जापान ने चीन की चौखट पर तैनात की मिसाइल, भड़का ड्रैगन; कहा- यह तनाव बढ़ाने की कोशिश

1 hour ago

चीन ने सोमवार (24 नवंबर) को जापान की योनागुनी आइलैंड पर मिसाइलें तैनात करने की बढ़ती योजनाओं की कड़ी आलोचना की. योनागुनी आइलैंड ताइवान से सिर्फ़ 110 किलोमीटर (68 मील) पूरब में एक दूर की चौकी है. कई सप्ताह से चल रहा यह विवाद तब फिर से शुरू हो गया जब जापानी मीडिया ने बताया कि रक्षा मंत्री शिंजिरो कोइज़ुमी ने योनागुनी बेस के अपने पहले दौरे के दौरान कहा कि टोक्यो अपने दक्षिण-पश्चिमी द्वीपों की बड़ी किलेबंदी के हिस्से के तौर पर टाइप 03 मीडियम-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइलों की तैनाती धीरे-धीरे कर रहा है. 

बाहर से आने वाले विमानों और हवा से ज़मीन पर मार करने वाले खतरों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किए गए ये हथियार पूर्वी चीन सागर में चीन के सैन्य विस्तार और ताइवान के आसपास संभावित आपात स्थितियों को लेकर जापान की बढ़ती चिंता को दिखाते हैं. कोइज़ुमी ने कहा, 'यह तैनाती जापान पर हथियारों से लैस हमले की संभावना को कम कर सकती है और इस आलोचना को खारिज कर दिया कि इस कदम से क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ेगी. योनागुनी, जापान का सबसे पश्चिमी बसा हुआ आइलैंड और एक पॉपुलर स्कूबा-डाइविंग स्पॉट है. जहां स्थानीय लोगों के विरोध के बाद भी 2016 से एक ग्राउंड सेल्फ-डिफेंस फोर्स कैंप चल रहा है.

इससे इलाके में तनाव पैदा होगाः चीनी विदेश मंत्री 
इस बेस में पहले से ही सर्विलांस, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर यूनिट हैं. जो इसे किसी भी ताइवान स्ट्रेट संकट में फ्रंटलाइन सेंटिनल के तौर पर रखता है. बीजिंग में एक रूटीन ब्रीफिंग में, फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन माओ निंग ने इस पहल की बुराई करते हुए इसे जानबूझकर इलाके में तनाव पैदा करने और मिलिट्री टकराव को भड़काने की कोशिश बताया. उन्होंने इसे सीधे प्रधानमंत्री साने ताकाइची के भड़काऊ बयानों से जोड़ा जो एक कंज़र्वेटिव राष्ट्रवादी हैं और पिछले महीने पदभार संभाला है और लंबे समय से चीन की क्षेत्रीय दादागिरी के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की वकालत करती रही हैं.

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जापानी पीएम के कमेंट्स से भड़का चीन
माओ ने रिपोर्टर्स से कहा, 'ताइवान पर प्रधानमंत्री साने ताकाइची की गलत बातों के साथ यह ट्रेंड बहुत खतरनाक है और पड़ोसी देशों और इंटरनेशनल कम्युनिटी को इस पर बहुत ज़्यादा ध्यान देने की जरूरत है.' 7 नवंबर को ताकाइची की टिप्पणियों ने बीजिंग का गुस्सा भड़का दिया है. जापानी पीएम ने कहा था कि ताइवान पर चीनी हमला जिसमें बैटलशिप और बल का इस्तेमाल शामिल है जापान के शांतिवादी संविधान के तहत अस्तित्व का खतरा माना जा सकता है जो शायद सेल्फ-डिफेंस फोर्सेज़ के दखल को सही ठहराता है. चीन ऐसी बयानबाजी को 1972 के जापान-चीन जॉइंट कम्युनिक का उल्लंघन मानता है, जिसमें टोक्यो ने ताइवान पर बीजिंग के रुख को माना था.

लगातार बढ़ता ही जा रहा है चीन-जापान के बीच झगड़ा 
चीन ने जापान के एंबेस्डर को तलब किया और बयान वापस लेने की मांग की जिसे टोक्यो ने मना कर दिया और इस बात पर ज़ोर दिया कि ताकाइची की बातें पुरानी पॉलिसी के मुताबिक हैं. जवाबी कार्रवाई में ओसाका में एक चीनी डिप्लोमैट ने पोस्ट किया, 'उस गंदी गर्दन को काटने की धमकी' जो शायद ताकाइची के लिए थी. फिर इस पोस्ट को डिलीट कर दिया. जिसके बाद जापान ने बीजिंग के एंबेस्डर को तलब किया. बीजिंग ने कल्चरल एक्सचेंज को भी टाल दिया है. जापानी बीफ़ इंपोर्ट पर बातचीत रोक दी है और अगर जापान मिलिट्री दखल देता है तो बहुत बुरे नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है.

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