पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह के शराब पीने के तरीके और शौक़ीन तबीयत के किस्से काफी प्रसिद्ध हैं. वह वाकई स्कॉच व्हिस्की में दूध मिलाकर पीते थे. है तो ये बड़े अचरज की बात कि कोई स्कॉच शराब में दूध मिलाकर पिए. दुनिया में बताइए भला कौन ऐसा करता होगा. लेकिन अपनी विलासिता और शराब शौकिन महाराजा भूपिंदर ये काम खूब करते थे. जब वह नशे में आ जाते थे तो ऐसे ऐसे काम करते थे कि वो खबरें बन जाती थीं.
विभिन्न समाचार रिपोर्ट्स और पंजाब यूनिवर्सिटी, पटियाला के अभिलेखागार से जुड़े ऐतिहासिक लेखों में बताया गया है कि महाराजा भूपिंदर सिंह स्कॉच व्हिस्की को दूध के साथ मिलाकर पीना पसंद करते थे. ये उनका एक विशेष शौक था.
ब्रिटिश पत्रिका ‘द लंदन मिरर’ ने 12 मार्च, 1938 को महाराजा की मृत्यु के बाद प्रकाशित एक लेख में उनके लाइफ स्टाइल का जिक्र करते हुए यह बात साफतौर पर कही. लेख में कहा गया कि महाराजा अपने सुबह की शुरुआत “एक पिंट ऑफ स्कॉच व्हिस्की एंड मिल्क” के साथ करते थे. ‘द टाइम्स’ अखबार ने भी उस दौरान इस तरह के विवरण प्रकाशित किए थे.
किताब “द महाराजा शेलर – डायरीज ऑफ इंडियाज प्रिंसले टेबल्स” में भी राजाओं के खान-पान और पीने के अजीबोगरीब तरीकों का जिक्र है, जिनमें महाराजा भूपिंदर सिंह का नाम शामिल है. पटियाला के महाराजा का नाम ही विलासिता का पर्याय था. उन्होंने पटियाला पैग को फेमस कर दिया. इसमें वह एक विशेष बड़ी मात्रा वाले पात्र में शराब परोसते थे. पीते थे और पिलाते थे.
क्यों स्कॉच में दूध मिलाकर पीते थे
अब आप हैरान हो रहे होंगे कि आखिर महाराजा स्कॉच व्हिस्की को दूध में मिलाकर क्यों पीते थे. इसका जवाब ये है कि महाराजा को लगता था कि इससे “लिवर का खराब असर नहीं होगा.”
वैसे ये भी बताया जाता है कि उनके शाही वैद्य और यूरोप के अंग्रेज़ डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी, शराब का असर कम करने के लिए कुछ भारी और प्रोटेक्टिव चीज़ साथ लें.” तो महाराजा ने व्हिस्की के साथ दूध का इस्तेमाल शुरू किया, जिससे शराब की जलन और तेज़ी कम हो. लिवर पर असर धीमा रहे. खाली पेट असर खतरनाक न हो. दीवान जरमनी दास लिखते हैं कि यह “राजसी देसी इलाज” जैसा था.
पटियाला पैग को साधारण पैग से करीब दोगुना माना जाता था. इतनी भारी मात्रा में शराब सीधे पीना मुश्किल था, इसलिए दूध मिलाकर उसे साफ्ट किया जाता था. ताकत दी जाती थी. शरीर को अगला दौर झेलने लायक बनाया जाता था. ब्रिटिश काल में यूरोप में एक पुरानी ड्रिंक चलती थी, इसे मिल्क पंच कहते थे, इसमें रम, ब्रांडी, दूध, मसाले डालकर बनाया जाता था.
नशे में रोल्स रॉयल को घोड़े की तरह दौड़ाते थे
महाराजा के नशे में आने के बाद कई तरह के किस्से भी फेमस हैं. कहा जाता है कि एक बार वे नशे में अपनी रोल्स रॉयल कार को घोड़ों की तरह महल के मैदान में दौड़ाने लगे. नशे में उन्हें संगीत सुनने और विदेशी महिलाओं के साथ डांस करने की आदत थी. उनके दरबार में हर रात शराब और नृत्य का दौर चलता था.
लंदन के होटल में तोड़फोड़
ये किस्सा वर्ष 1911 का है. जब भूपिंदर सिंह अपने पिता महाराजा भूपेंद्र सिंह के साथ लंदन गए तो वे द सेवॉय होटल में ठहरे. कहा जाता है कि एक रात शराब के नशे में उन्होंने होटल के कॉरिडोर में लगी आग बुझाने वाली हाइड्रेंट की होज़ को चला दिया. इससे पूरी मंजिल पानी-पानी हो गई. कीमती कार्पेट और सजावट को भारी नुकसान पहुंचा.
होटल प्रबंधन ने नाराज़ होकर महाराजा के डेलिगेशन से शिकायत की. जवाब में महाराजा भूपेंद्र सिंह ने ना केवल सारा नुकसान भरा, बल्कि पूरे होटल को खरीदने का प्रस्ताव रख दिया. आखिरकार मामला रफ़ा-दफ़ा हो गया लेकिन यह किस्सा बहुत मशहूर हुआ.
शराब से भरी ट्रेन
महाराजा को यूरोप से अपनी पसंदीदा शराब मंगवानी पड़ती थी. कहते हैं कि उन्होंने एक बार अपने लिए एक खास ट्रेन चार्टर की, जिसके डिब्बे स्कॉच व्हिस्की और शैंपेन से भरे हुए थे. यह ट्रेन पटियाला तक सीधे उनके लिए शराब लेकर आई. यह उनकी शराब की भारी खपत और उस पर होने वाले खर्च का प्रतीक बन गया.
पेरिस के नाइट क्लब में नाचना
महाराजा जब विदेश यात्रा पर होते थे, तो वहां की नाइटलाइफ़ का भरपूर आनंद लेते थे. एक मशहूर किस्सा यह है कि पेरिस के एक नाइटक्लब में शराब के नशे में उन्होंने वहां के लोगों के सामने भांगड़ा करना शुरू कर दिया. उस ज़माने में एक भारतीय महाराजा का यूरोपीय नाइटक्लब में पारंपरिक नृत्य करना एक विचित्र और हंगामाखेज़ दृश्य था.
पटियाला दरबार में अजीबोगरीब शर्तें
अपने दरबार में भी उनकी शराबी हरकतें जारी रहती थीं. वह अक्सर शराब के नशे में अटपटी शर्तें लगा देते थे. कहा जाता है कि उन्होंने कभी अपने एक मेहमान से यह शर्त लगाई कि क्या वह एक हाथी के सामने वाले पैरों के बीच से निकलकर पीछे तक जा सकता है? ऐसी शर्तें अक्सर उनकी मौज-मस्ती और अप्रत्याशित व्यवहार को दिखाती हैं.
विदेशी अतिथियों के सामने शराब पीने की होड़
महाराजा को अपनी शराब पीने की क्षमता पर बहुत गर्व था. जब भी कोई विदेशी अतिथि या ब्रिटिश अधिकारी पटियाला आता, वे अक्सर उनके साथ शराब पीने की होड़ लगा देते थे. किंवदंती है कि कई बार उनके मेहमान तो मदहोश होकर गिर पड़ते, लेकिन महाराजा फिर भी पीते रहते थे.
सोर्स
Diwan Jarmani Dass – “Maharaja” (1961)
Amarinder Singh – “Patiala: The Maharajas and Their Magnificent Legacy”
Philip Mason – “The Men Who Ruled India”
The Illustrated Weekly of India, 1960s features on Patiala Peg
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1 hour ago
