भले ही छोटी सी खबर लगे, लेकिन इसके नतीजे दूरगामी हो सकते हैं. क्या भारत का सबसे बड़ा दुश्मन सरकार में आएगा और हमें उससे निपटना होगा?
शशि थरूर ने एक्स पर लिखा, यह शायद ही भारतीयों के दिमाग में हल्की सी हलचल पैदा कर पाया हो, लेकिन यह आने वाले दिनों के लिए एक चिंताजनक संकेत है. बांग्लादेश में दोनों प्रमुख पार्टियों, अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनल पार्टी से नाराजगी बढ़ रही है. लोग कह रहे हैं कि दोनों ही दल भ्रष्टाचार और कुप्रशासन में डूबे हैं. इसी कारण वोटर अब जमात-ए-इस्लामी की ओर रुख कर रहे हैं. यह जरूरी नहीं कि वे धार्मिक कट्टरपंथी हों, बल्कि इसलिए कि जमात अभी तक भ्रष्टाचार के दाग से अछूती है. थरूर ने पूछा, फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों में यह कैसे असर डालेगा? क्या नई दिल्ली को अपनी सीमा से लगे देश में जमात की बहुमत सरकार से निपटना होगा?
This may have registered as barely a blip on most Indian minds, but it is a worrying portent of things to come. There is an increasing sense of frustration in Bangladesh with both major parties — the (now banned) Awami League and the Bangladesh Party. Those who wish “a… pic.twitter.com/RkV3gvF1Jf
भारत के लिए चिंता क्यों?
जमात-ए-इस्लामी को भारत लंबे समय से संदेह की नजर से देखता आया है. 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान इस संगठन पर पाकिस्तानी सेना का समर्थन करने के आरोप लगे थे. इसके अलावा, इस पर भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकी नेटवर्क को समर्थन देने के भी कई आरोप लगे हैं. ऐसे में अगर यह संगठन आम चुनाव में बड़ी ताकत बनकर उभरता है, तो भारत की पूर्वी सीमा पर सुरक्षा के लिहाज से मुश्किलें बढ़ सकती हैं. भारत में ये संगठन प्रतिबंधित हैं. ऐसे में अगर इनकी गतिविधियां बांग्लादेश में बढ़ती हैं और ये सरकार बनाने की हालत में आते हैं तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
बदलती राजनीति का संकेत
विश्लेषकों का कहना है कि बांग्लादेश में जनता दोनों पारंपरिक दलों से मोहभंग झेल रही है. लगातार भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और महंगाई की मार ने मतदाताओं को विकल्प की तलाश में धकेल दिया है. जमात-ए-इस्लामी इसी खाली जगह को भरने की कोशिश कर रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी BNP ने चुनाव परिणामों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि यह नतीजे प्लांड मैनिपुलेशन का नतीजा हैं और पूरे चुनाव को फार्स करार दिया. हालांकि, पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह नतीजे बांग्लादेश की राजनीति में नए समीकरणों की ओर इशारा कर रहे हैं.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
September 11, 2025, 17:59 IST